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Special: राजस्थान के इस शहर से परिंदे भी कर रहे पलायन...

कोरोना महामारी का प्रकोप ना सिर्फ इंसानों पर बल्कि बेजुबानों पर भी पड़ रहा है. राजस्थान के अजमेर शहर से परिंदे पलायन कर रहे हैं. कोरोना काल में कबूतरों की संख्या में अचानक कमी आई है.

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
परिंदे भी कर रहे पलायन!
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Published : Jun 18, 2021, 9:50 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 10:13 PM IST

अजमेर. अरावली की गोद में बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां जैव विविधता भी है. कई तरह के पशु-पक्षी अजमेर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. कई पशु-पक्षी प्रेमी बेजुबानों के लिए दाना-पानी का इंतजाम करते हैं.

पढ़ें- SPECIAL : पौधा लगाइये और परिवार की तरह पालिये...Family Forestry पर जानें Land for Life Awardee श्याम सुंदर ज्याणी के विचार

बेजुबान भी अपने चाहने वालों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. लेकिन कोरोना काल में लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में पशु-पक्षियों की भी मुश्किल बढ़ गई है. दाना-पानी का इंतजाम नहीं हो रहा है. बेजुबान जानवरों को घायल होने पर इलाज नहीं मिल रहा है.

परिंदे भी कर रहे पलायन!

जिले में अचानक कम हुई कबूतरों की संख्या

अजमेर जिले (Ajmer District) में बजरंगढ़ के पास ही कबूतर शाला (Pigeon House) मौजूद है. कई पक्षी प्रेमी बजरंगढ़ और आनासागर बारादरी पर भी कबूतरों के लिए दाना डालने के साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था भी कर देते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में कबूतरों के लिए दाने-पानी की समस्या खड़ी हो गई है.

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
कबूतरों का पलायन!

दाना-पानी की समस्या

समाजसेवी गोपाल बंजारा बताते हैं कि लॉकडाउन की इस घड़ी में वे पुष्कर के रास्ते में पड़ने वाले बंदरों, मोर, गाय, वन्य पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी उपलब्ध करवाते हुए चलते हैं लेकिन शहर के इन कबूतरों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या बनी हुई है.

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
दाना चुगते कबूतर

कहां चले गए कबूतर?

पहले जब लोग बड़ी संख्या में दाना-पानी डालने के लिए आते थे तो कबूतरों का हुजूम सा लगा रहता था लेकिन जब से यहां पक्षी-प्रेमियों का आना बंद हुआ है, कबूतरों की संख्या भी कम हो गई है. कोई नहीं जानता कि यहां आने वाले कबूतर आखिर कहां चले गए?

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
कबूतर

पढ़ें- ऑफिस-ऑफिस : नौकरशाही को जवाबदेह बनाने वाला कानून आखिर क्यों अटका है...

बंजारा कहते हैं कि जिले के सभी लोगों को अपने स्तर पर इन बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए दाने-पानी का इंतजाम करना चाहिए. ऐसा करने पर हम इनकी जान बचा ही सकते हैं. इस काम को करने से पुण्य और आत्मिक शांति की भी अनुभूति होती है.

दाने की खरीद में भी आई कमी

बजरंगढ़ के पास कबूतरों के लिए दाना बेचने वाले व्यापारी अशोक बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इस वजह से कुछ लोग ही कबूतरों को दाना डालने के लिए आते हैं. इस वक्त दाने की बिक्री सिर्फ 10 परसेंट ही रह गई है. वे अपने स्तर पर भी कबूतरों को दाना डाल देते हैं ताकि उनका पेट भर सके.

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
कबूतरों का पलायन!

सभी अपने स्तर पर दाना-पानी का इंतजाम करें तो बेजुबानों की मुश्किल कम होगी. पशु-पक्षियों के साथ ही हम भी इसी पर्यावरण का एक हिस्सा हैं. सामंजस्य बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है.

अजमेर. अरावली की गोद में बसा एक खूबसूरत शहर है. यहां जैव विविधता भी है. कई तरह के पशु-पक्षी अजमेर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. कई पशु-पक्षी प्रेमी बेजुबानों के लिए दाना-पानी का इंतजाम करते हैं.

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बेजुबान भी अपने चाहने वालों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. लेकिन कोरोना काल में लोग घरों में कैद हैं. ऐसे में पशु-पक्षियों की भी मुश्किल बढ़ गई है. दाना-पानी का इंतजाम नहीं हो रहा है. बेजुबान जानवरों को घायल होने पर इलाज नहीं मिल रहा है.

परिंदे भी कर रहे पलायन!

जिले में अचानक कम हुई कबूतरों की संख्या

अजमेर जिले (Ajmer District) में बजरंगढ़ के पास ही कबूतर शाला (Pigeon House) मौजूद है. कई पक्षी प्रेमी बजरंगढ़ और आनासागर बारादरी पर भी कबूतरों के लिए दाना डालने के साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था भी कर देते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में कबूतरों के लिए दाने-पानी की समस्या खड़ी हो गई है.

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कबूतरों का पलायन!

दाना-पानी की समस्या

समाजसेवी गोपाल बंजारा बताते हैं कि लॉकडाउन की इस घड़ी में वे पुष्कर के रास्ते में पड़ने वाले बंदरों, मोर, गाय, वन्य पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी उपलब्ध करवाते हुए चलते हैं लेकिन शहर के इन कबूतरों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या बनी हुई है.

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दाना चुगते कबूतर

कहां चले गए कबूतर?

पहले जब लोग बड़ी संख्या में दाना-पानी डालने के लिए आते थे तो कबूतरों का हुजूम सा लगा रहता था लेकिन जब से यहां पक्षी-प्रेमियों का आना बंद हुआ है, कबूतरों की संख्या भी कम हो गई है. कोई नहीं जानता कि यहां आने वाले कबूतर आखिर कहां चले गए?

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कबूतर

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बंजारा कहते हैं कि जिले के सभी लोगों को अपने स्तर पर इन बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए दाने-पानी का इंतजाम करना चाहिए. ऐसा करने पर हम इनकी जान बचा ही सकते हैं. इस काम को करने से पुण्य और आत्मिक शांति की भी अनुभूति होती है.

दाने की खरीद में भी आई कमी

बजरंगढ़ के पास कबूतरों के लिए दाना बेचने वाले व्यापारी अशोक बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इस वजह से कुछ लोग ही कबूतरों को दाना डालने के लिए आते हैं. इस वक्त दाने की बिक्री सिर्फ 10 परसेंट ही रह गई है. वे अपने स्तर पर भी कबूतरों को दाना डाल देते हैं ताकि उनका पेट भर सके.

bird migration from Ajmer,  Rajasthan News
कबूतरों का पलायन!

सभी अपने स्तर पर दाना-पानी का इंतजाम करें तो बेजुबानों की मुश्किल कम होगी. पशु-पक्षियों के साथ ही हम भी इसी पर्यावरण का एक हिस्सा हैं. सामंजस्य बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है.

Last Updated : Jun 18, 2021, 10:13 PM IST
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