अजमेर. पूरे जिले से आई आशा सहयोगिनियों ने अपनी सात सूत्रीय मांग को लेकर बुधवार को जिला मुख्यालय पर लामबंद हुईं. इन लोगों ने अपना मानदेय बढ़ाने की मांग की है. साथ ही भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम अपना मांग पत्र भी सौंपा.
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भोलेनाथ आचार्य ने बताया कि कोविड- 19 सर्वे के दौरान आशा सहयोगिनियों को प्रतिमाह एक हजार रुपए दिए जा रहे थे, लेकिन जून माह से यह राशि देना बंद कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 सर्वे के लिए आशा सहयोगिनी घर-घर जाकर सर्वे का काम करती हैं और शासन-प्रशासन को सूचनाएं उपलब्ध करवाती हैं.
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कोरोना महामारी के चलते आशा सहयोगिनी अपनी और अपने परिवार की जान को जोखिम में डालकर अपना कार्य पूरी निष्ठा और लगन के साथ करती हैं. बावजूद इसके मार्च माह से जून तक प्रतिमाह मिल रही एक हजार की राशि को सरकार ने बंद कर दिया है. इस राशि को लगातार दिलाई जाए. इसके अलावा आशा सहयोगिनी को राज्य कर्मचारी घोषित करने के साथ ही उनके अल्प मानदेय 2700 रुपए को बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने की भी मांग भारतीय मजदूर संघ ने रखी है. आशा सहयोगिनी रेणु शर्मा ने बताया कि अल्प मानदेय से उनके परिवार का गुजारा नहीं होता. आशा सहयोगिनी को सम्मान जनक 10 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलना चाहिए.
आशा सहयोगिनियों की ये है सरकार से मांग...
- कोविड- 19 सर्वे के दौरान प्रतिमाह मिल रहे एक हजार रुपए की राशि को निरंतर दिलाई जाए.
- लीजा एप के माध्यम से सर्वे करके सूचना दिए जाने का विभाग की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. इसके लिए आशा सहयोगिनी को मोबाइल और रिचार्ज की व्यवस्था की जाए.
- आशा सहयोगिनी के 2700 रुपए मानदेय को बढ़ाकर 10 हजार रुपए मासिक मानदेय किया जाए.
- महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के सरकारी कार्य आशा सहयोगिनी के माध्यम से किए जाते हैं. अतः आशा सहयोगिनी को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए.
- आशा सहयोगिनी की पदोन्नति के लिए उम्र के बंधन सीमा को हटाते हुए पदोन्नति की जाए.
- सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल की जाए.
- कार्यकर्ताओं के अनुरूप आशा सहयोगिनी को फ्लेक्सी फंड जारी कराने के आदेश दिए जाएं.