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अजमेरः उपखंड के सबसे बडे़ अस्पताल AKH की हालत हुई जर्जर, बढ़ रही दुर्घटनाओं की आशंका

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Published : Jan 10, 2021, 1:37 PM IST

अजमेर जिले के ब्यावर में स्थित अमृतकौर चिकित्सालय जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. साथ ही अस्पताल की गैलरी में छत की पट्टियों में दरारे आ गई है. जिसके कारण कभी भी काई बड़ा हादसा हो सकता है. 65 साल पुरानी इमारत की दशा को देखते हुए खुद विभाग इस इमारत को असुरक्षित मान रहा है.

अजमेर का अमृतकौर चिकित्सालय,  Ajmer's Amritkaur Hospital
अमृतकौर चिकित्सालय की हालत हुई जर्जर

अजमेर. जिले के ब्यावर में स्थित अमृतकौर चिकित्सालय जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. साथ ही अस्पताल की गैलरी में छत की पट्टियों में दरारे आ गई है. जिसके कारण कभी भी काई बड़ा हादसा हो सकता है.

अमृतकौर चिकित्सालय की हालत हुई जर्जर

ब्यावर के राजकीय अमृतकौर अस्पताल की सालों पुरानी जर्जर इमारत किसी बड़े हादसे का सबब बन सकती है. 65 साल पुरानी इमारत की दशा को देखते हुए खुद विभाग इस इमारत को असुरक्षित मान रहा है. साथ ही इसकी मरम्मत का प्रस्ताव भेज चुका है. राजकीय अमृतकौर अस्पताल की गैलरी में छत की पट्टियों में दरारें आ गई हैं. जिससे कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. अस्पताल के पीएमओ और डिप्टी कंट्रोलर कक्ष के बाहर स्थित छत की पट्टियां बीच में भी फटने लगी है. ऐसे में कभी कोई हादसा हो सकता है.

पढ़ेंः राजस्थान कांग्रेस की नई कार्यकारिणी की पहली बैठक आज...सीएम गहलोत, अजय माकन और डोटासरा रहेंगे मौजूद

गौरतलब है कि 304 बेड वाले राजकीय अमृतकौर अस्पताल में महज दो घंटे की बारिश से ही पुरानी इमारत की छत दर्जनों जगहों से रिसने लग जाती है. वहीं, 1955 में निर्मित हुई इमारत के कई वार्ड अब जर्जर हो चुके हैं. कई वार्ड में छत से प्लास्टर गिरने की घटनाएं अक्सर होती रहती है. वार्ड में मरीजों के भी घायल होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. उपखंड के सबसे बड़े अमृतकौर अस्पताल का उदघाटन तत्कालीन केंद्रीय नियोजन, सिंचाई और बिजली मंत्री गुलजारी लाल नंदा की ओर से 21 मई 1955 को किया गया था. इस सदंर्भ में नर्सिंग अधीक्षक नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि अस्पताल भवन काफी पुराना है.

पढ़ेंः प्रताप सिंह सिंघवी का बड़ा बयान कहा- वसुंधरा राजे बीजेपी के खिलाफ जाना तो दूर सोचना भी पसंद नहीं करेंगी

छत की पट्टियों में जगह-जगह दरारे पड़ गई है और बरसात के दौरान इन दरारों में से पानी टपकने लगता है. पानी टपकने के कारण रोगियों, चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस संदर्भ में चिकित्सालय प्रशासन ने विभाग और उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. अस्पतास प्रशासन की और से कई बार मरममत करवाई गई है, लेकिन यह इसका स्थाई समाधान नहीं है. शर्मा ने बताया कि दुर्घटना की आशंका को देखते हुए अब प्रशासन को चाहिए कि अस्पताल भवन की सार-संभाल करते हुए इसका कोई स्थाई समाधान करें.

अजमेर. जिले के ब्यावर में स्थित अमृतकौर चिकित्सालय जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है. साथ ही अस्पताल की गैलरी में छत की पट्टियों में दरारे आ गई है. जिसके कारण कभी भी काई बड़ा हादसा हो सकता है.

अमृतकौर चिकित्सालय की हालत हुई जर्जर

ब्यावर के राजकीय अमृतकौर अस्पताल की सालों पुरानी जर्जर इमारत किसी बड़े हादसे का सबब बन सकती है. 65 साल पुरानी इमारत की दशा को देखते हुए खुद विभाग इस इमारत को असुरक्षित मान रहा है. साथ ही इसकी मरम्मत का प्रस्ताव भेज चुका है. राजकीय अमृतकौर अस्पताल की गैलरी में छत की पट्टियों में दरारें आ गई हैं. जिससे कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. अस्पताल के पीएमओ और डिप्टी कंट्रोलर कक्ष के बाहर स्थित छत की पट्टियां बीच में भी फटने लगी है. ऐसे में कभी कोई हादसा हो सकता है.

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गौरतलब है कि 304 बेड वाले राजकीय अमृतकौर अस्पताल में महज दो घंटे की बारिश से ही पुरानी इमारत की छत दर्जनों जगहों से रिसने लग जाती है. वहीं, 1955 में निर्मित हुई इमारत के कई वार्ड अब जर्जर हो चुके हैं. कई वार्ड में छत से प्लास्टर गिरने की घटनाएं अक्सर होती रहती है. वार्ड में मरीजों के भी घायल होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. उपखंड के सबसे बड़े अमृतकौर अस्पताल का उदघाटन तत्कालीन केंद्रीय नियोजन, सिंचाई और बिजली मंत्री गुलजारी लाल नंदा की ओर से 21 मई 1955 को किया गया था. इस सदंर्भ में नर्सिंग अधीक्षक नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि अस्पताल भवन काफी पुराना है.

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छत की पट्टियों में जगह-जगह दरारे पड़ गई है और बरसात के दौरान इन दरारों में से पानी टपकने लगता है. पानी टपकने के कारण रोगियों, चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस संदर्भ में चिकित्सालय प्रशासन ने विभाग और उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. अस्पतास प्रशासन की और से कई बार मरममत करवाई गई है, लेकिन यह इसका स्थाई समाधान नहीं है. शर्मा ने बताया कि दुर्घटना की आशंका को देखते हुए अब प्रशासन को चाहिए कि अस्पताल भवन की सार-संभाल करते हुए इसका कोई स्थाई समाधान करें.

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