अजमेर. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए गए हजारों विद्यार्थी हालात पर वहीं फंसे हुए हैं. केंद्र सरकार ऐसे विद्यार्थियों को सुरक्षित अपने देश लाने में जुटी हुई है. केंद्र सरकार के प्रयास से कुछ विद्यार्थी सुरक्षित घर लौटे भी हैं. उनमें दो अजमेर की बेटियां भी शामिल हैं. ईटीवी भारत ने यूक्रेन में मेडिकल के अंतिम वर्ष की छात्रा ऋचा चैनानी से बातचीत की उनके अनुभव साझा किए. ऋचा रविवार शाम को ही अपने घर लौटी हैं. बेटी के घर लौटने से उनके यहां खुशी का माहौल है.
ऋचा चैनानी ने बताया कि बॉर्डर पर तनाव की स्थित थी, लेकिन लग नहीं रहा था कि हालात बिगड़ जाएंगे. इसके बाद यूनिवर्सिटी ने विद्यार्थियों को अपने देश लौटने के लिए कहा था लेकिन साथ में यह भी कहा कि घर जाने का कोई दबाव नहीं है. ऐसे में वापस घर कैसे लौटा जाए इसको लेकर मुश्किल थी. ऋचा ने बताया कि कुछ विद्यार्थियों ने घर लौटने का निर्णय लिया. एक दिन रात को कीव के पास बॉर्डर पर बम ब्लास्ट हुआ. उस वक़्त सब सो रहे थे. सुबह ब्लास्ट के बारे में पता चला. तब फ्लाइट की टिकट देखने लगे. कुछ विद्यार्थी फ्लाइट से जाने के लिए निकले लेकिन तनाव को देखते हुए उन्हें वापस लौटना पड़ा.
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जब पता चला कि मिलिट्री बेस पर भी हमले हो रहे हैं तब हम सभी विद्यार्थियों ने खाना जमा करना शुरू किया. एटीएम से पैसे निकाले. खाने-पीने की दुकानों और एटीएम के बाहर भीड़ लग गई थी. मैं खाना और एटीएम से पैसे निकालने में कामयाब रही. वहां और बम ब्लास्ट होने लगे थे. ऋचा ने बताया कि वह एजेंट डॉ. सुनील शर्मा से लगातार संपर्क में थी. उनके प्रयास से ही दूतावास से कॉल आया. हमें बताया गया कि अपने देश लौटने वाले विद्यार्थियों की सूची तैयार हो रही है. साथ ही बताया गया कि लगेज कितना लेना है. मेरा पहली ही सूची में नाम आ गया. मेरे साथ और भी विद्यार्थी थे जो रोमानिया की कैपिटल से फ्लाइट लेकर मुंबई लौट आए.
उन्होंने बताया कि अजमेर से यूक्रेन में रह रहे कई विद्यार्थी लौट आए हैं. पहली फ्लाइट से अजमेर की धोलाभाटा निवासी हर्षिता सिंह भी लौट आई है. ऋचा ने केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें सुरक्षित लौटने में मदद की है. बॉर्डर तक यूनिवर्सिटी और स्थानीय पुलिस ने सहयोग किया. भारतीय दूतावास की मदद से बॉर्डर क्रॉस किया जहां दस्तवेजों का सत्यापन हुआ. बाद में दूतावास के लोगों ने हमें एयर इंडिया की फ्लाइट में बैठा दिया.
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उन्होंने बताया कि पूरे जोन में केवल एक ही एयर इंडिया की फ्लाइट चल रही थी. फ्लाइट से उतरते ही राज्य सरकार के अधिकारियों ने हमारी जिम्मेदारी ले ली. मुंबई में एक रात रुकने और खाने-पीने की व्यवस्था राज्य सरकार की ओर से की गई. बल्कि घर आने तक का सारा खर्च भी राज्य सरकार की ओर से ही वहन किया गया. मेडिकल की पढ़ाई का हमारा अंतिम वर्ष था. पढ़ाई पूरी होने के बाद यूक्रेन घूमने का प्लान था.
ऋचा बताती है कि उनके कुछ मित्र डेंजर जोन में है. मैं चाहती हूं कि मेरे दोस्त के साथ ही जितने भी भारतीय विद्यार्थी वहां रह रहे हैं, वह सुरक्षित लौट आएं. ऋचा के घर लौटने से उनके माता-पिता ने चैन की सांस ली है. घर लौटने पर माता पिता रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने ऋचा का स्वागत किया. मैं जब लौटी तो मुझे अंदाजा भी नहीं था कि मेरा स्वागत किया जाएगा. दिमाग में सिर्फ इतना था सुरक्षित घर पहुंच जाऊं.