अजमेर. जिला शहर कांग्रेस कमेटी की ओर से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती मनाई गई. जेएलएन मेडिकल कॉलेज चौराहे पर स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर कांग्रेसियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस दौरान कांग्रेसियों ने एक-दूसरे से गले लगकर शुभकामनाएं दी. वहीं विघटनकारी ताकतों से एकजुट होकर मुकाबला करने का संकल्प लिया.
अजमेर जिला शहर कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर बड़ी संख्या में डीसीसी के पदाधिकारी अग्रिम संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता जेएलएन मेडिकल कॉलेज चौराहे पर एकत्रित हुए. जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर सभी ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद वरिष्ठ कांग्रेसियों ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के देश को दिए योगदान और उनके जीवन आदर्शों के बारे में कार्यकर्ताओं को जानकारी दी.
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पूर्व विधायक श्रीगोपाल बाहेती ने बताया कि देश को विषम परिस्थितियों में विकास की ओर ले जाने वाले पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे. पंचवर्षीय योजना, पंचायती राज सहित कई योजनाओं के माध्यम से उन्होंने देश को तरक्की की ओर अग्रसर किया.
शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने बताया कि देश पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान को कभी नहीं भूल सकता. देश को एकजुट करने और बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों के विकास के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है. जैन ने कहा कि देश में विघटनकारी ताकतों सांप्रदायिक सद्भाव को तोड़ने में लगी है. ऐसी ताकतों के खिलाफ सभी ने एकजुट होकर मुकाबला करने का संकल्प लिया है.
एसएस मोदी विद्या मंदिर के बच्चों ने खाया कॉलोनी के अन्य बच्चों के साथ खाना
झुंझुनू के जिला मुख्यालय पर स्थित एसएस मोदी विद्या मंदिर स्कूल में बुधवार शाम को सभी बच्चों को कहा गया कि कल आपको एक अतिरिक्त टिफिन लाना है. उस समय विद्यार्थियों को कुछ भी बताया नहीं गया. लेकिन बाल दिवस के अवसर पर जब वे दोनों टिफिन खोल कर बैठे तो उनके साथ खाने के लिए मौजूद थे, उनके आसपास की कॉलोनी में रहने वाले हमउम्र बच्चे. उन बच्चों ने स्कूल की वेशभूषा नहीं पहन रखी थी. स्कूल ना जा पाने वाले बच्चों के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आज वे स्कूल के विद्यार्थियों के साथ बैठकर खाना खा रहे थे. उन बच्चों की खुशी देखते ही बनती थी. वहीं निश्चित ही शहर के नामी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी कहीं ना कहीं इस कार्य से प्रेरणा लेंगे.
जरुरत है समानता की
इस बारे में स्कूल के डायरेक्टर लक्ष्मीकांत ने बताया कि यह हमारा प्रयास था कि विद्यार्थी अपने सामाजिक परिवेश के आसपास रहने वाले लोगों के बारे में भी सोचे. उनको यह भी लगे कि वे स्कूल में पढ़ रहे हैं. लेकिन बड़ी संख्या में बच्चे इससे महरूम भी हैं और इस बारे में भी सोचना चाहिए.