अजमेर. नागौर एसीबी का एक पुराना कारनामा सामने आया है. मामला 1997 का है. एसीबी ने सरकार की बिक्री प्रोत्साहन योजना के दुरुपयोग की शिकायत के आधार पर तीन अधिकारियों और एक फर्म के निदेशक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. खास बात यह है कि एसीबी ने इस प्रकरण में 20 वर्ष बाद 2017 में चालान पेश किया. कोर्ट ने आरोपियों को तब जमानत पर रिहा कर दिया था. गुरुवार को अजमेर एसीबी कोर्ट ने आरोपियों को उन्मोचित ( डिस्चार्ज ) कर दिया.
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नागौर एसीबी की तथ्यहीन कार्यशैली की वजह से तीन अधिकारियों और एक फर्म मालिक को 20 वर्ष परेशान होना पड़ा. 20 साल बाद चालान पेश करने के बाद भी कोर्ट आरोपियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्य पेश नहीं कर पाई. जिसका लाभ आरोपियों को मिला.
कोर्ट ने चारों आरोपियों को डिस्चार्ज कर दिया. पीड़ित पक्ष के वकील प्रीतम सिंह ने बताया कि मामला नागौर जिले के मुंडवा का है. नागौर जिले के मूंडवा हनुमंत सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड फर्म के निदेशक वासुदेव कंदोई ने 30 नवंबर 1992 में जिला उद्योग केंद्र में बिक्री कर प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन किया था.
आवेदन के साथ शहरी सीमा के बाहर औद्योगिक इकाई होने का प्रमाण पत्र भी पेश किया था. आवेदन की सत्यापन जांच तत्कालीन उद्योग निरीक्षक रामचंद्र चौधरी ने की थी. जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एसके मिश्रा की अनुशंसा पर सीटीओ तनसुख दास ने 98 लाख 39 हजार 918 रुपए का बिक्री कर प्रोत्साहन योजना का लाभ आवेदन कर्ता को स्वीकृत कर दिया.
नागौर एसीबी ने एक शिकायत के आधार पर फर्म के निदेशक वासुदेव कंदोई, सीटीओ तनसुख दास, तत्कालीन उद्योग निरीक्षक रामचंद्र चौधरी, उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एसके मिश्रा के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। 2017 में एसीबी ने आरोपियों के खिलाफ अजमेर की एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया. जबकि गुरुवार को अजमेर एसीबी कोर्ट में चारों आरोपियों को डिस्चार्ज कर दिया.
आरोपियों ने 20 वर्ष झेली परेशानी
तथ्यहीन प्रकरण दर्ज करने के बाद नागौर एसीबी ने आरोपियों के खिलाफ चालान पेश करने में 20 वर्ष लगा दिए. इस बीच सीटीओ तनसुख दास की उम्र 82 वर्ष हो चुकी है. आवेदन करता वासुदेव कंदोई 80 वर्ष के हो चुके हैं. आरोपी रहे तत्कालीन उद्योग निरीक्षक रामचंद्र चौधरी की पेंशन प्रकरण की वजह से रोक ली गई.
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उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एसके मिश्रा 84 वर्ष के हो चुके हैं. आरोपी पक्ष के वकील प्रीतम सिंह सोनी ने बताया कि खातेदारी या खरीद भूमि यदि सरकार को समर्पित कर उद्योग के लिए आवंटन करवाई गई है. फिर वह शहर की सीमा में हो या शहर के बाहर इंडस्ट्रियल एरिया में हो आवेदन कर्ता को योजना में लाभ का पात्र माना जाता है.