अजमेर. शहर में अमृत योजना के तहत शहर में सीवेज कार्य के नाम पर 8 करोड़ का घोटाला सामने आया है. बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राजेश टंडन ने आरोप लगाया है कि बिना काम ही ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया है. ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए यह काम किया गया है.
संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक ने इस मामले में जांच की तो बड़ा खुलासा हुआ. जांच में सामने आया कि अजमेर शहर के अंदर 17 हजार सीवेज चेंबर ही नहीं बने हैं. इसके अलावा दरगाह क्षेत्र में सीवेज लाइन भी नहीं डाली गई. सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को नई टेक्नोलॉजी से अपग्रेड भी नहीं किया गया. इन सबके बावजूद अधिकारियों ने आंख बंद कर ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया. खास बात यह रही कि भुगतान के लिए अधिकृत नहीं होने के बावजूद ठेकेदारों को भुगतान किया गया है.
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संभागीय आयुक्त ने मामले को गंभीर मानते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा के साथ ही ठेकेदारों के भुगतान रोकने के दिशा-निर्देश दिए हैं. बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत 4.97 किलोमीटर सीवरेज लाइन दरगाह क्षेत्र में डाली जानी थी लेकिन केवल 80 मीटर सीवरेज लाइन ही क्षेत्र में डाली गई.
इसके अलावा दरगाह क्षेत्र में सीवर लाइन डालने के बजाय अन्य क्षेत्रों में सीवर लाइन डाल दी गई. दरगाह क्षेत्र में कार्रवाई करवाने में पथरीली सड़क काटकर लाइन डालने और मलबे को फेंकने में ठेकेदार को लाखों रुपए खर्च करने पड़ते. इसपर उन्होंने सीवर लाइन डालने का एरिया ही बदल दिया.
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अधिकारियों ने नियम तक रख दिए ताख पर...
इस पूरे घोटाले में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया है. जिसके लिए अधिकारियों ने सारे नियमों को ताक पर रख दिया और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया. जब यह मामला संभागायुक्त आरुषि मलिक के सामने पहुंचा तो उन्होंने कार्रवाई कर ठेकेदारों का भुगतान रोकने के निर्देश दिए हैं.
दोषियों पर हो कार्रवाई...
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश टंडन ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने संभागीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है. इसके अलावा जांच रिपोर्ट में भी घोटाला सामने आ चुका है. ठेकेदार को किए गए अधिक भुगतान की राशि की दोषी अधिकारियों के वेतन से वसूली की जानी चाहिए. साथ ही मामला एसीबी में दर्ज किया जाना चाहिए.