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अजमेर में अभिभावक यूनियन को मिला AAP का साथ, कलेक्टर से की 'नो स्कूल-नो फीस' की मांग

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Published : Jun 23, 2020, 6:50 PM IST

अजमेर में कई निजी स्कूल अभिभावकों से फीस के लिए SMS और फोन कर दबाव बनाने में लगे हैं. इतना ही नहीं फीस के साथ ड्रेस, लॉक पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए भी अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है. इसके खिलाफ अजमेर अभिभावक संघ ने 'नो स्कूल-नो फीस' का अभियान चलाया है. इस अभियान को अब आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन किया है.

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अजमेर अभिभावक यूनियन को मिला आप पार्टी का सहयोग

अजमेर. निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अजमेर अभिभावक यूनियन का नो स्कूल नो फीस अभियान को अब आप पार्टी ने समर्थन दिया है. अभिभावकों ने आप पार्टी कार्यकर्त्ताओं के साथ मंगलवार को जिला कलक्ट्रेट पर लामबद्ध हुए, जहां उन्होंने कलेक्टर से निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने की मांग की है.

अजमेर में लॉकडाउन के दौरान ही कई निजी स्कूल अभिभावकों से फीस के लिए एसएमएस और फोन कर दबाव बनाने लगे हैं. इतना ही नहीं फीस के साथ ड्रेस, लॉक पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए भी अभिभावकों पर दबाव बनाया गया है. ईटीवी भारत ने अपनी खबर से निजी स्कूलों की मनमानी का खुलासा भी किया था. इसके बाद अजमेर में अभिभावकों ने कई बार निजी स्कूलों के बाहर और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी किए.

अजमेर अभिभावक यूनियन को मिला AAP का साथ

बताया जा रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी ने अभिभावकों की मांग को नहीं उठाया लिहाजा अभिभावकों ने आप पार्टी के सहयोग से अपनी आवाज फिर से बुलंद की है. जिला कलेक्ट्रेट पर लामबद्ध हुए अभिभावकों ने 'नो स्कूल नो फीस' और एनसीआरटी की किताबें लागू करने की मांग की है. आप पार्टी की संभाग पदाधिकारी कीर्ति पाठक ने कहा कि आठवीं कक्षा तक के लिए यह वर्ष शून्य वर्ष रहे.

यह भी पढ़ें- 'जब मध्यप्रदेश बीजेपी के कोरोना पॉजिटिव विधायक वोट दे सकते हैं, तो मैं नेगेटिव होने के बाद भी क्यों नहीं दे सकता'

वैश्विक कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन ने हर वर्ग प्रभावित हुआ है. अभिभावक फीस के पैसे नहीं होने का हवाला दे रहे हैं. वहीं स्कूलों से संवेदनशीलता रखने की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी है. फिर भी निजी स्कूल व्हाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं. इसकी फीस निजी स्कूल नहीं बल्कि सरकार तय करें.

अजमेर अभिभावक यूनियन से जुड़े ज्योति स्वरूप अग्रवाल ने मांग की है कि लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद रहे हैं. स्कूल बंद रहने के बावजूद अभिभावकों से फीस वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है. अग्रवाल ने बताया कि प्राइमरी क्लास से लेकर क्लास आठवीं तक सभी स्कूलों में 0 वर्ष घोषित किया जाए. कक्षा 8 से 12वीं तक की सभी कक्षाएं की प्रथम 3 माह की फीस माफ हो जिन स्कूलों ने फीस ले ली है. आगे के 9 माह से उस फीस को समायोजित करें. कोई भी प्राइवेट स्कूल इस वर्ष सिर्फ ट्यूशन फीस अभिभावकों से लें. वह भी बिना किसी बढ़ोतरी के.

यह भी पढ़ें- प्रदेश में 302 नए कोरोना केस, 7 की मौत, आंकड़ा पहुंचा 15232

इसके अलावा कोई भी शुल्क स्कूल नहीं लें, जैसे वार्षिक शुल्क, परीक्षा शुल्क, खेल-कूद शुल्क, विकास शुल्क आदि. सभी स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स ना चला कर सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही लागू करें, ताकि खुले बाजार से अभिभावक विद्यार्थियों के लिए आसानी से कम कीमत पर एनसीईआरटी की किताबें ले सके.

अभिभावक नीलम अग्रवाल और साक्षी हासानी ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखें खराब हो रही है. व्हाट्सएप पर पीडीएफ फाइल डालकर होमवर्क बिना पढ़ाई के दिया जा रहा है. यदि ऐसा ही करना है, तो इस स्कूल की अभिभावकों को क्या जरूरत है. अभिभावक घर पर ही बच्चों को पढ़ा सकते हैं. बावजूद इसके बिना अध्ययन करवाएं स्कूलों को अभिभावकों से पूरी फीस चाहिए.

अजमेर. निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अजमेर अभिभावक यूनियन का नो स्कूल नो फीस अभियान को अब आप पार्टी ने समर्थन दिया है. अभिभावकों ने आप पार्टी कार्यकर्त्ताओं के साथ मंगलवार को जिला कलक्ट्रेट पर लामबद्ध हुए, जहां उन्होंने कलेक्टर से निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने की मांग की है.

अजमेर में लॉकडाउन के दौरान ही कई निजी स्कूल अभिभावकों से फीस के लिए एसएमएस और फोन कर दबाव बनाने लगे हैं. इतना ही नहीं फीस के साथ ड्रेस, लॉक पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए भी अभिभावकों पर दबाव बनाया गया है. ईटीवी भारत ने अपनी खबर से निजी स्कूलों की मनमानी का खुलासा भी किया था. इसके बाद अजमेर में अभिभावकों ने कई बार निजी स्कूलों के बाहर और जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन भी किए.

अजमेर अभिभावक यूनियन को मिला AAP का साथ

बताया जा रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी ने अभिभावकों की मांग को नहीं उठाया लिहाजा अभिभावकों ने आप पार्टी के सहयोग से अपनी आवाज फिर से बुलंद की है. जिला कलेक्ट्रेट पर लामबद्ध हुए अभिभावकों ने 'नो स्कूल नो फीस' और एनसीआरटी की किताबें लागू करने की मांग की है. आप पार्टी की संभाग पदाधिकारी कीर्ति पाठक ने कहा कि आठवीं कक्षा तक के लिए यह वर्ष शून्य वर्ष रहे.

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वैश्विक कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन ने हर वर्ग प्रभावित हुआ है. अभिभावक फीस के पैसे नहीं होने का हवाला दे रहे हैं. वहीं स्कूलों से संवेदनशीलता रखने की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी है. फिर भी निजी स्कूल व्हाट्सएप और यूट्यूब के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं. इसकी फीस निजी स्कूल नहीं बल्कि सरकार तय करें.

अजमेर अभिभावक यूनियन से जुड़े ज्योति स्वरूप अग्रवाल ने मांग की है कि लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद रहे हैं. स्कूल बंद रहने के बावजूद अभिभावकों से फीस वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है. अग्रवाल ने बताया कि प्राइमरी क्लास से लेकर क्लास आठवीं तक सभी स्कूलों में 0 वर्ष घोषित किया जाए. कक्षा 8 से 12वीं तक की सभी कक्षाएं की प्रथम 3 माह की फीस माफ हो जिन स्कूलों ने फीस ले ली है. आगे के 9 माह से उस फीस को समायोजित करें. कोई भी प्राइवेट स्कूल इस वर्ष सिर्फ ट्यूशन फीस अभिभावकों से लें. वह भी बिना किसी बढ़ोतरी के.

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इसके अलावा कोई भी शुल्क स्कूल नहीं लें, जैसे वार्षिक शुल्क, परीक्षा शुल्क, खेल-कूद शुल्क, विकास शुल्क आदि. सभी स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक्स ना चला कर सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही लागू करें, ताकि खुले बाजार से अभिभावक विद्यार्थियों के लिए आसानी से कम कीमत पर एनसीईआरटी की किताबें ले सके.

अभिभावक नीलम अग्रवाल और साक्षी हासानी ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखें खराब हो रही है. व्हाट्सएप पर पीडीएफ फाइल डालकर होमवर्क बिना पढ़ाई के दिया जा रहा है. यदि ऐसा ही करना है, तो इस स्कूल की अभिभावकों को क्या जरूरत है. अभिभावक घर पर ही बच्चों को पढ़ा सकते हैं. बावजूद इसके बिना अध्ययन करवाएं स्कूलों को अभिभावकों से पूरी फीस चाहिए.

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