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550वां प्रकाश पर्व स्पेशल : तीर्थराज पुष्कर से है सिखों का गहरा नाता, गुरु नानक देव जी ने यहां किए थे तीर्थ-दर्शन

करोड़ो हिंदुओं के लिए पुष्कर तीर्थ गुरु है. वहीं सिखों के लोगों के लिए भी पुष्कर आस्था का बड़ा केंद्र रहा है. सिखों के पहले गुरु नानक देव जी ने दक्षिण से लौटते हुए पुष्कर तीर्थ के दर्शन किए थे. उनके बाद सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह भी पुष्कर में रुके थे. यही वजह है कि देश और दुनिया से सिख समुदाय के लोगों में पुष्कर के प्रति गहरी आस्था है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

550th Prakash Parv, गुरुनानाक पुष्कर ब्रह्मा मंदिर
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Published : Nov 11, 2019, 11:50 PM IST

पुष्कर (अजमेर). तीर्थ नगरी पुष्कर जगतपिता ब्रह्मा का विश्व में इकलौता स्थान है. साधु-संतों और ऋषि-मुनियों के लिए तपोस्थली रहे पुष्कर में सिख समुदाय की भी गहरी आस्था है. बताया जाता है कि सन 1511 में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी दक्षिण से लौटते समय पुष्कर आकर रुके थे. जहां उन्होंने ऋषि-मुनियों से भेंट कर लोगों को जनकल्याण का संदेश दिया था.

गुरुनानक देव जी ने किए थे पुष्कर में तीर्थ दर्शन, देखिए पुष्कर से ये खास रिपोर्ट...

बताया जाता है जहां गुरूनानक देव जी पुष्कर में रूके थे वहीं उनके श्रद्धालुओं ने एक गुरुद्वारा का निर्माण कराया. पुष्कर के धार्मिक मेले में पंचतीर्थ स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. इनमें बड़ी संख्या में सिख समाज के लोग भी होते हैं. पुष्कर गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह छाबड़ा बताते हैं कि देश और दुनिया से पुष्कर मेले में एकादशी से पूर्णिमा तक बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग पुष्कर आते हैं और गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 102 साल की वीरांगना के अजर-अमर प्रेम की कहानी, शहीद पति की याद में बिता दिए 80 बरस

जोगिंदर सिंह ने यह भी बताया कि गुरु नानक देव जी के बाद दसवें गुरु गोविंद सिंह जी भी सन 1707 में पुष्कर आए थे. तब वे इसी गुरुद्वारे में रुके थे. उन्होंने बताया कि सिख समुदाय गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश उत्सव 12 नवंबर को मनाने जा रहा है. इस गुरुद्वारे में भी अखंड पाठ के साथ गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी.

वहीं पुष्कर तीर्थ के पुरोहित विष्णु पाराशर बताते हैं कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जब पुष्कर आए थे तब चेतन नाम के ब्राह्मण ने उन्हें तीर्थ दर्शन करवाए थे. वहीं उनकी यात्रा के दौरान उनकी सेवा की थी. इस पर गुरु गोविंद सिंह ने प्रसन्न होकर पंडित चेतन पाराशर को बहुमूल्य जेवरात दिए. लेकिन पंडित चेतन ने जेवरात लेने की बजाय उनसे हुकुमनामा की मांग की. तब एक ताम्रपत्र पर गुरु गोविंद सिंह ने अपने हाथों से लिखा हुआ हुकुमनामा उन्हें भेंट किया था.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: भरतपुर के बंसी पहाड़पुर से जा रहा राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर, जानिए क्या है खासियत

इसमें गुरु गोविंद सिंह ने हुकुम दिया है कि पुष्कर आने वाले सिख श्रद्धालु पंडित चेतन की संतानों से ही यजमानी करवायें. तब से पुष्कर में पंडित चेतन पाराशर की नवी पीढ़ी पंडित विष्णु पाराशर ही सिख श्रद्धालुओं के लिए अनुष्ठान करते आए हैं.

पुष्कर (अजमेर). तीर्थ नगरी पुष्कर जगतपिता ब्रह्मा का विश्व में इकलौता स्थान है. साधु-संतों और ऋषि-मुनियों के लिए तपोस्थली रहे पुष्कर में सिख समुदाय की भी गहरी आस्था है. बताया जाता है कि सन 1511 में सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी दक्षिण से लौटते समय पुष्कर आकर रुके थे. जहां उन्होंने ऋषि-मुनियों से भेंट कर लोगों को जनकल्याण का संदेश दिया था.

गुरुनानक देव जी ने किए थे पुष्कर में तीर्थ दर्शन, देखिए पुष्कर से ये खास रिपोर्ट...

बताया जाता है जहां गुरूनानक देव जी पुष्कर में रूके थे वहीं उनके श्रद्धालुओं ने एक गुरुद्वारा का निर्माण कराया. पुष्कर के धार्मिक मेले में पंचतीर्थ स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. इनमें बड़ी संख्या में सिख समाज के लोग भी होते हैं. पुष्कर गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह छाबड़ा बताते हैं कि देश और दुनिया से पुष्कर मेले में एकादशी से पूर्णिमा तक बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग पुष्कर आते हैं और गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं.

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जोगिंदर सिंह ने यह भी बताया कि गुरु नानक देव जी के बाद दसवें गुरु गोविंद सिंह जी भी सन 1707 में पुष्कर आए थे. तब वे इसी गुरुद्वारे में रुके थे. उन्होंने बताया कि सिख समुदाय गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश उत्सव 12 नवंबर को मनाने जा रहा है. इस गुरुद्वारे में भी अखंड पाठ के साथ गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी.

वहीं पुष्कर तीर्थ के पुरोहित विष्णु पाराशर बताते हैं कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जब पुष्कर आए थे तब चेतन नाम के ब्राह्मण ने उन्हें तीर्थ दर्शन करवाए थे. वहीं उनकी यात्रा के दौरान उनकी सेवा की थी. इस पर गुरु गोविंद सिंह ने प्रसन्न होकर पंडित चेतन पाराशर को बहुमूल्य जेवरात दिए. लेकिन पंडित चेतन ने जेवरात लेने की बजाय उनसे हुकुमनामा की मांग की. तब एक ताम्रपत्र पर गुरु गोविंद सिंह ने अपने हाथों से लिखा हुआ हुकुमनामा उन्हें भेंट किया था.

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इसमें गुरु गोविंद सिंह ने हुकुम दिया है कि पुष्कर आने वाले सिख श्रद्धालु पंडित चेतन की संतानों से ही यजमानी करवायें. तब से पुष्कर में पंडित चेतन पाराशर की नवी पीढ़ी पंडित विष्णु पाराशर ही सिख श्रद्धालुओं के लिए अनुष्ठान करते आए हैं.

Intro:अजमेर। करोड़ो हिंदुओं के लिए पुष्कर तीर्थ गुरु है। वही सिख समुदाय के लोगों के लिए भी पुष्कर बड़ा आस्था का केंद्र रहा है। पुष्कर में सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव मैं भी दक्षिण से लौटते हुए पुष्कर तीर्थ के दर्शन किए थे। उनके बाद सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह भी पुष्कर में रुके थे। यही वजह है कि देश और दुनिया से सिख समुदाय के लोगों में पुष्कर के प्रति गहरी आस्था है।

तीर्थ नगरी पुष्कर जगतपिता ब्रह्मा का विश्व में इकलौता स्थान है। पुष्कर साधु-संतों और ऋषि-मुनियों के लिए तपोस्थली रही है। पुष्कर सिख समुदाय के लोगों के लिए भी गहरी आस्था का केंद्र है। बताया जाता है कि सन 1511 में सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव दक्षिण से लौटते हुए पुष्कर आकर रुके थे। जहां उन्होंने ऋषि-मुनियों से मुलाकात की थी वही लोगों को जनकल्याण का संदेश दिया था। पुष्कर में वर्तमान में जहां गुरुद्वारा स्थित है बताया जाता है कि यहीं पर गुरु नानक देव आकर रुके थे। पुष्कर के धार्मिक मेले में पंचतीर्थ स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में सिख समाज के लोग भी होते हैं। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह छाबड़ा बताते हैं कि अजमेर के सिख समुदाय के लोगों ने गुरु नानक साहिब का छोटा गुरुद्वारा यहां बनवाया था। इसके बाद धीरे-धीरे गुरुद्वारे का विकास हुआ। उन्होंने बताया कि देश और दुनिया से पुष्कर मेले में एकादशी से पूर्णिमा तक बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग पुष्कर आते हैं और गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गुरु नानक देव साहब के बाद सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह सन 1707 में पुष्कर आए थे। इस दौरान गुरु गोविंद सिंह उसी जगह रुके थे जहां पहले कभी गुरु नानक साहिब पुष्कर में ठहरे थे। उन्होंने बताया कि सिख समुदाय गुरु नानक देव का 550 वा प्रकाश उत्सव मनाने जा रहा है। गुरुद्वारे में भी अखंड पाठ के साथ गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी.....
बाइट- जोगेंद्र सिंह छाबड़ा - अध्यक्ष- गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी
बाइट- जगपाल सिंह आहलूवालिया- सदस्य प्रबंध कमेटी

बताया जाता है कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह पुष्कर आए थे तब चेतन नाम के ब्राह्मण में उन्हें तीर्थ दर्शन करवाए थे वही उनकी यात्रा के दौरान उनकी सेवा की थी। तब गुरु गोविंद सिंह में प्रसन्न होकर पंडित चेतन पाराशर को बहुमूल्य जेवरात दिए लेकिन पंडित चेतन पाराशर ने जेवरात लेने से इनकार कर दिया और बदले में उनसे हुकुम नामा की मांग की। ताम्रपत्र पर गुरु गोविंद सिंह के हाथों से लिखा हुआ हुकुम नामा आज भी पंडित चेतन पाराशर की नवी पीढ़ी विष्णु पाराशर के पास है। इसमें गुरु गोविंद सिंह ने हुकुम दिया है कि पुष्कर आने वाले सिख समुदाय से जुड़े श्रद्धालुओं पंडित चेतन की संतानों से ही यजमानी करवाये। तब से पुष्कर में पंडित चेतन पाराशर की नवी पीढ़ी पंडित विष्णु पाराशर ही सिख श्रद्धालुओं के लिए अनुष्ठान करते आए है ....
बाइट पंडित विष्णु पाराशर- तीर्थ पुरोहित

पी2सी





Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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