हैदराबाद: अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का भारतीय निर्यात पर कोई असर नहीं होगा. भारतीय निर्यात कुल वैश्विक व्यापार का दो प्रतिशत से भी कम है. मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने सोमवार को यह बात कही.
सुब्रमण्यम ने यहां एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार ने जिन उपायों की घोषणा की है, वह सही दिशा में उठाए गए कदम हैं. हालांकि, इस दौरान संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान देना जरूरी है.
सुब्रमण्यन से जब अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का भारत पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हमारा निर्यात हिस्सा अभी भी काफी कम है. वैश्विक निर्यात कारोबार में हमारा हिस्सा करीब दो प्रतिशत है.
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इस लिहाज से हमारे सामने अभी भी आगे बढ़ने की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं. यहां तक कि यदि वैश्विक व्यापार में कुछ कमी भी आती है तो भी हम अपना हिस्सा बढ़ा सकते हैं. लेकिन निर्यात में तब तक वृद्धि नहीं हासिल की जा सकती है, जब तक कि हम उत्पादकता पर जोर नहीं देते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बातचीत होने वाली है. इस बैठक में संभवत: कोई सफलता हाथ लग सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पिछले सप्ताह ही कई उपायों की घोषणा की है. इसमें विदेशी और घरेलू शेयर निवेशकों से बढ़ा हुआ सुपर रिच कर वापस ले लिया गया. स्टार्ट अप को एंजल कर से छूट दे दी गई.
अन्य उपायों के अलावा, वाहन क्षेत्र में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए एक पैकेज घोषित किया गया.
सुब्रमण्यन ने कहा कि जिन उपायों की घोषणा की गई है, वह सही दिशा में उठाए गए कदम हैं. मेरा मानना है कि आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है और हमारे लिये यह भी जरूरी है कि हम ढांचागत सुधारों पर गौर करें.
यह वही नीतिगत घोषणा है जो कि कारपोरेट क्षेत्र के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार वह सब कुछ करेगी जो कि आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी होगा. सुब्रमण्यन ने कहा कि निवेश आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि खपत से इसे और बल मिलता है.