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सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी - Buffer Stock

खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गई. चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है.

सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी
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Published : Jul 24, 2019, 6:04 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी. चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी.

इससे निम्नलिखित लाभ होंगे

  • चीनी मिलों की तरलता में सुधार होगा
  • चीनी इंवेन्ट्री में कमी आएगी
  • घरेलू चीनी बाजार में मूल्य भावना बढ़ाकर चीनी की कीमतें स्थिर की जा सकेंगी और परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान समय से किया जा सकेगा
  • चीनी मिलों के गन्ना मूल्य बकायों की मंजूरी से सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी मिलों को लाभ होगा
    सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी
    सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी


इसके अलावा कैबिनेट ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला किया गया है. एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जो मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को देना होता है.

इस मंजूरी से क्या होगा लाभः
इस मंजूरी से गन्ना उत्पादकों के लिये एक गारंटी-युक्त मूल्य सुनिश्चित होगा. गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत गन्ने का एफआरपी निर्धारित होता है. इसे देशभर में एकसमान रूप से लागू किया जायेगा. एफआरपी का निर्धारण करना गन्ना उत्पादकों के हित में होगा और उनके उत्पाद के लिये उचित एवं लाभकारी मूल्य के लिये उनके अधिकार को ध्यान में रखा जाएगा.

गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला
ये भी पढ़ें- किसान विकास पत्र पर घटी ब्याज दर, अब पैसा दोगुना होने में लगेगा साढ़ें नौ साल का समय

राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित कर सकती हैं. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को यहां हुई बैठक में खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गई. अगस्त, 2018 में केंद्र ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था जिससे सरकार पर 1,175 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था.

यह कदम चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने, गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान में मदद और घरेलू स्तर पर चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया था. देश का चीनी उत्पादन 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है.

चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है. चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 को नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का भंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 1.45 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद है. सामान्य तौर पर उस समय 50 लाख टन के स्टाक की जरूरत होती है.

नई दिल्ली: सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी. चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी.

इससे निम्नलिखित लाभ होंगे

  • चीनी मिलों की तरलता में सुधार होगा
  • चीनी इंवेन्ट्री में कमी आएगी
  • घरेलू चीनी बाजार में मूल्य भावना बढ़ाकर चीनी की कीमतें स्थिर की जा सकेंगी और परिणामस्वरूप किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान समय से किया जा सकेगा
  • चीनी मिलों के गन्ना मूल्य बकायों की मंजूरी से सभी गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी मिलों को लाभ होगा
    सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी
    सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी


इसके अलावा कैबिनेट ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला किया गया है. एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जो मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को देना होता है.

इस मंजूरी से क्या होगा लाभः
इस मंजूरी से गन्ना उत्पादकों के लिये एक गारंटी-युक्त मूल्य सुनिश्चित होगा. गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत गन्ने का एफआरपी निर्धारित होता है. इसे देशभर में एकसमान रूप से लागू किया जायेगा. एफआरपी का निर्धारण करना गन्ना उत्पादकों के हित में होगा और उनके उत्पाद के लिये उचित एवं लाभकारी मूल्य के लिये उनके अधिकार को ध्यान में रखा जाएगा.

गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला
ये भी पढ़ें- किसान विकास पत्र पर घटी ब्याज दर, अब पैसा दोगुना होने में लगेगा साढ़ें नौ साल का समय

राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित कर सकती हैं. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को यहां हुई बैठक में खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गई. अगस्त, 2018 में केंद्र ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था जिससे सरकार पर 1,175 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था.

यह कदम चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने, गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान में मदद और घरेलू स्तर पर चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया था. देश का चीनी उत्पादन 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है.

चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है. चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 को नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का भंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 1.45 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद है. सामान्य तौर पर उस समय 50 लाख टन के स्टाक की जरूरत होती है.

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सरकार ने 2019-20 में चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी

नई दिल्ली: सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 40 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी. चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी. 

इसके अलावा 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला किया गया है. एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जो मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को देना होता है. 

ये भी पढ़ें- 

राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित कर सकती हैं. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को यहां हुई बैठक में खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गई. अगस्त, 2018 में केंद्र ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था जिससे सरकार पर 1,175 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था. 

यह कदम चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने, गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान में मदद और घरेलू स्तर पर चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया था. देश का चीनी उत्पादन 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है. 

चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है. चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 को नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का भंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 1.45 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद है. सामान्य तौर पर उस समय 50 लाख टन के स्टाक की जरूरत होती है.


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