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करौली: खनन माफियाओं ने अभ्यारण क्षेत्र के पहाड़ों को किया छलनी, अधिकारी मौन

करौली के कैलादेवी वन अभ्यारण में खनन माफियाओं ने अभ्यारण क्षेत्र के पहाड़ों को जेसीबी से छलनी कर दिया है. साथ ही ग्रामीणों ने अधिकारियों पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है.

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खनन माफियाओं ने अभ्यारण क्षेत्र के पहाड़ों को किया छलनी
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Published : May 29, 2021, 4:19 PM IST

करौली. जिले के मंडरायल डांग क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कैलादेवी वन अभ्यारण में खनन माफियाओं ने अभ्यारण क्षेत्र के पहड़ों को जेसीबी चलाकर छलनी कर दिया हैं. साथ ही ग्रामीणों ने अधिकारियों पर खनन माफिया द्वारा किये जा रहे अवैध खनन को लेकर अवगत कराने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि मंडरायल डांग क्षेत्र के कैलादेवी वन अभ्यारण के पहाड़ों पर खनन माफिया दिनदहाड़े जेसीबी चलाकर पहाड़ियों को छलनी करते जा रहे हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारी ऐसे खनन माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाए गहरी नींद में सोए हुए हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर चारदीवारी का कार्य वन विभाग द्वारा करवाया जा रहा है, लेकिन खुद वन विभाग के अधिकारी ही अपने वन क्षेत्र के अंतर्गत की पहाड़ियों से जेसीबी के माध्यम से अवैध खनन करवाते हुए पहाड़ियों को खोखला करने में लगे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- फिर बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम, पेट्रोल 27 पैसे और डीजल 31 पैसे महंगा

बता दें कि अवैध खनन को लेकर पूर्व में भी कई बार मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के नींद नहीं खुलने से आज तक कोई भी कारवाई अवैध खनन माफियाओं के विरुद्ध नहीं की गई है, जिसके कारण अवैध खनन माफियाओं के हौसले बुलंद बने हुए. ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मंडरायल क्षेत्र के शैली वाले हनुमान मंदिर से लेकर भटपुरा गांव की श्मशान घाट तक महज 500 मीटर की दूरी की चारदीवारी का निर्माण करवाने का काम विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने ही चेहते लोगों से करवाया जा रहा हैं और चारदीवारी के लिए काम आने वाले पत्थर भी ठेकेदार द्वारा वन विभाग की पहाड़ियों से अवैध खनन करने के साथ ही चारदीवारी के निर्माण कार्य में घटिया किस्म की सामग्री उपयोग में लेकर लीपापोती करके निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.

घटिया निर्माण को लेकर पूर्ण में भी ग्रामीणों के द्वारा उपवन संरक्षक करौली को शिकायत भिजवाई गई थी, लेकिन अधिकारियों के गहरी नींद में सोए होने के कारण अभी तक किसी प्रकार की कारवाई नहीं की गई है. ग्रामीणों ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों से वन अभ्यारण क्षेत्र की पहाड़ियों से जेसीबी के माध्यम से लगातार हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने और चारदीवारी के घटिया निर्माण की जांच करने की मांग की है.

ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

उपखंड सपोटरा की ग्राम पंचायत गेरई के गांगुरदा गांव में बनाए जा रहे मॉडल तालाब के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग करने की शिकायत करने पर शिकायतकर्ता को ग्राम पंचायत सरपंच ने एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दे डाली. ग्राम पंचायत गेरई के पूर्व सरपंच प्रत्याशी राहुल गांगुरदा ने बताया कि गांव में मॉडल तालाब के निर्माण कार्य में सरपंच द्वारा लीपापोती करके घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करते हुए निर्माण कार्य में बजरी की जगह खुलेआम रेता का इस्तेमाल किया जा रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में बनाये जा रहे तालाब का नाम मॉडल तालाब है, लेकिन मॉडल नाम की कोई भी चीज नहीं है. सरकार की तरफ से काम की जितनी अप्रूवल मिली है, उसका 40 प्रतिशत भी काम नहीं किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें-बांसवाड़ा में ACB का एक्शन : जवाहर नवोदय विद्यालय का कार्यालय अधीक्षक 8500 की रिश्वत लेते गिरफ्तार

जब ग्राम पंचायत सरपंच से घटिया निर्माण को लेकर शिकायत की जाती है तो सरपंच साहब कहते हैं कि वो अपनी मर्जी से काम करते हैं. मॉडल तालाब की डिटेल मांगने पर सरपंच साहब डिटेल भी नहीं बताते हैं और कहते हैं कि आपको इससे कोई मतलब नहीं है. जब हम काम के लिए बोलते हैं तो एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी देते हैं. इस कारण सरपंच के रवैए से नाराज ग्रामीणों ने रोष जाहिर करते हुए उच्च अधिकारियों से निर्माण की जांच कराने की मांग की है.

करौली. जिले के मंडरायल डांग क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कैलादेवी वन अभ्यारण में खनन माफियाओं ने अभ्यारण क्षेत्र के पहड़ों को जेसीबी चलाकर छलनी कर दिया हैं. साथ ही ग्रामीणों ने अधिकारियों पर खनन माफिया द्वारा किये जा रहे अवैध खनन को लेकर अवगत कराने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि मंडरायल डांग क्षेत्र के कैलादेवी वन अभ्यारण के पहाड़ों पर खनन माफिया दिनदहाड़े जेसीबी चलाकर पहाड़ियों को छलनी करते जा रहे हैं, लेकिन वन विभाग के अधिकारी ऐसे खनन माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाए गहरी नींद में सोए हुए हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर चारदीवारी का कार्य वन विभाग द्वारा करवाया जा रहा है, लेकिन खुद वन विभाग के अधिकारी ही अपने वन क्षेत्र के अंतर्गत की पहाड़ियों से जेसीबी के माध्यम से अवैध खनन करवाते हुए पहाड़ियों को खोखला करने में लगे हुए हैं.

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बता दें कि अवैध खनन को लेकर पूर्व में भी कई बार मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के नींद नहीं खुलने से आज तक कोई भी कारवाई अवैध खनन माफियाओं के विरुद्ध नहीं की गई है, जिसके कारण अवैध खनन माफियाओं के हौसले बुलंद बने हुए. ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि मंडरायल क्षेत्र के शैली वाले हनुमान मंदिर से लेकर भटपुरा गांव की श्मशान घाट तक महज 500 मीटर की दूरी की चारदीवारी का निर्माण करवाने का काम विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने ही चेहते लोगों से करवाया जा रहा हैं और चारदीवारी के लिए काम आने वाले पत्थर भी ठेकेदार द्वारा वन विभाग की पहाड़ियों से अवैध खनन करने के साथ ही चारदीवारी के निर्माण कार्य में घटिया किस्म की सामग्री उपयोग में लेकर लीपापोती करके निर्माण कार्य करवाया जा रहा है.

घटिया निर्माण को लेकर पूर्ण में भी ग्रामीणों के द्वारा उपवन संरक्षक करौली को शिकायत भिजवाई गई थी, लेकिन अधिकारियों के गहरी नींद में सोए होने के कारण अभी तक किसी प्रकार की कारवाई नहीं की गई है. ग्रामीणों ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों से वन अभ्यारण क्षेत्र की पहाड़ियों से जेसीबी के माध्यम से लगातार हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने और चारदीवारी के घटिया निर्माण की जांच करने की मांग की है.

ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

उपखंड सपोटरा की ग्राम पंचायत गेरई के गांगुरदा गांव में बनाए जा रहे मॉडल तालाब के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग करने की शिकायत करने पर शिकायतकर्ता को ग्राम पंचायत सरपंच ने एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दे डाली. ग्राम पंचायत गेरई के पूर्व सरपंच प्रत्याशी राहुल गांगुरदा ने बताया कि गांव में मॉडल तालाब के निर्माण कार्य में सरपंच द्वारा लीपापोती करके घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करते हुए निर्माण कार्य में बजरी की जगह खुलेआम रेता का इस्तेमाल किया जा रहा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि गांव में बनाये जा रहे तालाब का नाम मॉडल तालाब है, लेकिन मॉडल नाम की कोई भी चीज नहीं है. सरकार की तरफ से काम की जितनी अप्रूवल मिली है, उसका 40 प्रतिशत भी काम नहीं किया जा रहा है.

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जब ग्राम पंचायत सरपंच से घटिया निर्माण को लेकर शिकायत की जाती है तो सरपंच साहब कहते हैं कि वो अपनी मर्जी से काम करते हैं. मॉडल तालाब की डिटेल मांगने पर सरपंच साहब डिटेल भी नहीं बताते हैं और कहते हैं कि आपको इससे कोई मतलब नहीं है. जब हम काम के लिए बोलते हैं तो एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी देते हैं. इस कारण सरपंच के रवैए से नाराज ग्रामीणों ने रोष जाहिर करते हुए उच्च अधिकारियों से निर्माण की जांच कराने की मांग की है.

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