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शेखावत का तंज, पूछा- स्वामीनाथन रिपोर्ट का 'तकिया' बनाकर क्यों सोती रही कांग्रेस ?

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विपक्षी दलों पर कृषि विधेयकों को लेकर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि जब यूपीए सरकार थी, तब स्वामीनाथन रिपोर्ट का 'तकिया' बनाकर क्यों सोती रही.

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गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस पर साधा निशाना
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Published : Sep 23, 2020, 6:42 PM IST

जोधपुर/जयपुर. स्थानीय सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कृषि कानूनों पर कांग्रेस समेत विपक्ष दलों पर झूठ बोलकर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि यदि आज किसानों की इतनी चिंता हो रही है, तो यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का तकिया बनाकर क्यों सोती रही. शेखावत ने कहा कि कृषि कानून बनाकर नरेंद्र मोदी सरकार ने सही मायनों में किसानों को आजाद करने का काम किया है.

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में शेखावत ने कहा कि बिल को बिना पढ़े हुए केवल विरोध करने के लिए विरोध करना और किसानों को उकसा करके आंदोलन के लिए प्रेरित करना, ये कांग्रेस और विपक्ष का बदनीयती भरा कदम है. झूठ बोलकर किसानों को भड़काना कि इससे न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी. इस तरह का षड्यंत्र रचने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है.

पढ़ें- हर महीने फिटनेस सेंटर की जांच करें अफसर, परिवहन आयुक्त ने अनियमितता पर मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि स्वामीनाथन आयोग ने कहा था कि लागत के ऊपर 50 प्रतिशत लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने इसकी कभी बात नहीं की. ये प्रधानमंत्री मोदी का साहस, उनका 56 इंच का सीना, किसान के प्रति सद्भावना और मन में दर्द था कि उन्होंने किसान को उसका अधिकार दिया. प्रधानमंत्री ने 22 की 22 कॉमोडिटीज, जिनके ऊपर एमएसपी घोषित होता है, पर लाभकारी मूल्य 50 से लेकर 100 प्रतिशत देना सुनिश्चित किया है. इससे किसान को 42 प्रतिशत लाभ हुआ है. केवल मूल्य वृद्धि के कारण से 1.59 लाख करोड़ अतिरिक्त रुपए किसान के घर में गए हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून पर भी भ्रम फैलाकर देश को बांटने की कोशिश की थी. तब उसने कहा था कि बूथ-बूथ तक इस बात को लेकर जाएंगे, लेकिन उसके बूथों की हालत क्या है, सब जानते हैं. शेखावत ने तंज कसा कि झूठ पैदा तो किया जा सकता है, लेकिन उसे दौड़ाया नहीं जा सकता. कांग्रेस CAA की तरह अब कृषि कानूनों पर किसानों में भ्रम फैलाने का काम कर रही है, लेकिन आज का युवा सब जानता है. राज्यसभा में क्या हुआ, सबने देखा है.

उन्होंने सवाल किया कि पंजाब सरकार ने 2017 में मंडियों को मुक्त करने का कानून पास किया था. कांग्रेस के घोषणा पत्र में कृषि कानूनों को लागू करने का वादा किया गया था, लेकिन अब वो केवल भ्रम फैला रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देशहित में दिन-रात काम करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास हो रहा है.

पढ़ें- पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली राहत

राजस्थान का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि राज्य में भाजपा सरकारें सदैव किसान हितैषी रही हैं. किसान के बेटे को व्यापारी हमने बनाया. जोधपुर जीरा मंडी ने हजार गुना ट्रेड वृद्धि की है. अब यहां के किसानों को गुजरात समेत दूसरी जगह फसल बेचने में दिक्कत नहीं होगी. शेखावत ने कहा कि कृषि कानून से केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारी के लिए भी आकाश खुला है, क्योंकि जोधपुर की मंडी में बैठा व्यापारी चाहे तो गुंटूर के किसान से मिर्च, मेघालय से हल्दी तो मेरठ से गुड़ आराम से खरीद सकेगा. उसे भी बिचौलिए से मुक्ति मिली है.

शेखावत ने कहा कि अंग्रेजों की नीतियों के कारण देश में खाद्यान्न की कमी हो गई थी. ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, अर्जेंटिना जैसे देशों से हमें खाद्यान्न निर्यात करना पड़ा. तब कई कानून कॉमोडिटी को रेगूलेट करने के लिए बने थे, जिनमें अब बदलाव की जरूरत थी, क्योंकि पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि मैं वैज्ञानिकों और अन्नदाताओं का अभिनंदन करना चाहता हूं, जिनके परिश्रम से देश न केवल फूड एफिशिएंट अपितु फूड सरप्लस नेशन बना है.

60 से ज्यादा सिंचाई योजनाएं पूरी...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने केवल एमएसपी की बात नहीं की है. उसने कम्प्लीट रिफॉर्म ऑफ एग्रीकल्चर की बात की है. सिंचाई, लैंड रिफॉर्म, वन मार्केट-वन नेशन, खेती के साथ पशुपालन आदि की बात की, जिस पर मोदी सरकार काम कर रही है. सिंचाई के 99 प्रोजेक्ट ऐसे थे, जो वर्षों से लंबित पड़े थे. आज 60 से ज्यादा प्रोजेक्ट या तो पूरे हो गए हैं या लगभग पूरे होने वाले हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पर ड्रोप-मोर क्रॉप का नारा दिया है.

चिंता का विषय घटती जोत...

शेखावत ने कहा कि किसान की जोत लगातार घटती जा रही है. आज औसत देखें तो 80 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जोत 2 एकड़ से कम हो गई है. आने वाले 30 साल में ये चुनौती नहीं बने, इसके लिए अभी से कदम उठाने होंगे. इस दिशा में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार काम कर रही है.

पहले सुना जाएगा किसान का पक्ष...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान निश्चित मूल्य पर खेती करे, ऐसी सुविधा उसको मिलनी चाहिए, लेकिन किसान और जिसके लिए वो काम कर रहा है, दोनों के बीच सहज विश्वास बना रहे. यदि कोई विवाद होता है तो किसान के पक्ष को प्रमुखता से तय समय-सीमा में सुना जाए, इस बात की गारंटी बिल में है. उन्होंने उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति तय करे और प्रोसेसिंग की यूनिट लगाए. वो क्षेत्रों के किसानों से पैकेट करे कि आप मेरे लिए ये फसल लगाएं, मैं आपको निश्चित मूल्य दूंगा. इसमें किसान का भला है या नुकसान है.

उन्होंने कहा कि ये भी हो सकता है कि कभी बाजार में फसल की कीमत गिर जाए तो भी किसान को तय मूल्य मिलेगा. यदि फसल का मूल्य तीन गुना बढ़ जाए तो किसान को स्वतंत्रता होगी कि वो फसल का कुछ हिस्सा कहीं और बेच सकेगा. विवाद पर किसान की जमीन का अधिग्रहण किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकेगा.

इकोनॉमी स्केल पर काम...

उन्होंने कहा कि स्वामीनाथ आयोग ने इकोनॉमी स्केल पर काम की बात की. मोदी सरकार ने फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन बनाए हैं. ऐसे दस हजार आर्गेनाइजेशन का लक्ष्य है. इस पर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया गया. स्वामीनाथ आयोग ने कहा कि किसान की खेती पर निर्भरता घटाकर वैकल्पिक आय बढ़ाने के लिए काम हो.

उन्होंने कहा कि पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, मेड पर पेड़ लगाना, बैम्बू मिशन जैसी योजनाएं सरकार चला रही है. बेंबू का हम 15,000 करोड़ का आयात करते थे, लेकिन पिछले तीन साल में पीएम मोदी के प्रयासों से उसे 50 प्रतिशत तक कम किया गया है.

MSP के साथ प्रोक्योरमेंट बढ़ा...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने एमएसपी के साथ प्रोक्योरमेंट (सरकारी खरीद) में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. प्रोक्योरमेंट में तो 36 से 2.44 लाख प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. यदि दलहन की बात करें तो 2009-2014 तक केवल 3104 करोड़ रुपए का प्रोक्योरमेंट हुआ, लेकिन मोदी सरकार के पांच साल में केवल दलहन-तिलहन का 75 हजार करोड़ रुपए का प्रोक्योरमेंट किया, यानी 25 गुना ज्यादा. उन्होंने कहा कि मूंग का भाव 7000 रुपए प्रति क्विंटल भी होगा, ऐसा किसान ने नहीं सोचा था, पर हमने किया. केवल एमएसपी और प्रोक्योरमेंट बढ़ाने से 3.25 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त किसान के घर में गया.

50 हजार करोड़ तो केवल बीमा से...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीए ने 10 साल में केवल एक बार किसान को 50 हजार करोड़ की ऋण माफी दी. मोदी सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपए तो केवल किसान को फसल बीमा से दिए हैं. किसान सम्मान निधि समेत अन्य योजनाएं अलग हैं. स्वामीनाथन आयोग ने 7 लाख करोड़ के क्रेडिट की बात कही, मोदी सरकार में उसे 11 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने का काम किया जाएगा.

वन नेशन-वन मार्केट...

शेखावत ने बताया कि स्वामीनाथन ने कहा था कि वन नेशन-वन मार्केट के रास्ते में जाना चाहिए. हमने इलेक्ट्रोनिक प्लेटफार्म बनाया, जिसके तहत पिछले एक साल में 35,000 करोड़ का कारोबार हुआ है. राजस्थान के किसान को पहले हरियाणा या दूसरी मंडियों में मुंगफली, जीरा आदि बेचने में कितनी परेशानी आती थी, लेकिन अब वो आराम से अपनी जिंस कहीं भी बेच सकेगा. साथ ही बताया कि भंडारण के अभाव में 90,000 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद होती थी, लेकिन मोदी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए निवेश इस दिशा में हो रहा है. किसान लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए 10000 करोड़ रुपए रखे गए हैं.

राजस्थानी भाषा को मान्यता के प्रयास जारी...

केंद्रीय मंत्री ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने पर कहा कि राज्य के सभी सांसद इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. शीघ्र ही वो दिन आएगा, जब सबको खुशखबरी मिलेगी.

जोधपुर/जयपुर. स्थानीय सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कृषि कानूनों पर कांग्रेस समेत विपक्ष दलों पर झूठ बोलकर किसानों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि यदि आज किसानों की इतनी चिंता हो रही है, तो यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट का तकिया बनाकर क्यों सोती रही. शेखावत ने कहा कि कृषि कानून बनाकर नरेंद्र मोदी सरकार ने सही मायनों में किसानों को आजाद करने का काम किया है.

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में शेखावत ने कहा कि बिल को बिना पढ़े हुए केवल विरोध करने के लिए विरोध करना और किसानों को उकसा करके आंदोलन के लिए प्रेरित करना, ये कांग्रेस और विपक्ष का बदनीयती भरा कदम है. झूठ बोलकर किसानों को भड़काना कि इससे न्यूनतम सर्मथन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी. इस तरह का षड्यंत्र रचने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है.

पढ़ें- हर महीने फिटनेस सेंटर की जांच करें अफसर, परिवहन आयुक्त ने अनियमितता पर मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि स्वामीनाथन आयोग ने कहा था कि लागत के ऊपर 50 प्रतिशत लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने इसकी कभी बात नहीं की. ये प्रधानमंत्री मोदी का साहस, उनका 56 इंच का सीना, किसान के प्रति सद्भावना और मन में दर्द था कि उन्होंने किसान को उसका अधिकार दिया. प्रधानमंत्री ने 22 की 22 कॉमोडिटीज, जिनके ऊपर एमएसपी घोषित होता है, पर लाभकारी मूल्य 50 से लेकर 100 प्रतिशत देना सुनिश्चित किया है. इससे किसान को 42 प्रतिशत लाभ हुआ है. केवल मूल्य वृद्धि के कारण से 1.59 लाख करोड़ अतिरिक्त रुपए किसान के घर में गए हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन कानून पर भी भ्रम फैलाकर देश को बांटने की कोशिश की थी. तब उसने कहा था कि बूथ-बूथ तक इस बात को लेकर जाएंगे, लेकिन उसके बूथों की हालत क्या है, सब जानते हैं. शेखावत ने तंज कसा कि झूठ पैदा तो किया जा सकता है, लेकिन उसे दौड़ाया नहीं जा सकता. कांग्रेस CAA की तरह अब कृषि कानूनों पर किसानों में भ्रम फैलाने का काम कर रही है, लेकिन आज का युवा सब जानता है. राज्यसभा में क्या हुआ, सबने देखा है.

उन्होंने सवाल किया कि पंजाब सरकार ने 2017 में मंडियों को मुक्त करने का कानून पास किया था. कांग्रेस के घोषणा पत्र में कृषि कानूनों को लागू करने का वादा किया गया था, लेकिन अब वो केवल भ्रम फैला रही है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देशहित में दिन-रात काम करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास हो रहा है.

पढ़ें- पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली राहत

राजस्थान का जिक्र करते हुए शेखावत ने कहा कि राज्य में भाजपा सरकारें सदैव किसान हितैषी रही हैं. किसान के बेटे को व्यापारी हमने बनाया. जोधपुर जीरा मंडी ने हजार गुना ट्रेड वृद्धि की है. अब यहां के किसानों को गुजरात समेत दूसरी जगह फसल बेचने में दिक्कत नहीं होगी. शेखावत ने कहा कि कृषि कानून से केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारी के लिए भी आकाश खुला है, क्योंकि जोधपुर की मंडी में बैठा व्यापारी चाहे तो गुंटूर के किसान से मिर्च, मेघालय से हल्दी तो मेरठ से गुड़ आराम से खरीद सकेगा. उसे भी बिचौलिए से मुक्ति मिली है.

शेखावत ने कहा कि अंग्रेजों की नीतियों के कारण देश में खाद्यान्न की कमी हो गई थी. ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, अर्जेंटिना जैसे देशों से हमें खाद्यान्न निर्यात करना पड़ा. तब कई कानून कॉमोडिटी को रेगूलेट करने के लिए बने थे, जिनमें अब बदलाव की जरूरत थी, क्योंकि पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि मैं वैज्ञानिकों और अन्नदाताओं का अभिनंदन करना चाहता हूं, जिनके परिश्रम से देश न केवल फूड एफिशिएंट अपितु फूड सरप्लस नेशन बना है.

60 से ज्यादा सिंचाई योजनाएं पूरी...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने केवल एमएसपी की बात नहीं की है. उसने कम्प्लीट रिफॉर्म ऑफ एग्रीकल्चर की बात की है. सिंचाई, लैंड रिफॉर्म, वन मार्केट-वन नेशन, खेती के साथ पशुपालन आदि की बात की, जिस पर मोदी सरकार काम कर रही है. सिंचाई के 99 प्रोजेक्ट ऐसे थे, जो वर्षों से लंबित पड़े थे. आज 60 से ज्यादा प्रोजेक्ट या तो पूरे हो गए हैं या लगभग पूरे होने वाले हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने पर ड्रोप-मोर क्रॉप का नारा दिया है.

चिंता का विषय घटती जोत...

शेखावत ने कहा कि किसान की जोत लगातार घटती जा रही है. आज औसत देखें तो 80 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जोत 2 एकड़ से कम हो गई है. आने वाले 30 साल में ये चुनौती नहीं बने, इसके लिए अभी से कदम उठाने होंगे. इस दिशा में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार काम कर रही है.

पहले सुना जाएगा किसान का पक्ष...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान निश्चित मूल्य पर खेती करे, ऐसी सुविधा उसको मिलनी चाहिए, लेकिन किसान और जिसके लिए वो काम कर रहा है, दोनों के बीच सहज विश्वास बना रहे. यदि कोई विवाद होता है तो किसान के पक्ष को प्रमुखता से तय समय-सीमा में सुना जाए, इस बात की गारंटी बिल में है. उन्होंने उदाहरण दिया कि एक व्यक्ति तय करे और प्रोसेसिंग की यूनिट लगाए. वो क्षेत्रों के किसानों से पैकेट करे कि आप मेरे लिए ये फसल लगाएं, मैं आपको निश्चित मूल्य दूंगा. इसमें किसान का भला है या नुकसान है.

उन्होंने कहा कि ये भी हो सकता है कि कभी बाजार में फसल की कीमत गिर जाए तो भी किसान को तय मूल्य मिलेगा. यदि फसल का मूल्य तीन गुना बढ़ जाए तो किसान को स्वतंत्रता होगी कि वो फसल का कुछ हिस्सा कहीं और बेच सकेगा. विवाद पर किसान की जमीन का अधिग्रहण किसी भी सूरत में नहीं किया जा सकेगा.

इकोनॉमी स्केल पर काम...

उन्होंने कहा कि स्वामीनाथ आयोग ने इकोनॉमी स्केल पर काम की बात की. मोदी सरकार ने फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन बनाए हैं. ऐसे दस हजार आर्गेनाइजेशन का लक्ष्य है. इस पर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया गया. स्वामीनाथ आयोग ने कहा कि किसान की खेती पर निर्भरता घटाकर वैकल्पिक आय बढ़ाने के लिए काम हो.

उन्होंने कहा कि पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, मेड पर पेड़ लगाना, बैम्बू मिशन जैसी योजनाएं सरकार चला रही है. बेंबू का हम 15,000 करोड़ का आयात करते थे, लेकिन पिछले तीन साल में पीएम मोदी के प्रयासों से उसे 50 प्रतिशत तक कम किया गया है.

MSP के साथ प्रोक्योरमेंट बढ़ा...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने एमएसपी के साथ प्रोक्योरमेंट (सरकारी खरीद) में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. प्रोक्योरमेंट में तो 36 से 2.44 लाख प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. यदि दलहन की बात करें तो 2009-2014 तक केवल 3104 करोड़ रुपए का प्रोक्योरमेंट हुआ, लेकिन मोदी सरकार के पांच साल में केवल दलहन-तिलहन का 75 हजार करोड़ रुपए का प्रोक्योरमेंट किया, यानी 25 गुना ज्यादा. उन्होंने कहा कि मूंग का भाव 7000 रुपए प्रति क्विंटल भी होगा, ऐसा किसान ने नहीं सोचा था, पर हमने किया. केवल एमएसपी और प्रोक्योरमेंट बढ़ाने से 3.25 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त किसान के घर में गया.

50 हजार करोड़ तो केवल बीमा से...

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीए ने 10 साल में केवल एक बार किसान को 50 हजार करोड़ की ऋण माफी दी. मोदी सरकार ने 50 हजार करोड़ रुपए तो केवल किसान को फसल बीमा से दिए हैं. किसान सम्मान निधि समेत अन्य योजनाएं अलग हैं. स्वामीनाथन आयोग ने 7 लाख करोड़ के क्रेडिट की बात कही, मोदी सरकार में उसे 11 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने का काम किया जाएगा.

वन नेशन-वन मार्केट...

शेखावत ने बताया कि स्वामीनाथन ने कहा था कि वन नेशन-वन मार्केट के रास्ते में जाना चाहिए. हमने इलेक्ट्रोनिक प्लेटफार्म बनाया, जिसके तहत पिछले एक साल में 35,000 करोड़ का कारोबार हुआ है. राजस्थान के किसान को पहले हरियाणा या दूसरी मंडियों में मुंगफली, जीरा आदि बेचने में कितनी परेशानी आती थी, लेकिन अब वो आराम से अपनी जिंस कहीं भी बेच सकेगा. साथ ही बताया कि भंडारण के अभाव में 90,000 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद होती थी, लेकिन मोदी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए निवेश इस दिशा में हो रहा है. किसान लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए 10000 करोड़ रुपए रखे गए हैं.

राजस्थानी भाषा को मान्यता के प्रयास जारी...

केंद्रीय मंत्री ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने पर कहा कि राज्य के सभी सांसद इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. शीघ्र ही वो दिन आएगा, जब सबको खुशखबरी मिलेगी.

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