धौलपुर. शहर में सीएए के पक्ष में रविवार को एक निजी विद्यालय में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ. जिसमें शहर के कानून मर्मज्ञ और प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया. कानून मर्मज्ञ लोगों ने सीएए के बारे में आमजन को व्यापक जानकारी देकर जागरूक भी किया.
गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि यह कानून अपनत्व का भाव लिए हुए है. बृज विचार मंच के तत्वावधान में मुख्य वक्ता मुरली मनोहर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की व्यावहारिकता, प्राथमिकता और अवधारणा पर विस्तार से जानकारी दी.
पढ़ेंः 17 साल के हृदेश्वर सिंह गोलाकर शतरंज के यंगेस्ट पेटेंट होल्डर, राष्ट्रपति बाल शक्ति अवार्ड मिलेगा
उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक हमारे हैं और हमारे रहेंगे के भाव को प्रकट किया. उन्होंने विभाजन के समय की जनसंख्या असंतुलन पर कहा कि 1947 में पाकिस्तान में हिंदू 23 फीसदी थे, लेकिन आज मात्र 3 फीसदी रह गए हैं. बांग्लादेश में 30 फीसदी से मात्र 8 फीसदी रह गए.
1947 में पाकिस्तान में 1000 मंदिर थे. अब वहां मात्र 20 मंदिर रह गए हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध शरणार्थी को पहले 11 वर्ष निवास के बाद नागरिकता मिलने का प्रावधान था. इस अधिनियम के बाद यह 5 वर्ष का कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि 1950 के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बीच हुए समझौते की कई बातों को पाकिस्तान ने नहीं माना, जिसका खमियाजा वहां के अल्पसंख्यक वर्ग को भुगतना पड़ा है.
पढ़ेंः जयपुर में सोमवार सुबह आंशिक रूप से बाधित होगी पानी सप्लाई, शाम को होगी सुचारू
गोष्ठी में मौजूद कानून मर्मज्ञ और प्रबुद्ध जनों ने समाज से आह्वान किया कि पूरा समाज देश, धर्म और समाज के लिए जीए और निरंतर रूप से समाज के लिए क्रियाशील रहे. गोष्ठी में जिले भर के कानून मर्मज्ञ और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया.