जयपुर. 21 जून विश्व भर में वर्ल्ड म्यूजिक डे के रूप में (World Music Day 2022) मनाया जाता है. कहते हैं कि म्यूजिक में बड़ी ताकत होती है, जो रोते हुए को हंसा सकता है और उदास मन को खुश करने की क्षमता रखता है. संगीत का स्वास्थ्य को बेहतर रखने में भी एक अहम योगदान बताया जाता है. मेडिकल साइंस में इसे 'म्यूजिक थेरेपी' कहा जाता है. विश्व में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं, जहां म्यूजिक की ताकत के चलते लोग गंभीर बीमारी और अवसाद से उभर कर बाहर आ गए और आम जिंदगी जीने लगे.
चिकित्सा क्षेत्र में भी अब म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से मरीजों को स्वस्थ किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर जयपुर स्थित प्रदेश के सबसे बड़े बच्चों के सरकारी अस्पताल जेके लोन में (Mother Lullaby in JK Lone Hospital Jaipur) एक ऐसा ही मामला देखने को मिला था. जहां बच्चे को म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से स्वस्थ किया गया. जेके लोन अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक और पूर्व अधीक्षक डॉ. अशोक गुप्ता बताते हैं कि एक बच्चा काफी बीमार हालात में जेके लोन अस्पताल में एडमिट हुआ था. यह बच्चा पूरी तरीके से कोमा में जा चुका था और दवाइयां पूरी तरीके से बेअसर हो चुकी थीं.
ऐसे में इलाज करने वाले चिकित्सक असमंजस की स्थिति में थे कि अब (Pediatrician on Music Therapy) क्या किया जाए, लेकिन डॉ. अशोक गुप्ता ने एक खास कनेक्शन उस बच्चे का उसकी मां के साथ देखा. उन्होंने उपाय निकाला कि किसी भी तरीके से एक संगीत के तौर पर बच्चे के कानों में उसकी मां की आवाज पहुंचाई जाए. इसके तहत बच्चे की मां की लोरी मोबाइल के माध्यम से रिकॉर्ड की गई. ईयर फोन के माध्यम से बच्चे को सुनाई गई. चिकित्सकों का यह प्रयोग पूरी तरीके से सफल रहा. लोरी के तौर पर बच्चे के कान में उसकी मां की आवाज जैसे-जैसे पहुंची, उस बच्चे ने चमत्कारिक तरीके से रिएक्ट करना शुरू कर दिया. यानी कोमा से बाहर निकल कर आने की स्थिति शुरू हो चुकी थी.
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यह प्रयोग देखकर चिकित्सकों की टीम और उस मां का आत्मविश्वास और बढ़ गया, जिसका बच्चा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा था. लगातार इस म्यूजिक थेरेपी को उस बच्चे को दिया गया और बच्चा कोमा की स्थिति से बाहर (Music Therapy to Release Stress) आ गया और स्वस्थ हो गया. चिकित्सकों का यह भी कहना है कि म्यूजिक थेरेपी मानसिक रोगों से जुड़े रोगियों के इलाज में भी उपयोग में लाई जा रही है. संगीत आज मनोरंजन के साधन तक सिमट कर नहीं रहा है, बल्कि इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में भी किया जा रहा है.