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विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह : जीवाणुनाशक दवाओं का अधिक इस्तेमाल जानलेवा

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Published : Nov 18, 2021, 9:49 PM IST

विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह वैश्विक एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा होने वाले आपातकाल एवं एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार से बचने के लिए जनता, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं नीति निर्धारकों के बीच बेहतर पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल मनाया जाता है.

एंटीबायोटिक
एंटीबायोटिक

हैदराबाद : विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह (World Antimicrobial Awareness Week -WAAW) हर साल 18 से 24 नवंबर तक मनाया जाता है. इस साल का थीम जागरूकता बढ़ाना, प्रतिरोध पर विराम, हितधारकों, नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और आम जनता को रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के बारे में जानकारी देना है.

एंटीबायोटिक्स क्या हैं

एंटीबायोटिक एक प्रकार की दवाएं हैं जो लोगों और जानवरों में जीवाणु संक्रमण से लड़ती हैं. वे बैक्टीरिया को मारकर या बैक्टीरिया को बढ़ने और फैलने से रोकने में कारगर होते हैं.

विश्व एंटीबायोटिक्स जागरूकता सप्ताह का इतिहास

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) एंटीबायोटिक प्रतिरोध के वैश्विक मुद्दे के इर्द-गिर्द तात्कालिकता की भावना पेश करता है. यदि, इंसान एक ऐसी बीमारी से पीड़ित या संक्रमित होता है, जिसका एंटीबायोटिक दवाओं के साथ पारंपरिक तरीके से इलाज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में उसकी मृत्यु हो सकती है.

WHO ने इसे पूरी दुनिया में एक बढ़ती हुई समस्या के रूप में देखा है, क्योंकि गरीबी से प्रेरित परिस्थितियों ने बीमारियों और संक्रमणों को जन्म दिया जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी थे.

मई 2015 में, विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने इस एंटीबायोटिक प्रतिरोध को एक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल में उन्नत किया. WHO ने इस समस्या का वर्णन इस प्रकार किया कि नए प्रतिरोध तंत्र विश्व स्तर पर उभरने के साथ फैल रहे हैं, जिससे आम संक्रामक रोगों के इलाज की हमारी क्षमता कम होती जा रही है. इस वजह से संक्रमणों की बढ़ती सूची जैसे कि निमोनिया, टीबी, रक्त विषाक्तता, सूजाक और खाद्य जनित रोगों का इलाज मुश्किल और कभी-कभी असंभव होते जा रहे हैं.

WHO ने वैश्विक एंटीबायोटिक प्रतिरोध को लेकर पांच लक्ष्यों को रेखांकित किया है. वे हैं- जागरूकता बढ़ाना, निगरानी और अनुसंधान, संक्रमण को कम करना, रोगाणुरोधी दवाओं का सर्वोत्तम उपयोग करना और टिकाऊ निवेश के लिए प्रतिबद्ध होना.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन लक्ष्यों ने एक एंटीबायोटिक प्रतिरोध ढांचा तैयार किया है, जिसका उपयोग राष्ट्र अपने देशों में चिकित्सा विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को प्राथमिकता देने और संसाधनों को आवंटित करने के लिए कर सकते हैं. इंसानों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध को रोकने के अलावा, राष्ट्रीय कार्य योजनाओं को पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए रोगाणुरोधी दवाएं बनाने के वैश्विक प्रयास करना था. 2017 तक देशों को WHO के स्वास्थ्य सभाओं को रिपोर्ट करना था. तब से, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एंटीबायोटिक प्रतिरोध की व्यापक समस्या पर खबरें भी सामने आने लगे हैं.

एंटीबायोटिक्स को लेने के विभिन्न तरीके

यह गोलियां, कैप्सूल या तरल पदार्थ के रूप में रहता है. इसे क्रीम, स्प्रे या मलहम की तरह अपनी त्वचा पर लगाया भी जाता है. यह आंखों के लिए ऑइंटमेंट, ड्रॉप्स या कान के लिए ईयर ड्रॉप्स भी हो सकता है.

आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमणों के मामले में इंजेक्शन के माध्यम से या अंतःशिरा (intravenously-I.V) के माध्यम से भी लिया जाता है.

एंटीबायोटिक्स के प्रकार

सैकड़ों प्रकार के एंटीबायोटिक्स हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश को मोटे तौर पर छह समूहों में वर्गीकृत किया जाता है.

  • पेनिसिलिन (जैसे पेनिसिलिन और एमोक्सिसिलिन)
  • सेफलोस्पोरिन (जैसे कि सेफैलेक्सिन)
  • अमीनोग्लाइकोसाइड्स (जैसे जेंटामाइसिन और टोब्रामाइसिन)
  • टेट्रासाइक्लिन (जैसे टेट्रासाइक्लिन और डॉक्सीसाइक्लिन)
  • मैक्रोलाइड्स (जैसे एरिथ्रोमाइसिन और क्लैरिथ्रोमाइसिन)
  • फ्लोरोक्विनोलोन (जैसे सिप्रोफ्लोक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन)

एंटीबायोटिक प्रतिरोध

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध आज वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध किसी भी देश में, किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध स्वाभाविक रूप से होता है, लेकिन इंसान और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग तेजी से होने लगा है.
  • निमोनिया, टीबी, सूजाक और साल्मोनेलोसिस जैसे संक्रमणों की बढ़ती संख्या का इलाज करना कठिन होता जा रहा है, क्योंकि उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी साबित हो रही है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध लंबे समय तक अस्पताल में रहने, उच्च चिकित्सा लागत और मृत्यु दर में वृद्धि की ओर जाता है.
  • एंटीबायोटिक्स वे दवाएं हैं, जिनका उपयोग जीवाणु संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग से बैक्टीरिया अपना रूप बदलता है. बैक्टीरिया, इंसान या जानवर नहीं, बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बन जाता है.
  • ये बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं, और उनके कारण होने वाले संक्रमणों का इलाज गैर-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों की तुलना में मुश्किल होता है. एंटीबायोटिक प्रतिरोध उच्च चिकित्सा लागत, लंबे समय तक अस्पताल में रहने और मृत्यु दर में वृद्धि का कारण बनते हैं.
  • दुनिया को जल्द ही एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने और उपयोग करने के तरीके को बदलने की जरूरत है. भले ही नई दवाएं विकसित हो जाएं, व्यवहार में बदलाव के बगैर, एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा.

रोकथाम और नियंत्रण : एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग के साथ-साथ खराब संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण से एंटीबायोटिक प्रतिरोध तेज हो जाता है. प्रभाव को कम करने और प्रतिरोध के प्रसार को सीमित करने के लिए समाज के सभी स्तरों पर कदम उठाए जा सकते हैं.

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने व सीमित करने के लिए बरतें ये एहतियात :

  • प्रमाणित हेल्थ प्रोफेशनल द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक्स ही लें.
  • यदि डॉक्टर कहें कि आपको उनकी आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी एंटीबायोटिक दवाओं की मांग न करें.
  • एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते समय हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह ही मानें.
  • एंटीबायोटिक्स के बकाया डोज को अन्य के साथ साझा न करें.
  • नियमित रूप से हाथ धोने, स्वच्छता से भोजन तैयार करने, बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचने, सुरक्षित यौन संबंध बनाने और टीकाकरण को अद्यतित रखने से संक्रमण को रोकें.
  • WHO की पांच कुंजी का पालन करें. वे हैं- स्वच्छ तरीके से भोजन तैयार करें, अच्छी तरह से खाना पकाएं, भोजन को सुरक्षित तापमान पर रखें, सुरक्षित पानी और ताजी सब्जियों का उपयोग करें.

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, नीति निर्माता सुनिश्चित करें:

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय कार्य योजना लागू करें.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमणों की निगरानी में नीति निर्माता सुधार करें.
  • संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के उपायों की नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यान्वयन को सुदृढ़ बनाएं.
  • गुणवत्तापूर्ण दवाओं के उचित उपयोग और निपटान को विनियमित और बढ़ावा दें.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रभाव पर जानकारी उपलब्ध कराएं.

एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे आम दुष्प्रभाव पाचन तंत्र में देखे जाते हैं, जो कि लगभग 10 में से एक व्यक्ति में होता है.

  • उल्टी.
  • मतली (ऐसा महसूस होना कि आपको उल्टी हो सकती है).
  • दस्त.
  • सूजन और अपच.
  • पेट में दर्द.
  • भूख में कमी.

हैदराबाद : विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह (World Antimicrobial Awareness Week -WAAW) हर साल 18 से 24 नवंबर तक मनाया जाता है. इस साल का थीम जागरूकता बढ़ाना, प्रतिरोध पर विराम, हितधारकों, नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं और आम जनता को रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के बारे में जानकारी देना है.

एंटीबायोटिक्स क्या हैं

एंटीबायोटिक एक प्रकार की दवाएं हैं जो लोगों और जानवरों में जीवाणु संक्रमण से लड़ती हैं. वे बैक्टीरिया को मारकर या बैक्टीरिया को बढ़ने और फैलने से रोकने में कारगर होते हैं.

विश्व एंटीबायोटिक्स जागरूकता सप्ताह का इतिहास

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) एंटीबायोटिक प्रतिरोध के वैश्विक मुद्दे के इर्द-गिर्द तात्कालिकता की भावना पेश करता है. यदि, इंसान एक ऐसी बीमारी से पीड़ित या संक्रमित होता है, जिसका एंटीबायोटिक दवाओं के साथ पारंपरिक तरीके से इलाज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में उसकी मृत्यु हो सकती है.

WHO ने इसे पूरी दुनिया में एक बढ़ती हुई समस्या के रूप में देखा है, क्योंकि गरीबी से प्रेरित परिस्थितियों ने बीमारियों और संक्रमणों को जन्म दिया जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी थे.

मई 2015 में, विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) ने इस एंटीबायोटिक प्रतिरोध को एक अंतरराष्ट्रीय आपातकाल में उन्नत किया. WHO ने इस समस्या का वर्णन इस प्रकार किया कि नए प्रतिरोध तंत्र विश्व स्तर पर उभरने के साथ फैल रहे हैं, जिससे आम संक्रामक रोगों के इलाज की हमारी क्षमता कम होती जा रही है. इस वजह से संक्रमणों की बढ़ती सूची जैसे कि निमोनिया, टीबी, रक्त विषाक्तता, सूजाक और खाद्य जनित रोगों का इलाज मुश्किल और कभी-कभी असंभव होते जा रहे हैं.

WHO ने वैश्विक एंटीबायोटिक प्रतिरोध को लेकर पांच लक्ष्यों को रेखांकित किया है. वे हैं- जागरूकता बढ़ाना, निगरानी और अनुसंधान, संक्रमण को कम करना, रोगाणुरोधी दवाओं का सर्वोत्तम उपयोग करना और टिकाऊ निवेश के लिए प्रतिबद्ध होना.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन लक्ष्यों ने एक एंटीबायोटिक प्रतिरोध ढांचा तैयार किया है, जिसका उपयोग राष्ट्र अपने देशों में चिकित्सा विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को प्राथमिकता देने और संसाधनों को आवंटित करने के लिए कर सकते हैं. इंसानों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध को रोकने के अलावा, राष्ट्रीय कार्य योजनाओं को पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए रोगाणुरोधी दवाएं बनाने के वैश्विक प्रयास करना था. 2017 तक देशों को WHO के स्वास्थ्य सभाओं को रिपोर्ट करना था. तब से, स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एंटीबायोटिक प्रतिरोध की व्यापक समस्या पर खबरें भी सामने आने लगे हैं.

एंटीबायोटिक्स को लेने के विभिन्न तरीके

यह गोलियां, कैप्सूल या तरल पदार्थ के रूप में रहता है. इसे क्रीम, स्प्रे या मलहम की तरह अपनी त्वचा पर लगाया भी जाता है. यह आंखों के लिए ऑइंटमेंट, ड्रॉप्स या कान के लिए ईयर ड्रॉप्स भी हो सकता है.

आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमणों के मामले में इंजेक्शन के माध्यम से या अंतःशिरा (intravenously-I.V) के माध्यम से भी लिया जाता है.

एंटीबायोटिक्स के प्रकार

सैकड़ों प्रकार के एंटीबायोटिक्स हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश को मोटे तौर पर छह समूहों में वर्गीकृत किया जाता है.

  • पेनिसिलिन (जैसे पेनिसिलिन और एमोक्सिसिलिन)
  • सेफलोस्पोरिन (जैसे कि सेफैलेक्सिन)
  • अमीनोग्लाइकोसाइड्स (जैसे जेंटामाइसिन और टोब्रामाइसिन)
  • टेट्रासाइक्लिन (जैसे टेट्रासाइक्लिन और डॉक्सीसाइक्लिन)
  • मैक्रोलाइड्स (जैसे एरिथ्रोमाइसिन और क्लैरिथ्रोमाइसिन)
  • फ्लोरोक्विनोलोन (जैसे सिप्रोफ्लोक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन)

एंटीबायोटिक प्रतिरोध

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध आज वैश्विक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और विकास के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध किसी भी देश में, किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध स्वाभाविक रूप से होता है, लेकिन इंसान और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग तेजी से होने लगा है.
  • निमोनिया, टीबी, सूजाक और साल्मोनेलोसिस जैसे संक्रमणों की बढ़ती संख्या का इलाज करना कठिन होता जा रहा है, क्योंकि उनके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी साबित हो रही है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध लंबे समय तक अस्पताल में रहने, उच्च चिकित्सा लागत और मृत्यु दर में वृद्धि की ओर जाता है.
  • एंटीबायोटिक्स वे दवाएं हैं, जिनका उपयोग जीवाणु संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग से बैक्टीरिया अपना रूप बदलता है. बैक्टीरिया, इंसान या जानवर नहीं, बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बन जाता है.
  • ये बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं, और उनके कारण होने वाले संक्रमणों का इलाज गैर-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों की तुलना में मुश्किल होता है. एंटीबायोटिक प्रतिरोध उच्च चिकित्सा लागत, लंबे समय तक अस्पताल में रहने और मृत्यु दर में वृद्धि का कारण बनते हैं.
  • दुनिया को जल्द ही एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने और उपयोग करने के तरीके को बदलने की जरूरत है. भले ही नई दवाएं विकसित हो जाएं, व्यवहार में बदलाव के बगैर, एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बड़ा खतरा बना रहेगा.

रोकथाम और नियंत्रण : एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग और अति प्रयोग के साथ-साथ खराब संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण से एंटीबायोटिक प्रतिरोध तेज हो जाता है. प्रभाव को कम करने और प्रतिरोध के प्रसार को सीमित करने के लिए समाज के सभी स्तरों पर कदम उठाए जा सकते हैं.

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने व सीमित करने के लिए बरतें ये एहतियात :

  • प्रमाणित हेल्थ प्रोफेशनल द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक्स ही लें.
  • यदि डॉक्टर कहें कि आपको उनकी आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी एंटीबायोटिक दवाओं की मांग न करें.
  • एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते समय हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह ही मानें.
  • एंटीबायोटिक्स के बकाया डोज को अन्य के साथ साझा न करें.
  • नियमित रूप से हाथ धोने, स्वच्छता से भोजन तैयार करने, बीमार लोगों के निकट संपर्क से बचने, सुरक्षित यौन संबंध बनाने और टीकाकरण को अद्यतित रखने से संक्रमण को रोकें.
  • WHO की पांच कुंजी का पालन करें. वे हैं- स्वच्छ तरीके से भोजन तैयार करें, अच्छी तरह से खाना पकाएं, भोजन को सुरक्षित तापमान पर रखें, सुरक्षित पानी और ताजी सब्जियों का उपयोग करें.

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, नीति निर्माता सुनिश्चित करें:

  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय कार्य योजना लागू करें.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमणों की निगरानी में नीति निर्माता सुधार करें.
  • संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के उपायों की नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यान्वयन को सुदृढ़ बनाएं.
  • गुणवत्तापूर्ण दवाओं के उचित उपयोग और निपटान को विनियमित और बढ़ावा दें.
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रभाव पर जानकारी उपलब्ध कराएं.

एंटीबायोटिक दवाओं के सबसे आम दुष्प्रभाव पाचन तंत्र में देखे जाते हैं, जो कि लगभग 10 में से एक व्यक्ति में होता है.

  • उल्टी.
  • मतली (ऐसा महसूस होना कि आपको उल्टी हो सकती है).
  • दस्त.
  • सूजन और अपच.
  • पेट में दर्द.
  • भूख में कमी.
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