नई दिल्ली: यह कहते हुए कि सभी विपक्षी दल अडाणी विवाद पर एकजुट हैं, लोकसभा में कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया कि अगर सरकार ने उनकी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग को स्वीकार नहीं करती है तो उनका विरोध जारी रहेगा.
खलीक ने कहा,' सभी विपक्षी दल एकजुट हैं. सरकार कहती रहती है कि वह सभी भ्रष्ट लोगों और संगठन के खिलाफ कार्रवाई करेगी. लेकिन सरकार अडानी को क्यों बख्श रही है. क्या यह उनके अपने राजनीतिक हित के कारण है. उन्होंने इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक सभी विपक्षी दल अपना धरना जारी रखेंगे.
असम में बाल विवाह के मुद्दे का जिक्र करते हुए खकेक ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा बाल विवाह के खिलाफ खड़ी है. लेकिन असम सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पूरी तरह से मनमानी है. वास्तव में, सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने 2022 में एक बच्चे से शादी की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने पहले शादी की थी, लेकिन अब वे बालिग हैं. खलीक ने कहा, 'वयस्क व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जा सकती है.'
रामदेव के बयान पर एतराज: कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने शुक्रवार को योग गुरु रामदेव के इस कथित बयान कि 'मुसलमानों को केवल नमाज पढ़ना सिखाया जाता है और हिंदू लड़कियों का अपहरण समेत वे सब कुछ करते हैं जो वे करना चाहते हैं' पर कड़ा ऐतराज जताया. खलीक ने नई दिल्ली में ईटीवी भारत से कहा, 'किसी समुदाय को निशाना बनाना और उसकी आलोचना करना अच्छी बात नहीं है. बाबा रामदेव को अपने शब्द वापस लेने चाहिए.'
उन्होंने कहा कि अगर रामदेव मुसलमानों पर आरोप लगा रहे हैं, तो वह हिंदुओं पर क्यों चुप हैं. खलीक ने कहा, 'अंकिता भंडारी का मुसलमानों द्वारा बलात्कार और हत्या नहीं की गई थी. हालांकि, अंकिता एकमात्र मामला नहीं है, ऐसे कई उदाहरण हैं जहां गैर-मुस्लिम शामिल हैं.' इस बीच, सरकार शुक्रवार को लोकसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पेश कर सकती है.
खलीक ने कहा, 'उन्हें समान नागरिक संहिता लागू करने दें, लेकिन ऐसा कोई भी कानून लाने से पहले सभी पार्टियों से सलाह ली जानी चाहिए.' केंद्र में भाजपा समान नागरिक संहिता लाने के लिए प्रतिबद्ध है जो पूरे देश के लिए एक कानून प्रदान करती है और सभी धार्मिक समुदायों के लिए उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने आदि में लागू होती है.