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यूपी विधानसभा चुनाव-2022: अबकी बार किसकी ताजपोशी, 'साइलेंट वोटर' करेंगे फैसला !

भारतीय राजनीति में महिलाएं और उनके मुद्दे हमेशा चर्चा में रहते हैं. पिछले साल बिहार विधानसभा और इस साल प. बंगाल विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने नई सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. चुनाव से पहले इन राज्यों के सर्वे नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के खिलाफ परिणाम बता रहे थे. लेकिन नतीजों ने सबको चौंका दिया. चुनाव विश्लेषकों ने भी माना कि महिला वोटर्स ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई. ये अलग बात है कि चुनाव से पहले महिलाएं मुखर होकर नहीं बोलती हैं. सर्वे में बढ़-चढ़कर भाग नहीं लेती हैं. इन्हें साइलेंट मतदाता भी कहा जाता है. अब यूपी की बारी है. कहा जा रहा है कि यहां भी महिलाएं निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं. पढ़िए एक विश्लेषण.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा
उत्तर प्रदेश में विधानसभा
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Published : Oct 27, 2021, 12:53 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 3:40 PM IST

लखनऊ : वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाओं की उपलब्धियां दर्ज न हों. जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह महिलाएं भी बखूबी कर रही हैं. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अहम मानी जाती रही है. ऐसा देखा गया है कि पहले चुनाव में महिलाएं भाग तो लेती थीं, लेकिन किसी कारणों से राजनीति में कम ही हिस्सा लेती रही हैं. उनपर पारिवारिक और सामाजिक दबाव ज्यादा था. एक-दो महिलाएं राजनीति में नजर आती थीं, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ी. एक तरफ जहां महिलाएं चुनाव मैदान में उतरकर अपनी दावेदारी पेश करने लगीं, तो दूसरी तरफ घूंघट हटाकर 'साइलेंट वोटर' (Silent Voter) बन अपने मताधिकार कर प्रयोग करने के लिए आगे आने लगीं.

महिला वोटर को लुभाने की कोशिश

पिछले कुछ सालों में मतदान में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी को देखते हुए राजनीतिक दलों में उन्हें लुभाने की होड़ मची हुई है. 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने सभी महिलाओं को रोडवेज बसों में यात्रा करने पर आधे किराए में छूट देना, कामकाजी महिलाओं के लिए शहरों में छात्रावासों का निर्माण कराना, साथ ही मुफ्त ई-रिक्शा की व्यवस्था का वादा किया था. वहीं, भाजपा ने प्रदेश के हर गरीब परिवार में बेटी के जन्म पर 50 हजार का विकास बॉन्ड, बेटियों की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि, विधवा पेंशन योजना जैसे लोकलुभावन वादे अपने चुनावी घोषणापत्र में किए थे.

यूपी महिला वोटर
यूपी महिला वोटर

महिलाओं की भागीदारी

2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 41 महिलाएं विधायक बनीं. इसमें से 35 विधायक भाजपा से थीं. कांग्रेस की दो महिला विधायक, बसपा की दो महिला विधायक, सपा की एक महिला विधायक और अपना दल की एक महिला विधायक विधानसभा पहुंचीं. हाल ही में योगी कैबिनेट का विस्तार किया गया. इसमें संगीता बलवंत बिंद को मंत्री बनाया गया है. बता दें कि योगी मंत्रिमंडल में स्वाति सिंह को पहले ही जगह दी गई है.

पढ़ें : कोरोना काल में दर्ज तीन लाख से ज्यादा मुकदमे वापस लेगी योगी सरकार

प्रभावित कर रही हैं महिला मतदाता

साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने वाला है. दिलचस्प बात है कि राज्य में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा होते देखा जा रहा है. साल 2007 में जहां महिलाओं का कुल वोट 41.92 प्रतिशत था. वहीं, साल 2012 में यह बढ़कर 60.28 प्रतिशत और साल 2017 में तो यह 70.53 प्रतिशत तक पहुंच गया. चुनाव आयोग के अनुसार प्रदेश में 7.90 करोड़ पुरुष तो 6.70 करोड़ महिला वोटर हैं. पिछले दो आम चुनावों में जिस तरह से महिला वोट प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई है, उससे साफ होता है कि चुनाव में महिलाएं किसी भी दल की दशा और दिशा बदलने में सक्षम हैं.

साइलेंट वोट बैंक हैं महिलाएं

यूपी महिला वोटर
यूपी महिला वोटर

केंद्र की भाजपा सरकार ने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में महिलाओं को साधने के लिए उज्जवला योजना, शौचालयों का निर्माण, पक्का घर, मुफ्त राशन, महिलाओं को आर्थिक मदद जैसी कई योजनाएं लेकर आई. जिसका असर उत्तर प्रदेश चुनाव में देखने को मिला. मोदी लहर में प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं ने भी 2017 में भाजपा को वोट दिया, जिसका परिणाम रहा कि भाजपा 312 सीटें जीतकर पहली पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रही थी. अब भाजपा की प्रदेश महिला मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई है कि वह 'कमल सहेली क्लब' में 500 महिलाओं को जोड़ें. भाजपा इस क्लब से जुड़ने वाली महिलाओं का उपयोग बूथ स्तर पर चुनाव में किए जाने का प्लान तैयार किया गया है.

पुरुष और महिला वोटर
पुरुष और महिला वोटर

'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा देने वाली कांग्रेस ने महिलाओं से आह्वान किया है कि वह पार्टी से जुड़े और राजनीति करें. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसे मास्टर स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है. वहीं, सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 165 सीटों पर लगभग 30 से 35 सीटों पर महिलाओं को टिकट देने योजना बनाई है. अब देखने वाली बात होगी कि आगामी विधानसभा के रण में साइलेंट वोटर किसको अपना मत देंगी.

लखनऊ : वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां महिलाओं की उपलब्धियां दर्ज न हों. जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह महिलाएं भी बखूबी कर रही हैं. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अहम मानी जाती रही है. ऐसा देखा गया है कि पहले चुनाव में महिलाएं भाग तो लेती थीं, लेकिन किसी कारणों से राजनीति में कम ही हिस्सा लेती रही हैं. उनपर पारिवारिक और सामाजिक दबाव ज्यादा था. एक-दो महिलाएं राजनीति में नजर आती थीं, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला, राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ी. एक तरफ जहां महिलाएं चुनाव मैदान में उतरकर अपनी दावेदारी पेश करने लगीं, तो दूसरी तरफ घूंघट हटाकर 'साइलेंट वोटर' (Silent Voter) बन अपने मताधिकार कर प्रयोग करने के लिए आगे आने लगीं.

महिला वोटर को लुभाने की कोशिश

पिछले कुछ सालों में मतदान में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी को देखते हुए राजनीतिक दलों में उन्हें लुभाने की होड़ मची हुई है. 2017 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने सभी महिलाओं को रोडवेज बसों में यात्रा करने पर आधे किराए में छूट देना, कामकाजी महिलाओं के लिए शहरों में छात्रावासों का निर्माण कराना, साथ ही मुफ्त ई-रिक्शा की व्यवस्था का वादा किया था. वहीं, भाजपा ने प्रदेश के हर गरीब परिवार में बेटी के जन्म पर 50 हजार का विकास बॉन्ड, बेटियों की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि, विधवा पेंशन योजना जैसे लोकलुभावन वादे अपने चुनावी घोषणापत्र में किए थे.

यूपी महिला वोटर
यूपी महिला वोटर

महिलाओं की भागीदारी

2017 यूपी विधानसभा चुनाव में 41 महिलाएं विधायक बनीं. इसमें से 35 विधायक भाजपा से थीं. कांग्रेस की दो महिला विधायक, बसपा की दो महिला विधायक, सपा की एक महिला विधायक और अपना दल की एक महिला विधायक विधानसभा पहुंचीं. हाल ही में योगी कैबिनेट का विस्तार किया गया. इसमें संगीता बलवंत बिंद को मंत्री बनाया गया है. बता दें कि योगी मंत्रिमंडल में स्वाति सिंह को पहले ही जगह दी गई है.

पढ़ें : कोरोना काल में दर्ज तीन लाख से ज्यादा मुकदमे वापस लेगी योगी सरकार

प्रभावित कर रही हैं महिला मतदाता

साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने वाला है. दिलचस्प बात है कि राज्य में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफा होते देखा जा रहा है. साल 2007 में जहां महिलाओं का कुल वोट 41.92 प्रतिशत था. वहीं, साल 2012 में यह बढ़कर 60.28 प्रतिशत और साल 2017 में तो यह 70.53 प्रतिशत तक पहुंच गया. चुनाव आयोग के अनुसार प्रदेश में 7.90 करोड़ पुरुष तो 6.70 करोड़ महिला वोटर हैं. पिछले दो आम चुनावों में जिस तरह से महिला वोट प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई है, उससे साफ होता है कि चुनाव में महिलाएं किसी भी दल की दशा और दिशा बदलने में सक्षम हैं.

साइलेंट वोट बैंक हैं महिलाएं

यूपी महिला वोटर
यूपी महिला वोटर

केंद्र की भाजपा सरकार ने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में महिलाओं को साधने के लिए उज्जवला योजना, शौचालयों का निर्माण, पक्का घर, मुफ्त राशन, महिलाओं को आर्थिक मदद जैसी कई योजनाएं लेकर आई. जिसका असर उत्तर प्रदेश चुनाव में देखने को मिला. मोदी लहर में प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं ने भी 2017 में भाजपा को वोट दिया, जिसका परिणाम रहा कि भाजपा 312 सीटें जीतकर पहली पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रही थी. अब भाजपा की प्रदेश महिला मोर्चा को जिम्मेदारी दी गई है कि वह 'कमल सहेली क्लब' में 500 महिलाओं को जोड़ें. भाजपा इस क्लब से जुड़ने वाली महिलाओं का उपयोग बूथ स्तर पर चुनाव में किए जाने का प्लान तैयार किया गया है.

पुरुष और महिला वोटर
पुरुष और महिला वोटर

'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का नारा देने वाली कांग्रेस ने महिलाओं से आह्वान किया है कि वह पार्टी से जुड़े और राजनीति करें. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसे मास्टर स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है. वहीं, सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 165 सीटों पर लगभग 30 से 35 सीटों पर महिलाओं को टिकट देने योजना बनाई है. अब देखने वाली बात होगी कि आगामी विधानसभा के रण में साइलेंट वोटर किसको अपना मत देंगी.

Last Updated : Oct 27, 2021, 3:40 PM IST
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