कोलंबो : श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में देश के आर्थिक हालातों और राहत के बारे में अवगत कराया. उन्होंने कहा कि देश कई गंभीर चिंताओं का सामना कर रहा है. उन्होंने पेट्रोल के स्टॉक पर चिंता जताते हुए कहा कि देश के पास सिर्फ एक दिन का पेट्रोल रह गया है. इन सब से निपटने के लिए देश को अगले कुछ दिनों में 75 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने होंगे.
श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उनका लक्ष्य किसी व्यक्ति, परिवार या समूह को नहीं बल्कि संकटग्रस्त देश को बचाना है. उनका इशारा राजपक्षे परिवार एवं उसके पूर्व प्रभावशाली नेता महिंदा राजपक्षे की ओर था. पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री बनने के बाद टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने अपने संबोधन में यूनाईटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे (73) ने कहा कि श्रीलंका की समुद्री सीमा में मौजूद पेट्रोल, कच्चे तेल, भट्ठी तेल की खेपों का भुगतान करने के लिए खुले बाजार से अमेरिकी डॉलर जुटाये जाएंगे.
उन्होंने कहा कि श्रीलंका अपने अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जहां रिकॉर्ड महंगाई और लंबे समय तक बिजली बंद रहने के दौरान 22 मिलियन लोगों को भोजन, ईंधन और दवाओं को सुरक्षित करने के लिए गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी सरकार तेल के तीन शिपमेंट के भुगतान के लिए डॉलर जुटाने में भी असमर्थ है. भुगतान के लिए कोलंबो बंदरगाह के बाहर जहाज का इंतजार है.
विक्रमसिंघ को बृहस्पतिवार को श्रीलंका का 26वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, क्योंकि देश सोमवार से ही बिना सरकार के था. तब प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर उनके समर्थकों के हमले के बाद हिंसा भड़क जाने के उपरांत अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. विक्रमसिंघे ने कहा, 'मेरा लक्ष्य देश को बचाना है. मैं यहां किसी व्यक्ति , परिवार या समूह को बचाने के लिए नहीं हूं.'
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उन्होंने कहा कि 2022 के विकास बजट के स्थान पर राहत बजट पेश किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह इन दिनों बहुत घाटे में चल रही श्रीलंका एयरलाइंस का निजीकरण का प्रस्ताव रखेंगे. स्थानीय मीडिया की खबर है कि श्रीलंका एयरलाइंस को 2021 में ही 45 अरब रूपये का नुकसान हुआ. वर्ष 2022 में 31 मार्च तक उसे कुल 372 अरब रूपये का घाटा हुआ. प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम श्रीलंका एयरलाइंस का निजीकरण करते हैं, तो भी हमें घाटा उठाना पड़ेगा. ये घाटा उन निर्दोष लोगों को उठाना होगा जिन्होंने कभी विमान में कदम नहीं रखा.
बता दें कि श्रीलंका 1948 में मिली आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी से ईंधन, रसोई गैस एवं अन्य जरूरी चीजों के लिए लंबी लंबी कतारें लग गयी हैं तथा भारी बिजली कटौती एवं खाने-पीने के बढ़ते दामों ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं. आर्थिक संकट से श्रीलंका में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और प्रभावशाली राजपक्षे की इस्तीफे की मांग होने लगी. राष्ट्रपति गोटबाया ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने पिछले सप्ताह नये प्रधानमंत्री एवं युवा मंत्रिमंडल को नियुक्त किया। नयी सरकार राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती के लिए अहम संवैधानिक सुधार पेश करेगी.
(पीटीआई-इनपुट)