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भाईदूज के दिन शकुंतला की आंखों में सिर्फ आंसू, जानिए क्यों

भाईदूज के दिन आज एक बहन की आंखों में सिर्फ आंसू हैं. उसे पता है कि देश पर जान गंवाने वाला उसका भाई अब कभी लौटकर नहीं आएगा.

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Published : Nov 16, 2020, 3:42 PM IST

shakuntala
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कोलकाता : हर साल शकुंतला भाईदूज के दिन भाई राजेश ओरंग के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगती थी, लेकिन इस बार सिर्फ पुरानी यादें हैं और आंखों में आंसू. उसे पता है कि देश पर जान गंवाने वाला उसका भाई अब कभी लौटकर नहीं आएगा.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के राजेश ओरंग 17 जून को लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. राजेश 2015 में बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. बड़े भाई की शहादत की खबर सबसे पहले बहन शकुंतला के फोन पर ही आई थी. भैफोंटा/भाईदूज का दिन इस बार पहाड़ की तरह बीता.

शकुंतला ने कहा कि भाई हर बार आते थे, लेकिन इस बार न खत्म होने वाला इंतजार है. राजेश ओरंग की मां ने कहा, बेटा दुर्गापूजा पर छुट्टी आया करता था और कालीपूजा तक रहता था. दर्द बयां करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं.

पढे़ं- प. बंगाल : जम्मू-कश्मीर में शहीद बीएसएफ जवान को दी गई अश्रुपूर्ण विदाई

कोलकाता : हर साल शकुंतला भाईदूज के दिन भाई राजेश ओरंग के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगती थी, लेकिन इस बार सिर्फ पुरानी यादें हैं और आंखों में आंसू. उसे पता है कि देश पर जान गंवाने वाला उसका भाई अब कभी लौटकर नहीं आएगा.

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के राजेश ओरंग 17 जून को लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. राजेश 2015 में बिहार रेजीमेंट में भर्ती हुए थे. बड़े भाई की शहादत की खबर सबसे पहले बहन शकुंतला के फोन पर ही आई थी. भैफोंटा/भाईदूज का दिन इस बार पहाड़ की तरह बीता.

शकुंतला ने कहा कि भाई हर बार आते थे, लेकिन इस बार न खत्म होने वाला इंतजार है. राजेश ओरंग की मां ने कहा, बेटा दुर्गापूजा पर छुट्टी आया करता था और कालीपूजा तक रहता था. दर्द बयां करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं.

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