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भाईचारे की मिसाल : सरगुजा का मुस्लिम परिवार बनाता है रावण के पुतले

Surguja Dussehra news: सरगुजा में मुस्लिम परिवार सालों से दशहरे पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाते हैं. पिछली तीन पीढ़ियों से ये परिवार यही काम कर रहा है. रावण का पुतला बनाने वाले मुस्लिम परिवार का कहना है कि हम होली दिवाली सब साथ मनाते हैं.

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Published : Oct 3, 2022, 8:55 PM IST

Ravana effigies being built by Muslim families
सरगुजा का मुस्लिम परिवार बनाता है रावण के पुतले

सरगुजा: अंबिकापुर का दशहरा शांति और आपसी भाई चारे का संदेश देता है. यहां सालों से मुस्लिम परिवार रावण के पुतले का निर्माण करते हैं. सिर्फ अंबिकापुर ही नहीं बल्कि संभाग के अन्य जिलों व कस्बों में भी रावण मुस्लिम परिवार ही बनाते हैं. बड़ी बात यह है की तीन पीढ़ियों से यह परिवार रावण बना रहा है. Ravana effigies being built by Muslim families

सरगुजा में भाईचारे की मिसाल
15 सालों से परिवार बना रहा रावण:
अंबिकापुर में रहने वाले जावेद खान रावण निर्माण का काम करते हैं. पहले इस क्षेत्र में रावण बनाने के लिये बंगाल आए कारीगर बुलाने पड़ते थे. लेकिन जावेद खान के पिता ने ही रावण बनाने का काम शुरू कर दिया था. अंबिकापुर पीजी कॉलेज मैदान में रावण का निर्माण ये परिवार 15 सालों से कर रहा है. जावेद संभाग भर के रावण बनाने का काम कर रहे हैं और जावेद के बेटे शानू खान भी अब तैयार हो चुके हैं और इस परंपरागत काम को आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि शानू अभी एक दो साल से ही इस काम मे आये हैं.

गरबा की पोशाक में नजर आए सीएम बघेल, सपरिवार खेला डांडिया

75 फिट का रावण: शानू कहते हैं "हम लोग तो हर त्योहार होली, दिवाली सब साथ मिलकर मनाते हैं. इसलिए रावण भी बनाते हैं. दादा जी बनाते थे रावण, फिर पिता जी ने शुरू किया अब मैं भी एक दो साल से ये काम कर रहा हूँ. यह रावण 75 फिट ऊंचा बनेगा, मेघनाथ और कुम्भकर्ण 45 - 45 फिट के होंगे". Construction of effigy of Ravana in Ambikapur

शानू खान के पिता जावेद खान ही इस काम को मुख्य रूप से लीड करते हैं. संभाग में विश्रामपुर, बैकुंठपुर व कुशमी जैसे स्थानों पर भी जावेद खान ही रावण निर्माण करा रहे हैं. जावेद वर्तमान में बलरामपुर जिले के कुशमी में रावण बनवा रहे हैं और अम्बिकापुर में देखरेख की जिम्मेदारी अपने बेटे शानू को दे दी है.

देश में एकता का संदेश: देश मे भले ही हिन्दू मुस्लिम के बीच दरारें देखी या बताई जाती हो. लेकिन अंबिकापुर हिंदू और मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक रहा है. यहां मुस्लिम रावण बनाते हैं, मां महामाया का द्वार बनवाने की पहल मुस्लिम पार्षद करते हैं. रामनवमी में भगवान राम की शोभायात्रा में भीड़ को मुस्लिम समाज शरबत और नाश्ता कराता है. मोहर्रम की भीड़ में हिन्दू भाई देखे जाते हैं. इस शहर में अमन और चैन के साथ हिन्दू मुस्लिम रहते हैं. अपने इस तरह के कार्यों से देश में एकता का संदेश देते रहते हैं.

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सरगुजा में भाईचारे की मिसाल
15 सालों से परिवार बना रहा रावण: अंबिकापुर में रहने वाले जावेद खान रावण निर्माण का काम करते हैं. पहले इस क्षेत्र में रावण बनाने के लिये बंगाल आए कारीगर बुलाने पड़ते थे. लेकिन जावेद खान के पिता ने ही रावण बनाने का काम शुरू कर दिया था. अंबिकापुर पीजी कॉलेज मैदान में रावण का निर्माण ये परिवार 15 सालों से कर रहा है. जावेद संभाग भर के रावण बनाने का काम कर रहे हैं और जावेद के बेटे शानू खान भी अब तैयार हो चुके हैं और इस परंपरागत काम को आगे बढ़ा रहे हैं. हालांकि शानू अभी एक दो साल से ही इस काम मे आये हैं.

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75 फिट का रावण: शानू कहते हैं "हम लोग तो हर त्योहार होली, दिवाली सब साथ मिलकर मनाते हैं. इसलिए रावण भी बनाते हैं. दादा जी बनाते थे रावण, फिर पिता जी ने शुरू किया अब मैं भी एक दो साल से ये काम कर रहा हूँ. यह रावण 75 फिट ऊंचा बनेगा, मेघनाथ और कुम्भकर्ण 45 - 45 फिट के होंगे". Construction of effigy of Ravana in Ambikapur

शानू खान के पिता जावेद खान ही इस काम को मुख्य रूप से लीड करते हैं. संभाग में विश्रामपुर, बैकुंठपुर व कुशमी जैसे स्थानों पर भी जावेद खान ही रावण निर्माण करा रहे हैं. जावेद वर्तमान में बलरामपुर जिले के कुशमी में रावण बनवा रहे हैं और अम्बिकापुर में देखरेख की जिम्मेदारी अपने बेटे शानू को दे दी है.

देश में एकता का संदेश: देश मे भले ही हिन्दू मुस्लिम के बीच दरारें देखी या बताई जाती हो. लेकिन अंबिकापुर हिंदू और मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक रहा है. यहां मुस्लिम रावण बनाते हैं, मां महामाया का द्वार बनवाने की पहल मुस्लिम पार्षद करते हैं. रामनवमी में भगवान राम की शोभायात्रा में भीड़ को मुस्लिम समाज शरबत और नाश्ता कराता है. मोहर्रम की भीड़ में हिन्दू भाई देखे जाते हैं. इस शहर में अमन और चैन के साथ हिन्दू मुस्लिम रहते हैं. अपने इस तरह के कार्यों से देश में एकता का संदेश देते रहते हैं.

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