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एक नाला जो ₹13,00 करोड़ पीकर भी नहीं बन पाया नदी

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Published : Sep 30, 2021, 2:29 AM IST

जयपुर में अमानीशाह नाले को द्रव्यवती नदी बनाने का सपना पूर्वर्ती बीजेपी सरकार का था. यह ड्रीम प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है. द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स को ये काम 2018 तक पूरा करना था. लेकिन डेडलाइन बदलती जा रही है. महज 10 फ़ीसदी काम के कारण द्रव्यवती के हाल बदतर होते जा रहे हैं. इसमें भारी मात्रा में कचरा और शैवाल जमा हो रही है. 1300 करोड़ खर्च करने के बाद भी द्रव्यवती नदी नाला ही बनी हुई है.

द्रव्यवती नदी
द्रव्यवती नदी

जयपुर : राजस्थान की राजधानी जयपुर के बीचोबीच से गुजरने वाले अमानीशाह नाले को दोबारा द्रव्यवती नदी बनाने का सफर चार साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन ये सफर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जमीन विवाद और कांट्रैक्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते प्रोजेक्ट का 10 फीसदी काम अटका पड़ा है.

आलम ये है कि कई जगह अब नदी की स्थिति नाले से भी बदतर हो गई है या यूं कहें कि शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट की दुर्गति हो रही है. 47 किलोमीटर लंबी इस द्रव्यवती नदी में कुल पांच एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं. लेकिन नगर निगम के डेहलावास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से अभी भी अनट्रीटेड पानी लगातार नदी में आ रहा है. द्रव्यवती नदी के कई मुहाने तो ऐसे हैं, जहां भारी मात्रा में कचरा और शैवाल जमा हो रही है, जो अब बीमारियों को भी न्योता दे रही है.

नाले को नदी में बदलने की कवायद

गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट मॉडल की तर्ज पर 47 किलोमीटर द्रव्यवती नदी परियोजना से जयपुर की सुंदरता निखारने का प्रयास था. लेकिन 1470 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली द्रव्यवती नदी का 16 किलोमीटर के काम का उद्घाटन हो पाया. जो काम अभी अधूरा है, उसे अब इसी साल दिसंबर तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है.

नाले को नदी में बदलने की कवायद
नाले को नदी में बदलने की कवायद

जेडीसी गौरव गोयल के अनुसार, 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. तीन फ्रंट पर प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है और एक जगह नगर निगम को अतिक्रमण हटाना है. इसके अलावा जहां वर्कफ्रंट उपलब्ध है वहां जो काम बचे हुए थे, उनसे जुड़े प्रकरणों को निस्तारित कर लिया गया है. संबंधित फर्म ने एक वर्क प्लान तैयार किया है. जिसके तहत कोर्ट स्टे प्रभावित क्षेत्र को छोड़ते हुए 31 दिसंबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा. जनवरी 2022 में द्रव्यवती रिवर फ्रंट को आमजन के लिए पूरी तरह खोल दिया जाएगा.

नाले को नदी में बदलने की कवायद
नाले को नदी में बदलने की कवायद

उधर, नगर निगम प्रशासन को हसनपुरा में करीब 350 मीटर सीमा क्षेत्र में नदी की दीवार बनानी है. लेकिन वहां से अतिक्रमण को अब तक नहीं हटाया गया है. नदी के आसपास कचरा संग्रहण सिस्टम को भी मजबूत करना होगा. इसे लेकर निगम कमिश्नर अवधेश मीणा ने कहा कि इस संबंध में प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक मीटिंग होनी है, उसमें जो भी फैसले लिए जाएंगे, उसे निगम प्रशासन धरातल पर उतारेगा.

द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा
द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा

इस प्रोजेक्ट से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती शहर को 100% सीवर लाइन से जोड़ने की है. इसके अलावा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी इंडस्ट्रियल वेस्ट नदी में आने से रोकने की कार्रवाई करनी है.

द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा
द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा

यह भी पढ़ें- यमुना नदी में गंदा पानी जाने देने वाले अधिकारियों पर हो कार्रवाई : इलाहाबाद हाईकोर्ट

बहरहाल, द्रव्यवती के 10 साल के रखरखाव पर करीब 206 करोड़ भी खर्च होने हैं. लेकिन अभी तो इसका निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में पर्यटन व्यवसाय के साथ द्रव्यवती नदी को जोड़कर देखा जाना भी फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. यानी अब तक 1300 करोड़ रुपये पीकर भी यह नाला नदी नहीं बन सका है.

जयपुर : राजस्थान की राजधानी जयपुर के बीचोबीच से गुजरने वाले अमानीशाह नाले को दोबारा द्रव्यवती नदी बनाने का सफर चार साल पहले शुरू हुआ था. लेकिन ये सफर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. जमीन विवाद और कांट्रैक्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते प्रोजेक्ट का 10 फीसदी काम अटका पड़ा है.

आलम ये है कि कई जगह अब नदी की स्थिति नाले से भी बदतर हो गई है या यूं कहें कि शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट की दुर्गति हो रही है. 47 किलोमीटर लंबी इस द्रव्यवती नदी में कुल पांच एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं. लेकिन नगर निगम के डेहलावास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से अभी भी अनट्रीटेड पानी लगातार नदी में आ रहा है. द्रव्यवती नदी के कई मुहाने तो ऐसे हैं, जहां भारी मात्रा में कचरा और शैवाल जमा हो रही है, जो अब बीमारियों को भी न्योता दे रही है.

नाले को नदी में बदलने की कवायद

गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट मॉडल की तर्ज पर 47 किलोमीटर द्रव्यवती नदी परियोजना से जयपुर की सुंदरता निखारने का प्रयास था. लेकिन 1470 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाली द्रव्यवती नदी का 16 किलोमीटर के काम का उद्घाटन हो पाया. जो काम अभी अधूरा है, उसे अब इसी साल दिसंबर तक पूरा करने का दावा किया जा रहा है.

नाले को नदी में बदलने की कवायद
नाले को नदी में बदलने की कवायद

जेडीसी गौरव गोयल के अनुसार, 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है. तीन फ्रंट पर प्रकरण न्यायालय में प्रक्रियाधीन है और एक जगह नगर निगम को अतिक्रमण हटाना है. इसके अलावा जहां वर्कफ्रंट उपलब्ध है वहां जो काम बचे हुए थे, उनसे जुड़े प्रकरणों को निस्तारित कर लिया गया है. संबंधित फर्म ने एक वर्क प्लान तैयार किया है. जिसके तहत कोर्ट स्टे प्रभावित क्षेत्र को छोड़ते हुए 31 दिसंबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा. जनवरी 2022 में द्रव्यवती रिवर फ्रंट को आमजन के लिए पूरी तरह खोल दिया जाएगा.

नाले को नदी में बदलने की कवायद
नाले को नदी में बदलने की कवायद

उधर, नगर निगम प्रशासन को हसनपुरा में करीब 350 मीटर सीमा क्षेत्र में नदी की दीवार बनानी है. लेकिन वहां से अतिक्रमण को अब तक नहीं हटाया गया है. नदी के आसपास कचरा संग्रहण सिस्टम को भी मजबूत करना होगा. इसे लेकर निगम कमिश्नर अवधेश मीणा ने कहा कि इस संबंध में प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक मीटिंग होनी है, उसमें जो भी फैसले लिए जाएंगे, उसे निगम प्रशासन धरातल पर उतारेगा.

द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा
द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा

इस प्रोजेक्ट से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती शहर को 100% सीवर लाइन से जोड़ने की है. इसके अलावा पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को भी इंडस्ट्रियल वेस्ट नदी में आने से रोकने की कार्रवाई करनी है.

द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा
द्रव्यवती नदी के किनारे जमा कचरा

यह भी पढ़ें- यमुना नदी में गंदा पानी जाने देने वाले अधिकारियों पर हो कार्रवाई : इलाहाबाद हाईकोर्ट

बहरहाल, द्रव्यवती के 10 साल के रखरखाव पर करीब 206 करोड़ भी खर्च होने हैं. लेकिन अभी तो इसका निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में पर्यटन व्यवसाय के साथ द्रव्यवती नदी को जोड़कर देखा जाना भी फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आ रहा है. यानी अब तक 1300 करोड़ रुपये पीकर भी यह नाला नदी नहीं बन सका है.

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