हैदराबाद : उपचुनाव के नतीजे आने के बाद केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लग रही एक्साइज ड्यूटी में कमी का एलान किया. पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई गई. हालांकि इसके बाद भी उपभोक्ता पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल 21.80 रुपये की एक्साइज ड्यूटी अदा कर ही रहे हैं. इस कमी से पहले केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही थी.
बीजेपी शासित राज्यों में वैट कटौती के बाद कांग्रेस पर दबाव
इनकी कीमतों में राजनीति तो केंद्र की घोषणा के बाद शुरू हो गई. प्रियंका गांधी ने इसे दिल से नहीं, बल्कि दर्द से लिया गया फैसला बताया. उनकी प्रतिक्रिया के बाद एनडीए शासित 9 राज्यों गुजरात, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड, मणिपुर, असम, बिहार हरियाणा और 3 केंद्रशासित प्रदेश ने राज्यों की तरफ से वसूली जाने वाली वैट (VAT) में कमी की घोषणा की. उड़ीसा की बीजू जनता दल की सरकार ने भी वैट में तत्काल 3 रुपये की छूट दे दी.
राज्यों में वैट तय करना राज्य सरकार के हाथों में
सभी राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट वसूलती है. सभी राज्यों में इसके वैट के रेट अलग-अलग (13 से 36 प्रतिशत) हैं. इसके अलावा आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में सरकार वैट के अलावा स्थानीय सेस भी वसूलती है. इसके बाद कांग्रेस और गैर एनडीए शासित राज्यों पर भी वैट में कमी करने का दबाव बढ़ने लगा है. बता दें पेट्रोल की अंतिम कीमत के कच्चे तेल की ढुलाई, केंद्र सरकार का टैक्स, राज्य सरकार का वैट और डीलर का कमीशन जोड़ने के बाद तय होता है. अगर पेट्रोल की कीमत 101 रुपये है तो राज्यों की तरफ से वसूले जाने वाली वैट की रकम 19 से 24 रुपये प्रति लीटर होती है.
महाराष्ट्र और राजस्थान में वैट अब सबसे ज्यादा
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से कमी करने के बाद अब राजस्थान और महाराष्ट्र पेट्रोल-डीजल पर सबसे अधिक वैट वसूलने वाले राज्य बन गए हैं. राजस्थान अभी पेट्रोल पर 36 फीसदी और डीजल पर 26 फीसदी वैल्यू एडेड टैक्स वसूल रहा है. इसके अलावा राज्य के उपभोक्ताओं को रोड डिवेलपमेंट सेस भी देना पड़ रहा है. महाराष्ट्र सरकार भी पेट्रोल पर 25 प्रतिशत वैट के अलावा प्रति लीटर 10.12 रुपये सेस वसूल रही है. वहां डीजल खरीदने वाले उपभोक्ता 21 प्रतिशत वैट के अलावा 3 रुपये प्रति लीटर का सेस भी राज्य सरकार की झोली में डाल रहे हैं. अभी महाराष्ट्र और राजस्थान में पेट्रो फ्यूल सबसे अधिक महंगा है.
दक्षिण भारत में वैट वसूली का हाल
दक्षिण भारत के राज्यों में वैट का रेट अधिक है. आंध्रप्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की सरकार पेट्रोल पर 31 फीसदी और डीजल पर 26 फीसद का वैट वसूल रही है. इसके अलावा वह इन दोनों फ्यूल में प्रति लीटर 5 रुपये का सरचार्ज भी वसूल रही है. तेलगांना में उपभोक्ता पेट्रोल पर 35.20 प्रतिशत और डीजल पर 27 प्रतिशत वैल्यू एडेड टैक्स दे रहे हैं. तमिलनाडु में पेट्रोल पर वैट 13 फीसदी है मगर सरकार प्रति लीटर 11.52 रुपये सेस वसूल रही है. स्टालिन की सरकार डीजल पर 11 प्रतिशत वैट के अलावा प्रति लीटर 9.52 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स वसूल रही है. सबसे कम वैट लेने वाला अंडमान निकोबार है, जहां पेट्रोल पर 4.82 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर 4.74 प्रति लीटर वैट वसूला जाता है.
यह उपचुनाव ही नहीं नवीन पटनायक का असर भी है
विश्लेषकों के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार ने उपचुनाव में हार के बाद 5 राज्यों में चुनाव से पहले हालात काबू में करने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती का फैसला किया है. मगर सूत्र बताते हैं कि इसमें एनडीए से दूर रहकर भी केंद्र को फजीहत से बचाने वाले उड़ीसा के सीएम नवीन पटनायक का बड़ा रोल रहा है. बताया जाता है कि नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार को इस कमी के लिए राजी किया. उन्होंने रेट कम नहीं होने पर राज्यसभा में सपोर्ट करने से साफ इनकार किया था. बीजेडी के युवा इकाई ने पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने के लिए 10 दिन की मोहलत दी थी. अब बीजू जनता दल रसोई गैस की कीमत कम कराने पर अड़ा है.
रसोई गैस की कीमत क्यों कम नहीं कर रही है सरकार
एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के कारण रसोई गैस की कीमत लगातार बढ़ रही है. बीपीएल कैटिगरी के चुनिंदा कनेक्शन को छोड़कर सब्सिडी खत्म कर दी गई है. दिल्ली में घरेलू एलपीजी सिलेंडर (14.2 किलो) 899.50 रुपये में मिल रहा है, जो बीते साल 1 नवंबर को 594 रुपये का था. एक साल पहले कोलकाता में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की 620.50 रुपये थी, अब 926 रुपये में मिल रहा है. मुंबई में भी घरेलू गैस की कीमत बीते एक साल में 300 रुपये से अधिक बढ़कर 899.50 रुपये हो गई है. चेन्नई में पिछले साल 610 रुपये मिलने वाला गैस सिलेंडर फिलहाल 915.50 रुपये में बिक रहा है.
महंगी एलपीजी में राज्यों का रोल नहीं
रसोई गैस की कीमत एलपीजी कंपनियां देश में बॉटलिंग, स्थानीय ढुलाई, मार्केटिंग कॉस्ट, ओएमसी के लिए मार्जिन, डीलर कमीशन और जीएसटी आदि जोड़कर गैस की कीमत तय करती है. 14.2 किलो के एक सिलेंडर पर कुल डीलर डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन 61.84 रुपये है. इसमें इस्टैब्लिशमेंट चार्ज 34.24 रुपये और डिलवरी चार्ज 27.60 रुपये शामिल है. एलपीजी ( LPG) सिलेंडर पर कुल 5 प्रतिशत जीएसटी लगती है. 2.5 पर्सेंट केंद्र सरकार और 2.5 पर्सेंट राज्य सरकार वसूलती है. यानी इसके महंगे होने में सबसे बड़ा रोल एक्साइज ड्यूटी की है, जो सीधे-सीधे केंद्र सरकार के खाते में जाता है.
28 शहरों में आया नया कंपोजिट सिलेंडर
फिलहाल पेट्रोल-डीजल के वैट में कटौती को लेकर दबाव में आया विपक्ष भी रसोई गैस की कीमत को भूल गया है. सरकार ने भी इसकी कीमत कम करने के संकेत नहीं दिए हैं यानी 28.8 करोड़ लोगों की रोजमर्रा की जरूरत महंगी ही रहेगी. हालांकि सरकार ने अभी नया फाइबर ग्लास वाला कंपोजिट सिलेंडर लॉन्च कर दिया है. अभी देश के 28 शहरों अहमदाबाद, अजमेर, इलाहाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोयम्बटूर, दार्जिलिंग, दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, जमशेदपुर, लुधियाना, मैसूर, पटना, रायपुर, रांची, संगरूर, सूरत, तिरुचिराप्पल्ली, तिरुवल्लूर, तुमकुर, वाराणसी और विशाखापट्टनम में यह मिल रहा है.
कंपोजिट सिलेंडर में भी गैस सस्ती नहीं
कंपोजिट सिलेंडर में भी गैस सस्ती नहीं है. दरअसल यह 10 किलो और 5 किलोग्राम की कैटिगरी में उपलब्ध होगा. इसकी खासियत यह कि 10 किलोग्राम वाले सिलेंडर में उपलब्ध होगा और गैस की कीमत 634 रुपये होगी. अभी 14.2 किलोग्राम गैस के लिए उपभोक्ता करीब 980 रुपये दे रहे हैं. उपभोक्ता अपने पुराने सिलेंडर को चेंज कर नया कंपोजिट सिलेंडर ले सकते हैं. नए सिलेंडर के रेट में पुरानी सिक्युरिटी मनी की रकम माइनस कर दी जाएगी. जो पुराने सिलेंडर रखना चाहते हैं, उन्हें नए 10 किलो वाले कंपोजिट सिलेंडर 3350 रुपये और 5 किलो के सिलेंडर के लिए 2150 रुपये की सिक्युरिटी मनी जमा करने होगी.