हैदराबाद : बीते साल गलवान घाटी के भारतीय क्षेत्र को अपना बताने के साथ उस पर जबरन अपना कब्जा करने की 15 जून को चीन कोशिश कर रहा था. उस दौरान लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई चीन के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
आज भी शहीद हुए भारतीय जवानों की याद लोगों के जेहन में ताजा है. भारत के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले इन वीर सपूतों ने चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया था. खास बात यह भी थी कि शहीद हुए 20 भारतीय सैनिक देश के विभिन्न हिस्सों से आए थे. इतना ही नहीं इनमें से प्रत्येक सैनिक के जीवन पर एक कहानी बनाई जा सकती है. इसमें उन सैनिकों के उनके निजी जीवन के कुछ रोचक किस्सों को शामिल किया जा सकता है.
इसमें इन बिंदुओं को भी शामिल किया जा सकता है कि कुछ राज्य सरकारों ने शहीदों को लाभ देने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने अपने इस वादे को पूरा किया या नहीं, इस बारे में जानकारी दी जा सकती है. साथ ही गलवान घाटी में बेहद खराब मौसम के बीच भारतीय जवानों ने किस तरह चीनी सैनिकों से न केवल लड़ाई लड़ी, बल्कि उनकों पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया. इन बातों का भी सैनिकों की वीर गाथा में समावेश किया जा सकता है.
गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई थी झड़प
पिछले साल 15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं इस पर चीन ने भी स्वीकार किया था कि इस झड़प में उसके पांच अधिकारी मारे गए थे. इससे पहले दिन चीन ने पांच अधिकारियों और सैनिकों-क्यूई फेबाओ और चार सैनिकों-चेन होंगजुन, चेन जियानग्रोंग, जिओ सियुआन और वांग झूओरन को मारे जाने की बात स्वीकार की थी, जिन्हें गलवान की घटना में वीरता प्रदर्शित करने के लिए सम्मानित भी किया गया.
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