श्रीनगर : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कोर्ट ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और कश्मीरी अलगाववादी नेताओं मुहम्मद यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम के खिलाफ जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग केस में आतंकवाद निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है. एनआईए कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों के लिए फंडिंग पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने की. इसके लिए राजनयिक मिशन का भी इस्तेमाल किया गया. आतंकियों को वित्तीय मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद (Hafiz Saeed international militant) ने भी पैसा भेजा. मलिक 10 अप्रैल 2019 से, शाह 25 जुलाई 2017 से और आलम 1 सितंबर 2015 से हिरासत में है. सलाहुद्दीन और हाफिज सईद फिलहाल पाकिस्तान में हैं.
एनआईए कोर्ट ने शनिवार को यह आदेश जारी किया. अदालत ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया. भारतीय दंड संहिता और यूएपीए जिसमें आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना, गैरकानूनी गतिविधियां आदि शामिल हैं.
एनआईए के विशेष जज प्रवीण सिंह ने 16 मार्च को जारी आदेश में कहा, 'गवाहों के बयान और दस्तावेजी सबूतों से यह स्पष्ट है कि सभी आरोपियों ने आतंकियों और आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद की. इनके पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों से घनिष्ठ संबंध हैं.
पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर का भी नाम
कोर्ट ने कहा कि बहस के दौरान किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू और कश्मीर को सरकार से अलग करने की वकालत नहीं की है. गवाहों ने बयान दिया है कि उनका केवल एक ही उद्देश्य था और वह था भारत सरकार से जम्मू और कश्मीर का अलगाव. गवाहों ने आरोपी शब्बीर शाह, यासीन मलिक, जहूर अहमद शाह वटाली, नईम खान और बिट्टा कराटे को ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) और जेआरएल से जोड़ा है. एक अन्य गवाह ने पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर को भी इससे जोड़ा है. रशीद से लेकर जहूर अहमद शाह वटाली तक एपीएजसी और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान / एजेंसियों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं.
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश में जो कुछ भी कहा गया है वह प्रथम दृष्टया राय है. दोनों पक्षों द्वारा बहुत विस्तार से तर्क दिए गए थे. एनआईए कोर्ट ने कहा कि घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और आरोपी हाफिज सईद द्वारा आतंकी फंडिंग के लिए पैसा भेजा गया था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अनुसार, विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) ने पाकिस्तान के आईएसआई के समर्थन से भारत में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया.
1993 में हुआ था हुर्रियत का गठन
एनआईए ने कोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को एक राजनीतिक मोर्चा देने के लिए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का गठन किया गया था. एनआईए की चार्जशीट में कहा गया है कि केंद्र सरकार को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि हाफिज सईद, जमात-उद-दावा और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों सहित अलगाववादी नेता लश्कर और एचएम जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के सक्रिय आतंकवादियों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं. हवाला सहित विभिन्न माध्यम से विदेशों में धन जुटाया जा रहा, विदेशों से धन लिया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल भारत में गड़बड़ी और हिंसा फैलाने के लिए किया जा रहा है.
एनआईए ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के किया गया है. उन्होंने सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाकर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, घाटी में व्यवधान पैदा करने की बड़ी साजिश की है यह भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना जैसा है. गृह मंत्रालय ने एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है. एनआईए द्वारा आईपीसी की धारा 120 बी, 121, 121 ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत भी मामला दर्ज किया गया. एनआईए ने कहा कि जांच के दौरान यह भी पता चला कि एपीएचसी और अन्य अलगाववादी आम जनता, विशेषकर युवाओं को सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए उकसाते हैं. एनआईए ने यह भी कहा कि जांच से पता चला है कि अलगाववादियों को पाकिस्तान से चंदा मिल रहा था.
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