कोटा. राजस्थान में हत्या, दुष्कर्म, चोरी, लूट और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे आपराधिक कृत्यों की सजा काट रहे मुजरिमों को भी रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं. पहले भी इनके लिए कोटा सेंट्रल जेल में पेट्रोल पंप संचालित किया गया है, जहां बंदी वाहनों में ईंधन भरते नजर आ रहे हैं. राजस्थान का पहला आर्केस्ट्रा बैंड भी कोटा सेंट्रल जेल में संचालित हो रहा है. इसके बाद अब कोटा सेंट्रल जेल में ब्रास बैंड भी बनाया जा रहा है. इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. ब्रास बैंड को शादी व पार्टी की बुकिंग पर ले जाया जाएगा. यहां बारात में भी बंदी बाजा बजाते नजर आएंगे.
जेल प्रशासन ने दिया है सुधार का मौका : हत्या के मामले में सजा काट रहे राजेंद्र गुर्जर का कहना है (kota Central Jail Prisoners) कि जेल प्रशासन ने पेट्रोल पंप पर बढ़िया नौकरी दी है. पहले काम के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता था, लेकिन अब पास में ही हमें काम मिल गया है. मैंने 11 साल की सजा काट ली है, अब 3 साल की सजा बची है. दूसरे कैदी सुकेत निवासी जाफर जलालुद्दीन का कहना है कि मुझे आजीवन कारावास की सजा हुई थी. अब पेट्रोल पंप पर काम कर ट्रेनिंग ले रहा हूं. जब सजा पूरी होगी तब बाहर जाकर किसी अन्य पेट्रोल पंप पर भी काम कर सकेंगे. तालेड़ा निवासी एनडीपीएस एक्ट के कैदी सुनील पांचाल का कहना है कि वो 5 जून 2015 से जेल में बंद है. एनडीपीएस के केस में 12 साल की सजा हुई थी. 8 साल की सजा काट ओपन जेल में आया हूं. जेल डिपार्टमेंट ने काम करने का मौका दिया है.
लाखों का हिसाब-किताब खुद रख रहे : पेट्रोल पंप पर ईंधन भरवाने आने वाले लोगों (Kota Prisoners At petrol Pump) से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से लेकर सारा हिसाब किताब बंदी खुद ही रखते हैं. दिन भर होने वाली ईंधन की बिक्री का पैसा खुद के पास रखते हैं. शाम को पंप पर लगे जेल के स्टाफ को जमा करवा कर जाते हैं.
अपराध करने के पहले करते थे बैंड में ड्यूटी : सेंट्रल जेल के सुपरिटेंडेंट पीएस सिद्धू का कहना है (Prisoners will play band in marriages) कि 21 बंदियों को बैंड संचालन की ट्रेनिंग दी जा रही है. यह आपस में ही ट्रेनिंग ले रहे हैं. एक कैदी अकरम और रमेश पहले बैंड वादन का काम करता था. इसके बाद उसे किसी मामले में सजा हो गई थी. अब वह ब्रास बैंड की ट्रेनिंग दे रहा है. इन स्टाफ के लिए बैंड की ड्रेस खरीदनी है. करीब 2 महीने और इनकी प्रैक्टिस चलेगी. इसके बाद इन्हें शादी समारोह में भेजना शुरू किया जाएगा.
20 कैदी की पेट्रोल पंप पर ड्यूटी, बढ़कर होंगे 30 : सेंट्रल जेल के ही सीनियर असिस्टेंट भरत राठौर (Employment for Kota Prisoners) का कहना है कि वर्तमान में करीब 20 बंदी खुली जेल के पेट्रोल पंप में सेवाएं दे रहे हैं. आगे चलकर कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) का पंप भी प्रस्तावित है. साथ ही पेट्रोल पंप के 2 नोजल और संचालित किए जाएंगे. इसके साथ ही पेट्रोल पंप की टाइमिंग भी बढ़ाई जाएगी. वर्तमान में सुबह 6:00 से रात 10:00 बजे तक का समय है. इसे बढ़ाकर 24 घंटे किया जाना प्रस्तावित है. ऐसे में बंदियों की संख्या भी बढ़ा दी जाएगी. फिर 25 से 30 बंदी यहां पर ड्यूटी दे सकेंगे. वर्तमान में काम कर रहे बंदियों को ट्रेनिंग भी दी गई है. सभी काम करने वाले बंदी को 250 से 300 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय भी दिया जा रहा है.
अच्छा व्यवहार करने पर शिफ्ट होते हैं खुली जेल में : सुपरिटेंडेंट सिद्धू के अनुसार जिन बंदियों की एक तिहाई सजा पूरी हो जाती है और जेल में व्यवहार अच्छा रहता है, उन्हें खुली जेल में शिफ्ट कर दिया जाता है. यहां से वह दिन में रोजगार के लिए चले जाते हैं. शाम को वापस आकर खुली जेल में विश्राम कर लेते हैं. जबकि ब्रास बैंड में शामिल मुख्य जेल के कैदी भी हैं. प्रैक्टिस अगले 2 माह भी जारी रह सकती है. पहले आर्केस्ट्रा बैंड में 11 बंदी थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 21 हो गई है.
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बंदियों को भी मिलेगा आमदनी का हिस्सा : सिद्धू ने बताया कि कोविड-19 के बाद आर्केस्ट्रा बैंड में बुकिंग लगभग बंद जैसी ही है. ऐसे में अब हमें उम्मीद है कि ब्रास बैंड की बुकिंग शुरू हो जाएगी. इसके बाद यह बारात, निकासी और शादी समारोह में भी जा सकेंगे. बैंड के लिए 3450 रुपए 2 घंटे का तय किया गया है. लाने, ले जाने का खर्चा अलग से देना होगा. यह पूरा बैंड 21 बंदियों का होता है. ब्रास बैंड और आर्केस्ट्रा बैंड से होने वाली आमदनी में बंदियों का भी हिस्सा होता है.
बढ़ रही है जेल के पम्प की सेल : दूसरी तरफ, पेट्रोल पंप की सेल लगातार बढ़ रही है. 1 जनवरी की शाम से पेट्रोल पंप शुरू हुआ था. इस दिन करीब 70 हजार रुपए की बिक्री हुई थी. इसके बाद से यह सेल लगातार बढ़ रही है. वर्तमान में यह सेल साढ़े 3 लाख से ज्यादा पहुंच गई है. पेट्रोल पंप पर मॉनिटरिंग के लिए डिप्टी जेलर को सुपरविजन ऑफिसर बनाया है. इसके साथ ही सीनियर असिस्टेंट और तीन जेल प्रहरी भी यहां पर लगाए गए हैं. ताकि वे कंपनी से आने वाले पेट्रोल, डीजल का नाप-तोल और अन्य सारी व्यवस्थाएं देख सकें. इसमें इन कैदियों का हिसाब-किताब भी शामिल है.