भरतपुर. राजस्थान में जिले के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में करीब 150 रिक्शा चालक हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों को उद्यान घुमाते हैं. कई बार तो ये रिक्शा चालक यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए गाइड भी बन जाते हैं. वहीं, इनमें से कई रिक्शा चालक तो ऐसे हैं जो एक भी दिन स्कूल नहीं गए, बावजूद इसके फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ ही फ्रेंच, जर्मन और इटालियन जैसी यूरोपीय लैंग्वेज बोलते हैं. यहां कुछ कम पढ़े लिखे रिक्शा चालक भी हैं, जिनके लिए टूरिस्ट ही टीचर हैं. पर्यटकों को घना घुमाते-घुमाते, उनसे बातचीत करने के क्रम में यहां के रिक्शा चालक आज कई भाषाएं सीख चुके हैं.
35 साल में सीखी कई भाषाएं : उद्यान के रिक्शा चालक राजू सिंह ने बताया कि वो 35 साल से पर्यटकों को उद्यान में बर्ड वाचिंग करा रहे हैं. कई देशों के टूरिस्ट यहां आते हैं. कई बार कई पर्यटक गाइड नहीं लेते. ऐसे में रिक्शा चालक ही पर्यटकों के लिए गाइड का काम करते हैं. राजू सिंह ने बताया कि वो अशिक्षित हैं. एक भी दिन स्कूल नहीं गए, लेकिन आज वो इंग्लिश, फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और हॉलैंड की डच भाषा बोल लेते हैं. पूछने पर राजू ने बताया कि जब वो विदेशी पर्यटकों को घना में घुमाते हैं तो उनसे बातचीत करते-करते ही कई भाषाओं का ज्ञान हो जाता है.
टूरिस्ट ही टीचर : जसवंत सिंह साल 1993 से घना में रिक्शा चला रहे हैं, जो सिर्फ 5वीं तक पढ़े हैं, फिर भी कई देशों की भाषा की जानकारी (speak several European languages) रखते हैं. बताते हैं कि उनके लिए तो टूरिस्ट ही टीचर हैं. ज्यादा तो नहीं लेकिन जर्मनी, फ्रांस, इटली आदि देशों के पर्यटकों को उन्हीं की भाषा में पक्षियों की जानकारी दे देते हैं.
अधिकतर को पक्षियों की जानकारी : उद्यान के करीब 150 रिक्शा चालकों में से अधिकतर को उद्यान में आने वाले पक्षियों के नाम और उनकी पहचान है, साथ ही इंग्लिश तो सभी जानते हैं. जिनको यहां रिक्शा चलाते हुए कई साल हो गए, वो थोड़ी बहुत विदेशी भाषाएं भी सीख गए हैं. ऐसे में ये रिक्शा चालक रिक्शा चलाने के साथ ही पर्यटकों के लिए गाइड का काम भी कर लेते हैं. ऐसा नहीं है कि ये गाइड करने के अतिरिक्त रुपए लेते हैं, बस साथ घूमते-घूमते उन्हें जानकारी दे देते हैं और बातों ही बातों में उनकी भाषा भी सीखते रहते हैं.
कई साल पहले केवलादेव उद्यान प्रशासन ने नेचर गाइड और रिक्शा चालकों के लिए (Rickshaw pullers of Rajasthan Bharatpur) फ्रेंच भाषा का एक ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किया था. जिसका लाभ भी रिक्शा चालकों को हुआ. ट्रेनिंग से रिक्शा चालकों को फ्रेंच सीखने में काफी मदद मिली.
गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 370 से अधिक प्रजाति के हजारों पक्षी प्रवास करते हैं. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए घना घूमने का माध्यम रिक्शा, साइकिल और तांगा है. पर्यटकों के लिए गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है, लेकिन कोई पर्यटक गाइड नहीं लेता है तो रिक्शा चालक ही उनकी पक्षी पहचानने और जानकारी में मदद कर देते हैं.