हैदराबाद : भारत में बीते 24 घंटे में कोरोना के 861 नए मामले (cases of corona) सामने आए और 6 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने साझा किए. इसी के साथ मौतों की कुल संख्या बढ़कर 5,21,691 हो गई है. भारत में सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 11,058 हो गई है. देश में पॉजिटिविटी रेट (positivity rate) 0.03 प्रतिशत हैं. देश में बीते 24 घंटे में कुल 929 मरीज ठीक हुए, जिससे महामारी की शुरूआत के बाद से अब तक रिकवर हुए मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 4,25,03,383 हो गई है. भारत की रिकवरी रेट 98.76 प्रतिशत है.
लेकिन चिंता की बात है कि कोरोना के केस एक हफ्ते में गुजरात में 89%, हरियाणा में 50% और दिल्ली में 26% तक बढ़े हैं. चीन और अमेरिका में बढ़ते कोविड के मामलों और चौथी लहर (fourth wave of corona) के अंदेशों के बीच केंद्र ने 5 राज्यों को चेतावनी जारी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गुजरात, हरियाणा और दिल्ली में कोरोना के वीकली केस में तेजी देखी गई है. दिल्ली में 4 से 10 अप्रैल के बीच कोरोना के 943 केस आए हैं. यह पिछले हफ्ते के मुकाबले 26% ज्यादा है. पिछले हफ्ते दिल्ली में कोरोना के 751 केस आए थे. दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट (positivity rate) 1% से ज्यादा बना हुआ है.
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केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने राज्यों को किया सावधान : वहीं, हरियाणा में इस हफ्ते कोरोना के केस 50% तक बढ़े हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हफ्ते हरियाणा में कोरोना के 514 केस आए. जबकि पिछले हफ्ते सिर्फ 344 केस आए थे. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण (Union Health Secretary Rajesh Bhushan) ने दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र और मिजोरम की सरकारों को चिट्ठी लिखी है. राज्यों से सतर्कता बढ़ाने और संक्रमण की दर बढ़ने के कारणों की गंभीरता से जांच करने को कहा है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इन राज्यों में डेली पॉजीटिविटी रेट बढ़ रहा है, यानी हर दिन मिलने वाले नए कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ी है. इसे देखते हुए राज्य सरकारें हालात की गंभीरता से समीक्षा करें और जरूरी होने पर कोविड-19 को लेकर नई गाइडलाइन भी जारी करें. गुजरात में एक व्यक्ति के XE और XM वैरिएंट के एक-एक मामला आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की चिंता और बढ़ गई है. क्योंकि ब्रिटेन और चीन में नई लहर XE वैरिएंट से ही आई है.
आईआईटी कानपुर क्या कहा था : आईआईटी कानपुर ने 24 फरवरी को नए आकलन में बताया था कि 22 जून से चौथी लहर शुरू हो जाएगी और 23 अगस्त तक पीक पर पहुंचेगी. आईआईटी कानपुर के मैथमेटिक्स और स्टैटिस्टिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर शलभ, एसोसिएट प्रोफेसर शुभ्रा शंकर धर और उनके स्टूडेंट सब्र प्रसाद राजेशभाई ने यह आकलन किया है. आईआईटी कानपुर का इससे पहले देश में तीसरी लहर को लेकर जारी अनुमान भी सही साबित हुआ था.
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क्या है कोरोना का XE वैरिएंट? : नवंबर 2021 में साउथ अफ्रीका में मिला कोरोना का वैरिएंट ऑफ कंसर्न ओमिक्रॉन इस साल दुनिया में पाए गए कोरोना के 90% से ज्यादा केसेज के लिए जिम्मेदार है. ओमिक्रॉन के तीन सब-वैरिएंट हैं- BA.1, BA.2 और BA.3, लेकिन पहले दोनों सब-वैरिएंट ही ज्यादा घातक हैं, जबकि BA.3 उतना संक्रामक नहीं है. XE वैरिएंट ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.1 और BA.2 के कॉम्बिनेशन से बना है, यानी ये 'रिकॉम्बिनेंट' या हाइब्रिड वैरिएंट है.
'रिकॉम्बिनेंट' वायरस क्या होता है : रिकॉम्बिनेंट वायरस दो पहले से मौजूद वैरिएंट के मिलने से बनता है. ऐसा वायरस में लगातार हो रहे म्यूटेशन यानी परिवर्तन की वजह से होता है. कोरोना के मामले में रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट दो पहले से मौजूद वैरिएंट के जेनेटिक मैटीरियल के मिलने से बनते हैं. यानी एक ही व्यक्ति के एक ही समय पर दो कोरोना वैरिएंट से संक्रमित होने से उसके शरीर में इन दोनों वैरिएंट के जेनेटिक मैटीरियल मिल जाते हैं, जिससे बनने वाले वैरिएंट को ‘रिकॉम्बिनेंट’ कहते हैं. रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट नया नहीं है, इससे पहले भी डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के रिकॉम्बिनेंट के केस पाए जा चुके हैं. WHO ने फिलहाल XE को नए वैरिएंट के बजाय ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट कैटेगरी में रखा है.
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भारत को XE वैरिएंट से कितना खतरा है ? : XE ओमिक्रॉन के ही दो सब-वैरिएंट के म्यूटेशन से बना है, ऐसे में संभव है कि देश में XE वैरिएंट के केस पहले ही मौजूद हों, लेकिन अभी उनकी पहचान होना बाकी हो. साथ ही भारत 27 मार्च से दुनिया के सभी देशों के लिए इंटनेशनल फ्लाइट्स का ऑपरेशन शुरू कर चुका है. ऐसे में विदेशों से भी XE समेत किसी भी वैरिएंट के आने का खतरा बरकरार रहेगा. जानकारों के मुताबिक, फिलहाल भारत को XE वैरिएंट से ज्यादा खतरा नहीं है, क्योंकि ये ओमिक्रॉन से जुड़ा सब-वैरिएंट है, जिसकी लहर हाल ही में देश से गुजरी है और जिससे देश में करीब 50-60% लोग संक्रमित हुए थे. ऐसे में ओमिक्रॉन से पैदा हुई इम्यूनिटी के इतनी जल्दी खत्म होने की संभावना नहीं है कि XE वैरिएंट लोगों को प्रभावित कर सके.
बूस्टर डोज क्यों है जरुरी: अब तक की रिसर्च से पता चला है कि वैक्सीन की दूसरी डोज लगने के 8-9 महीने के बाद एंटीबॉडी कम होने लगती है. ऐसे में कोरोना होने का खतरा बना रहता है. इसलिए एंटीबॉडी बनाए रखने के लिए कोरोना की बूस्टर डोज की जरूरत पड़ती है. केंद्र सरकार ने चौथी लहर के खतरे को देखते हुए अब 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए बूस्टर डोज की मंजूरी दे दी है. 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग 10 अप्रैल से निजी केंद्र पर बूस्टर डोज लगवा सकेंगे. हालांकि, इसके लिए उन्हें पैसे चुकाने होंगे. इससे पहले केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज की अनुमति दी थी.
(इनपुट एजेंसी)