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2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि का कारण कोविड मौतें नहीं : नीति आयोग

नीति आयोग (niti aayog) का कहना है कि 2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि का कारण पूरी तरह से कोविड से हुई मौतें नहीं है. हाल में एक शोधपत्र में दावा किया गया कि उस दौरान कोविड के कारण भारत में हुई अनुमानित कुल मौतों की संख्या 40 लाख 70 हजार थी, जो दुनिया में सबसे अधिक है.

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नीति आयोग
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Published : May 4, 2022, 2:08 PM IST

Updated : May 4, 2022, 3:59 PM IST

नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य वी. के. पॉल (Niti Aayog member VK Paul) ने कहा है कि वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि का कारण पूरी तरह से कोविड से हुई मौतें नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ एजेंसियों द्वारा भारत के संबंध में कोरोना वायरस जनित महामारी से हुई मौतों की संख्या 'बढ़ा चढ़ाकर' प्रकाशित करना बंद होना चाहिए. कोविड-19 कार्यबल के प्रमुख पॉल ने लांसेट में हाल में प्रकाशित एक शोधपत्र का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया था कि भारत में जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच कोविड से जितनी मौतें हुईं, वह बताई गई संख्या से आठ गुना ज्यादा थी.

लांसेट में प्रकाशित शोधपत्र दावा : लांसेट में प्रकाशित शोधपत्र में कहा गया कि उस दौरान भारत में कोविड से लगभग 4,89,000 मौत दर्ज की गई. शोधपत्र में यह भी दावा किया गया कि कोविड के कारण भारत में हुई अनुमानित कुल मौतों की संख्या 40 लाख 70 हजार थी, जो दुनिया में सबसे अधिक है. सरकार ने जन्म और मृत्यु के आंकड़ों पर आधारित सिविल पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट 2020 मंगलवार को पेश की. आरजीआई की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया कि पंजीकृत मौतों के मामलों में यह संख्या 2019 में 76.4 लाख थी जो 2020 में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 81.2 लाख हो गई.

पॉल ने कहा, 'सभी कारणों से हुई अतिरिक्त मौतों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मौजूद हैं इसलिए पूर्वाग्रहों और शुद्ध रूप से अनुमान के आधार पर निष्कर्ष निकालना तर्कसंगत नहीं है.' सीआरएस के अनुसार, 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 4.75 लाख वृद्धि हुई. पॉल ने कहा कि वर्ष 2018 की तुलना में साल 2019 में 6.9 लाख अतिरिक्त मौत हुई. सीआरएस का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने हाल में ही कोविड से हुई मौतों की संख्या ज्ञात करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के तरीके पर सवाल उठाए थे और कहा था कि गणितीय मॉडल के आधार पर इतने बड़े देश (भारत) में हुई मौतों की संख्या का अनुमान नहीं लगाया जा सकता.

'2020 में कोविड-19 से 1.48 लाख लोगों की जान गई' : उधर, भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के आंकड़ों के अनुसार 2020 में देश में 81.2 लाख लोगों की मौत हुई और यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है जब देश में 76.4 लाख लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2020 में जब देश में पहली बार कोविड-19 का कहर शुरू हुआ था तो महामारी के कारण 1.48 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. यह संख्या 2021 की तुलना में काफी कम है जब महामारी के कारण 3.32 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी.

पढ़ें- देश में कोरोना के 3205 नए मामले, 31 और लोगों की मौत

मंगलवार सुबह उपलब्ध कराए गए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2020 की शुरुआत से अब तक 5,23,889 लोग कोरोना वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं. वर्ष 2020 के लिए आरजीआई की रिपोर्ट 'नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित भारत की महत्वपूर्ण सांख्यिकी' में कहा गया है कि पंजीकृत मौतों के मामले में, आंकड़ा 2019 में 76.4 लाख था जो 2020 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 81.2 लाख हो गया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य वी. के. पॉल (Niti Aayog member VK Paul) ने कहा है कि वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में मृत्यु पंजीकरण में वृद्धि का कारण पूरी तरह से कोविड से हुई मौतें नहीं है. उन्होंने कहा कि कुछ एजेंसियों द्वारा भारत के संबंध में कोरोना वायरस जनित महामारी से हुई मौतों की संख्या 'बढ़ा चढ़ाकर' प्रकाशित करना बंद होना चाहिए. कोविड-19 कार्यबल के प्रमुख पॉल ने लांसेट में हाल में प्रकाशित एक शोधपत्र का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया था कि भारत में जनवरी 2020 से दिसंबर 2021 के बीच कोविड से जितनी मौतें हुईं, वह बताई गई संख्या से आठ गुना ज्यादा थी.

लांसेट में प्रकाशित शोधपत्र दावा : लांसेट में प्रकाशित शोधपत्र में कहा गया कि उस दौरान भारत में कोविड से लगभग 4,89,000 मौत दर्ज की गई. शोधपत्र में यह भी दावा किया गया कि कोविड के कारण भारत में हुई अनुमानित कुल मौतों की संख्या 40 लाख 70 हजार थी, जो दुनिया में सबसे अधिक है. सरकार ने जन्म और मृत्यु के आंकड़ों पर आधारित सिविल पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) रिपोर्ट 2020 मंगलवार को पेश की. आरजीआई की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया कि पंजीकृत मौतों के मामलों में यह संख्या 2019 में 76.4 लाख थी जो 2020 में 6.2 प्रतिशत बढ़कर 81.2 लाख हो गई.

पॉल ने कहा, 'सभी कारणों से हुई अतिरिक्त मौतों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मौजूद हैं इसलिए पूर्वाग्रहों और शुद्ध रूप से अनुमान के आधार पर निष्कर्ष निकालना तर्कसंगत नहीं है.' सीआरएस के अनुसार, 2019 की तुलना में 2020 में मृत्यु पंजीकरण में 4.75 लाख वृद्धि हुई. पॉल ने कहा कि वर्ष 2018 की तुलना में साल 2019 में 6.9 लाख अतिरिक्त मौत हुई. सीआरएस का अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने हाल में ही कोविड से हुई मौतों की संख्या ज्ञात करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के तरीके पर सवाल उठाए थे और कहा था कि गणितीय मॉडल के आधार पर इतने बड़े देश (भारत) में हुई मौतों की संख्या का अनुमान नहीं लगाया जा सकता.

'2020 में कोविड-19 से 1.48 लाख लोगों की जान गई' : उधर, भारत के महापंजीयक (आरजीआई) के आंकड़ों के अनुसार 2020 में देश में 81.2 लाख लोगों की मौत हुई और यह आंकड़ा 2019 की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है जब देश में 76.4 लाख लोगों की मौत हुई थी. वर्ष 2020 में जब देश में पहली बार कोविड-19 का कहर शुरू हुआ था तो महामारी के कारण 1.48 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. यह संख्या 2021 की तुलना में काफी कम है जब महामारी के कारण 3.32 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी.

पढ़ें- देश में कोरोना के 3205 नए मामले, 31 और लोगों की मौत

मंगलवार सुबह उपलब्ध कराए गए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2020 की शुरुआत से अब तक 5,23,889 लोग कोरोना वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं. वर्ष 2020 के लिए आरजीआई की रिपोर्ट 'नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर आधारित भारत की महत्वपूर्ण सांख्यिकी' में कहा गया है कि पंजीकृत मौतों के मामले में, आंकड़ा 2019 में 76.4 लाख था जो 2020 में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़कर 81.2 लाख हो गया.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 4, 2022, 3:59 PM IST
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