भिंड। मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने के लिए अब गुर्जर समाज एकजुटता दिखा रहा है. यह सामाजिक एकता राजा मिहिर भोज से जुड़ी है. भिंड के मेहगांव में शुक्रवार को गुर्जर समाज ने महापंचायत बुलाई. जिसमें न सिर्फ भिंड जिले के बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी कई गुर्जर संगठनों के नेता और पदाधिकारी शामिल थे. हजारों की संख्या में गुर्जर समाज भी इकट्ठा था. हर तरफ जोशीली आवाजें, सामाजिक नारे माहौल को गर्म बनाए हुए थे. यह महापंचायत ग्वालियर में राजा मिहिर भोज की प्रतिमा और भिंड के अटेर में स्थित बौरेश्वर धाम मंदिर के निर्माण को लेकर पनपे विवाद की लिए बुलायी गई थी.
सम्राट मिहिर भोज को लेकर जुटे कई प्रदेश के नेता: एक-एक कर स्थानीय और बाहर से आये वक्ताओं ने अपना संबोधन दिया. यहां गुर्जर समाज के इतिहास और पुरातन संपदाओं को बचाने की बात की गई, लेकिन साथ ही साथ वह बात भी उठ ही गई, जिसको लेकर गुर्जर और राजपूत समाज के बीच हमेशा ही तनाव की स्थिति बनती है. नोएडा, मेरठ, हरियाणा और राजस्थान से आये वक्ताओं ने राजा मिहिर के गुर्जर प्रतिहार होने की बात दोहराई. साथ ही उनका नाम राजपूत समाज से जबरन जोड़े जाने को लेकर आपत्ति जताई. किसी ने खुलकर तो किसी ने बिना नाम लिए यह बात कही.
राजपूत समाज के प्रत्याशी के बॉयकॉट की शपथ: इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश से आये समाजवादी पार्टी के नेता रुपेश यादव ने गुर्जर समाज को राजा मिहिर भोज विवाद में यादव समाज की और से समर्थन दिया, तो वहीं चम्बल अंचल में गांव-गांव तक गुर्जर यात्रा निकाल रहे रामप्रीत गुर्जर कंसाना ने समाज से जागरूक होने के साथ-साथ सार्वजनिक मंच से राजपूत समाज पर गुर्जर समाज के इतिहास से छेड़खानी का आरोप लगाया, ना सिर्फ रामप्रीत कंसाना बल्कि कई ऐसे प्रवक्ता रहे, जिन्होंने चुनाव के समय को अवसर बताया और क्षत्रिय समाज के प्रत्याशियों को आने वाले विधानसभा चुनाव में बॉयकॉट करने की शपथ तक दिलायी. इन नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि अब समय आ गया है कि गुर्जर समाज अपने वोट की अहमियत को समझे और जिन लोगों को चुनकर ऊपर तक पहुंचाया है और जिन्होंने उसका फायदा उठाकर गुर्जर समाज को दबाने और इतिहास बदलने की कोशिश की है. उन प्रत्याशियों को अब घर बैठाना है.
'गुर्जरों के इतिहास से छेड़खानी कर मिटाने का षड्यंत्र': सीधे तैर पर देखा जाए तो इस महापंचायत में सरकार के ऊपर दबाव बनाने और एक समाज विशेष के आगे शक्तिप्रदर्शन की पूरी तैयारी है. इस कार्यक्रम में शामिल हुए नोएडा से आये राष्ट्रीय युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविंद्र भाटी का कहना था कि "सरकार में बैठे एक समाज विशेष के लोग गुर्जरों का दोहन कर रहे हैं. इतिहास में दर्ज है कि राजा मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार सम्राट थे, लेकिन ग्वालियर में उनकी प्रतिमा पर लिखे गुर्जर शब्द को ढक दिया गया, बटेश्वर में बने मंदिर गुर्जर राजाओं ने बनवाये. जहां पहले गुर्जर प्रतिहार वंश लिखा था लेकिन वहां से गुर्जर शब्द मिटा दिया गया, यह एक षड्यंत्र है. गुर्जर समाज को खत्म करने की. ये अपना इतिहास बचाने की लड़ाई है. चुनाव आयेंगे तो ये लोग लालच देंगे. ये हमसे हमारा वोट लेते हैं फिर हमारे वोट से मंत्री बनते है और फिर हमारा ही इतिहास मिटाने का काम करते हैं. बौरेश्वर से नाम मिटा दिया. इसलिए अपने नौजवानों को आगे लाओ. सरकार को चेतवानी दी है कि अगर जल्द से जल्द ग्वालियर में मिहिर भोज की प्रतिमा से तीन और बौरेश्वर धाम में पुरातत्व विभाग द्वारा लिखे हुए गुर्जर प्रतिहार मामले में जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो वोट की राजनीतिक नसबंदी कर देंगे.
अतुल सरधना ने कहा- 'प्रदेश में उन्हें एक वोट भी नहीं देना': वहीं उत्तर प्रदेश के सरधना से आये विधायक अतुल प्रधान ने भी मंच से बिना नाम लिए अहवाहन किया है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत हमेशा गुर्जर समाज को अधिकारी पदों से दूर रखा गया है. जो लोग समाज के सम्मान को ठेस पहुचायें, इतिहास को छीनने की कोशिश करें हमारी पीढ़ियों को बर्बाद करें, ऐसे लोगों को वोट तो क्या ठेंगा भी नहीं देना. जब अपने हक के लिए विरोध किसी समाज विशेष को वोट बाइकॉट करना है, तो सिर्फ़ चम्बल अंचल ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में एक भी गुर्जर वोट उन्हें नहीं मिलना चाहिए.
ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग, 7 दिन का अल्टीमेटम: इस महापंचायत के समापन से पहले इन नेताओं में एक ज्ञापन भी स्थानीय प्रशासन को सौंपा है. जिसमें सात दिन का समय दिया गया है. जो प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें जिन्होंने अटेर के बौरेश्वर धाम मंदिर पर लगी पुरातत्व विभाग की पट्टिका से गुर्जर शब्द को मिटाने का काम किया. आज तक उन पर कार्रवाई नहीं हुई है, तो उनकी जल्द से जल्द गिरफ़्तारी करें, उन आरोपियों ने अपने वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं. जिससे उन्हें पकड़ना आसान होगा, यदि प्रशासन और पुलिस इस मामले में कार्रवाई नहीं करती है, तो आने वाली 25 सितंबर को ग्वालियर में आयोजित गुर्जर समाज के महासम्मेलन में यह मुद्दा एक बड़ा स्वरूप लेगा.
इतिहास से छेड़खानी को लेकर अगले महीने ग्वालियर में महाकुंभ: वहीं मीडिया से बात करते हुए विधायक अतुल प्रधान ने कहा कि "भिंड में बौरेश्वर मंदिर पर लगे बोर्ड से गुर्जर शब्द को हटाया गया और ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर लगी पट्टिका में गुर्जर शब्द को छिपाने के लिए टीन शेड लगा दी गई है. हमने प्रशासन को सात दिन का अल्टीमेटम दिया है. ये भिंड मामले में आरोपियों को सात दिन के भीतर कार्रवाई कर जेल भेजा जाए, उन पर मामला दर्ज हो, अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सितंबर को ग्वालियर में गुर्जर समाज का महाकुंभ आयोजित होने वाला है. जिसके ज़रिए गुर्जर समाज अपनी एकता का शक्ति प्रदर्शन करेगा. वहीं उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनाव में भी एक समाज विशेष वर्ग ये प्रत्याशी को वोट न देकर अन्य समाज को वोट देने यह फ़ैसले की बात भी स्वीकार की.
चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों पर रहेगा दबाव: भिंड में आयोजित हुई गुर्जर महापंचायत के बाद इतना तो साफ़ समझ आ रहा है कि गुर्जर समाज के साथ ही एक दूसरे समाज विशेष का टकराओ आने वाले दिनों में और बढ़ता नज़र आ रहा है कि जब चुनाव होंगे तब चम्बल अंचल में भी हालात में राजनीतिक दलों के लिए भी बेहद कठिन होंगे. इस तरह राजपूत समाज के प्रत्याशियों का सीधा बायकॉट सरकार पर दबाव बनाने का भी एक बड़ा स्टंट गुर्जर समाज ने खेल दिया है. ऐसे में जब में चंबल क्षेत्र में राजनीतिक दल अपने प्रत्याशी घोषित करेंगे तो उनके सामने यह विरोध भी कहीं न कहीं एक बड़ी चुनौती बन कर उभरेगा.