सूरत : कोरोनाकाल में रत्न एवं आभूषण उद्योग में निर्यात वृद्धि अच्छी रही, लेकिन दूसरी तरफ सोने के आभूषणों (Gold jewellery exports) के निर्यात में 27 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है, जिससे एमएसएमई सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों में चिंता बढ़ गई है.
जेम्स एंड ज्वेलरी प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Gems and Jewelery Promotion Council of India) के मुताबिक गोल्ड ज्वेलरी के एक्सपोर्ट में गिरावट की वजह गोल्ड ज्वेलरी पर टैक्स और एमएसएमई सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों को सरकार की ओर से डायरेक्ट गोल्ड की अनुपलब्धता है.
'अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते'
जेम्स एंड ज्वेलरी प्रमोशन काउन्सिल वेस्टर्न ज़ोन के चेयरमैन दिनेश नावडिया ने कहा कि कोविड 19 की स्थिति में भी रत्न और आभूषण क्षेत्र में डायमंड ज्वेलरी की अच्छी वृद्धि देखी गई लेकिन अगर आप पिछले साल की तुलना में इस साल सोने के आभूषणों में अंतर को देखें, तो विशेष रूप से इस क्षेत्र में सोने पर टैक्सेशन है. और तो और डायरेक्ट सोना उपलब्ध भी नहीं है. टैक्स के बढ़ते बोझ की वज़ह से इंटरनेशनल बाज़ार में टिक नहीं सकते.
उन्होंने कहा कि तिमाहियों के लिहाज से देखें तो साल 2020-21 में अप्रैल-नवंबर 2019-20 की तुलना में सोने के आभूषणों के निर्यात में 27.76 फीसदी की गिरावट आई है. विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र में सोने की सीधी कम आपूर्ति से बाजार से सोना खरीदने पर टैक्स बढ़ जाता है. यदि सरकार इस संबंध में सकारात्मक तरीके से सोने के निर्यात की सुविधा देती है, तो उद्योग सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति में है.
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