नई दिल्ली: एयर इंडिया (Air India) विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों के अनुमोदन का संकेत देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं. इस बारे में सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग, भारत सरकार ने कहा सरकार के निर्णय के बारे में मीडिया को सूचित किया जाएगा जब भी यह लिया जाएगा.
वहीं इससे पहले खबर थी कि सरकार ने एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिये टाटा समूह और स्पाइसजेट के संस्थापक की वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन शुरू किया है. इसके साथ सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी के निजीकरण की प्रक्रिया अगले चरण में बढ़ गयी है. सरकार सौदे को जल्दी पूरा करने को इच्छुक है.
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि टाटा संस कर्ज में डूबी सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभरी है. हालांकि सूत्रों ने बताया कि बोली को अभी तक गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GOM) ने मंजूरी नहीं दी है. सूत्रों ने कहा कि टाटा संस और स्पाइसजेट के प्रवर्तक अजय सिंह की वित्तीय बोलियों को कुछ दिन पहले खोला गया और बुधवार को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विनिवेश पर सचिवों के मुख्य समूह ने इसकी जांच की.
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उन्होंने बताया कि आरक्षित निर्धारित मूल्य के मुकाबले बोलियों का मूल्यांकन किया गया और पाया गया कि टाटा की बोली सबसे ऊंची है. उन्होंने कहा कि अब इसे एयर इंडिया के निजीकरण के लिए गठित शाह के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह के सामने रखा जाएगा. पहले किसी समय में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस ही था. जहांगीर रतनजी दादाभाई (JRD) टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी. 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई.
हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की वित्तीय बोली आ गई. सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया.