उदयपुर. राजस्थान में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की कर्मभूमि से कांग्रेस अपने मजबूती के लिए मंथन करने जा रही है. कांग्रेस के (Chintan Shivir in Udaipur) आगामी तीन दिवसीय चिंतन शिविर को लेकर तैयारियां जारी हैं. इस चिंतन शिविर के माध्यम से कांग्रेस आगामी राज्यों की विधानसभा चुनाव को साधने के लिए जुट गई है. यही वजह है कि गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी अभी से आदिवासी बाहुल्य सीटों पर नजर गड़ाए हुए है. ऐसे में इन चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस एक बार फिर आदिवासियों के बीच जाकर संवाद स्थापित करेगी.
तीन दिवसीय चिंतन शिविर की समाप्ति के बाद पहले दिन से ही कांग्रेस चुनावी मोड में नजर आएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आदिवासी बाहुल्य सीटों को साधने के लिए, लाखों आदिवासियों की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले बेणेश्वर त्रिवेणी धाम में बड़ा आयोजन प्रस्तावित है. इस दौरान 16 मई को बेणेश्वर धाम में 100 करोड़ की पुलिया के निर्माण के प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया जाएगा. इस आयोजन में कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शिरकत कर सकती हैं. वहीं राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के कई शीर्ष नेता आदिवासियों के बीच कार्यक्रम में सियासी संदेश दे सकते हैं.
आदिवासी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की नजर: गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव के साथ ही राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सियासी जमीन को फिर से मजबूत करने के लिए कांग्रेस जुट गई है. ऐसे में आदिवासियों का आस्था का केंद्र कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम से कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सियासी संदेश देंगे. इस साल के अंत में गुजरात और फिर अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी बेणेश्वर में बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. गुजरात में 27, राजस्थान में 25, मध्य प्रदेश में 45 और छत्तीसगढ़ के विधानसभा में 27 आदिवासी सीटें हैं. ऐसे में इन सीटों को साधने के लिए बेणेश्वर धाम में कांग्रेस के दिग्गज पहुंच सकते हैं. इस सभा को कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी संबोधित कर सकती हैं.
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राजीव गांधी ने भी आदिवासियों के बीच किया था संवाद: पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्व. राजीव गांधी ने 37 साल पहले उदयपुर के खेरवाड़ा के आदिवासी इलाकों का दौरा कर वहां के लोगों से संवाद किया था. राजीव गांधी 8 अगस्त 1985 को खेरवाड़ा के धनोल गांव के दौरे पर रहे थे. इस बार राहुल गांधी भी आदिवासियों के बीच मेवाड़ और वागड़ की धरती से आदिवासी युवाओं से संवाद कर सकते हैं. चिंतन शिविर के बाद एक बार फिर से राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने की चर्चा चरम पर है.
लाखों आदिवासियों की आस्था का केंद्र है बेणेश्वर त्रिवेणी धाम: डूंगरपुर शहर से 80 किलोमीटर (Inauguration of project in Beneshwar Triveni Dham in Udaipur) और उदयपुर संभाग के मुख्यालय से 180 किलोमीटर दूर बेणेश्वर धाम स्थित है. सोम, माही और जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम टापू पर बेणेश्वर तीर्थ बना हुआ है. मान्यता है कि हजारों साल पहले संत मावजी महाराज ने इसी धाम पर तपस्या करते हुए आदिवासियों और वागड़ में धर्म की स्थापना की थी. इसके बाद से ये धाम आस्था का केंद्र बन गया.
धाम पर शिव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, भगवान ब्रह्मा जी के मंदिर समेत कई छोटे-बड़े मंदिर हैं. बेणेश्वर धाम पर हर साल पौष पूर्णिमा पर हजारों भक्तों की ओर से पदयात्रा निकाली जाती है. माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वर धाम में लाखों आदिवासियों का महाकुंभ लगता है. त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान के बाद 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करते हैं. ऐसे में राजस्थान समेत गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं.
132 करोड़ की लागत से बनेगा हाई लेवल पुल बारिश: बारिश के दिनों में बेणेश्वर धाम हर साल टापू में तब्दील हो जाता है. धाम पहुंचने के तीनों पुल साबला, बांसवाड़ा और वालाई पर पानी आ जाने से आवाजाही बंद हो जाती है. इन तीनों ही पुलियों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए लंबे समय से हो रही मांग, अब पूरी होने जा रही है. 132 करोड़ की लागत से बेणेश्वर धाम की पुलिया की ऊंचाई को बढ़ाकर हाई लेवल पुल बनाया जाएगा. इससे बारिश के समय इन पुलियों पर पानी नहीं आएगा, और श्रद्धालु आसानी से मंदिर तक आ-जा सकेंगे.
भटवाड़ा मार्ग के बीच बनेगा सर्कल: भटवाड़ा मार्ग पर पुल की लंबाई 87 मीटर तथा चौड़ाई 13 मीटर रहेगी. तीन दिवसीय चिंतन शिविर कार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोगों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि इससे पहले 26 नवंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेणेश्वर धाम आए थे. मंदिर में दर्शन के बाद यहां सभा को भी संबोधित किया था. वरिष्ठ पत्रकार डॉ हेमेंद्र चंडालिया ने बताया कि कांग्रेस एक बार फिर से इन आदिवासी अंचल की विधानसभा और लोकसभा सीटों को मजबूत करने के लिए काम कर रही है.
यहां कांग्रेस पहले बड़ा वर्चस्व रखती थी. लेकिन विगत चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी विधानसभा सीटों पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. मेवाड़ में तो कांग्रेस के सामने बीटीपी ने कई आदिवासी सीटों पर उन्हें कड़ी चुनौती दी. ऐसे में कांग्रेस को आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में फिर से सरकार बनानी होगी तो, उसे मेवाड़ की 28 विधानसभा सीटों में से अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी.