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कैसे होता है सूर्य ग्रहण, जानें ग्रहण से जुड़े तथ्य - चक्राकार सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण के बारे में जानने के लिए पहला तथ्य यह है कि वह एक उल्लेखनीय ब्रह्मांडीय संयोग के कारण उत्पन्न होता है. आसमान में देखने से लगता है कि चंद्रमा लगभग सूर्य के बराबर है जबकि सूर्य, चंद्रमा से व्यास में लगभग 400 गुना बड़ा है और चंद्रमा के मुकाबले सूर्य आसमान के 400 गुना करीब है. इसलिए सूर्य और चंद्रमा हमें एक ही आकार के दिखाई देते हैं.

सूर्य ग्रहण प्रतीकात्मक चित्र
सूर्य ग्रहण प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Jun 20, 2020, 7:24 PM IST

Updated : Jun 20, 2020, 10:57 PM IST

हैदराबाद : सूर्य ग्रहण के बारे में जानने के लिए पहला तथ्य यह है कि वह एक उल्लेखनीय ब्रह्मांडीय संयोग के कारण उत्पन्न होता है. आसमान में देखने से लगता है कि चंद्रमा लगभग सूर्य के बराबर है जबकि सूर्य, चंद्रमा से व्यास में लगभग 400 गुना बड़ा है और चंद्रमा के मुकाबले सूर्य आसमान के 400 गुना करीब है. इसलिए सूर्य और चंद्रमा हमें एक ही आकार के दिखाई देते हैं.

छाया (umbra) और उपछाया (penumbra) क्या हैं?

1. पेनम्ब्रा

• चंद्रमा की बाहरी छाया.

• आंशिक सूर्य ग्रहण पेनम्ब्रा छाया के भीतर से दिखाई देता है.

2. अम्ब्रा

चंद्रमा की गहरी आंतरिक छाया.

पूर्ण सूर्य ग्रहण umbral छाया के भीतर से दिखाई देता है.

1
फोटो

सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?

1- चक्राकार सूर्य ग्रहण

जब चंद्रमा और सूर्य आकाश में लगभग समान आकार दिखाई देते हैं, लेकिन उनके स्पष्ट आकार दो कारकों के कारण थोड़ा भिन्न होते हैं.

पहला यह है कि चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर थोड़ा अण्डाकार कक्षा में है और दूसरा पृथ्वी भी सूर्य के चारों ओर थोड़ी अण्डाकार कक्षा में घूमती है. इस भिन्नता के कारण कभी-कभी चंद्रमा की डिस्क ग्रहण के दौरान सूर्य की डिस्क को पूरी तरह से कवर नहीं करती. इसे चक्राकार (वलयाकार या कुंडलाकार) सूर्य ग्रहण कहलाता है.

2. आंशिक सूर्य ग्रहण

अगर चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर केंद्रित नहीं है, तो यह एक सामान्य प्रकार का सूर्य ग्रहण होता है. इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.

हर महीने सूर्य ग्रहण क्यों नहीं होता?

अगर चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के समान सतह के भीतर रहे, तो हर माह में पूर्ण (या कुंडलाकार) सूर्य ग्रहण होंगे, लेकिन चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा की तरफ 5 डिग्री झुकी हुई है, इसलिए हर माह सूर्य ग्रहण नहीं होता.

पढ़ें - वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण कल, देश के कुछ हिस्सों में दिखेगा 'रिंग ऑफ फायर'

सूर्य ग्रहण का महत्व

सूर्य ग्रहण से हमें सूर्य के पास हो रही सभी गतिविधियों के बारे में पता चलता है. यह क्षेत्र वह जगह है, जहां सूर्य 'सौर मौसम' को बनाता है. इसके अलावा यह क्षेत्र ऐसा भी है, जहां सौर हवाएं- सूर्य की सतह पर मौजूद अवयव को लगातार उड़ाती हैं, यह त्वरित होती हैं.

इन घटनाओं का सोलर सिस्टम पर काफी प्रभाव पड़ता है. इसमें धरती भी शामिल है.

सौर मौसम अन्य उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं और अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरनाक विकिरण पैदा कर सकते हैं.

इसके अलावा सूर्य ग्रहण वैज्ञानिको को अपने उपकरणों की जांच करने में मदद करता है. इन उपकरणों का उपयोग वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जाने के लिए करते हैं.

हैदराबाद : सूर्य ग्रहण के बारे में जानने के लिए पहला तथ्य यह है कि वह एक उल्लेखनीय ब्रह्मांडीय संयोग के कारण उत्पन्न होता है. आसमान में देखने से लगता है कि चंद्रमा लगभग सूर्य के बराबर है जबकि सूर्य, चंद्रमा से व्यास में लगभग 400 गुना बड़ा है और चंद्रमा के मुकाबले सूर्य आसमान के 400 गुना करीब है. इसलिए सूर्य और चंद्रमा हमें एक ही आकार के दिखाई देते हैं.

छाया (umbra) और उपछाया (penumbra) क्या हैं?

1. पेनम्ब्रा

• चंद्रमा की बाहरी छाया.

• आंशिक सूर्य ग्रहण पेनम्ब्रा छाया के भीतर से दिखाई देता है.

2. अम्ब्रा

चंद्रमा की गहरी आंतरिक छाया.

पूर्ण सूर्य ग्रहण umbral छाया के भीतर से दिखाई देता है.

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फोटो

सूर्य ग्रहण कितने प्रकार के होते हैं?

1- चक्राकार सूर्य ग्रहण

जब चंद्रमा और सूर्य आकाश में लगभग समान आकार दिखाई देते हैं, लेकिन उनके स्पष्ट आकार दो कारकों के कारण थोड़ा भिन्न होते हैं.

पहला यह है कि चंद्रमा, पृथ्वी के चारों ओर थोड़ा अण्डाकार कक्षा में है और दूसरा पृथ्वी भी सूर्य के चारों ओर थोड़ी अण्डाकार कक्षा में घूमती है. इस भिन्नता के कारण कभी-कभी चंद्रमा की डिस्क ग्रहण के दौरान सूर्य की डिस्क को पूरी तरह से कवर नहीं करती. इसे चक्राकार (वलयाकार या कुंडलाकार) सूर्य ग्रहण कहलाता है.

2. आंशिक सूर्य ग्रहण

अगर चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर केंद्रित नहीं है, तो यह एक सामान्य प्रकार का सूर्य ग्रहण होता है. इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.

हर महीने सूर्य ग्रहण क्यों नहीं होता?

अगर चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के समान सतह के भीतर रहे, तो हर माह में पूर्ण (या कुंडलाकार) सूर्य ग्रहण होंगे, लेकिन चंद्रमा की कक्षा सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा की तरफ 5 डिग्री झुकी हुई है, इसलिए हर माह सूर्य ग्रहण नहीं होता.

पढ़ें - वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण कल, देश के कुछ हिस्सों में दिखेगा 'रिंग ऑफ फायर'

सूर्य ग्रहण का महत्व

सूर्य ग्रहण से हमें सूर्य के पास हो रही सभी गतिविधियों के बारे में पता चलता है. यह क्षेत्र वह जगह है, जहां सूर्य 'सौर मौसम' को बनाता है. इसके अलावा यह क्षेत्र ऐसा भी है, जहां सौर हवाएं- सूर्य की सतह पर मौजूद अवयव को लगातार उड़ाती हैं, यह त्वरित होती हैं.

इन घटनाओं का सोलर सिस्टम पर काफी प्रभाव पड़ता है. इसमें धरती भी शामिल है.

सौर मौसम अन्य उपग्रहों को प्रभावित कर सकते हैं और अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरनाक विकिरण पैदा कर सकते हैं.

इसके अलावा सूर्य ग्रहण वैज्ञानिको को अपने उपकरणों की जांच करने में मदद करता है. इन उपकरणों का उपयोग वैज्ञानिक अंतरिक्ष में जाने के लिए करते हैं.

Last Updated : Jun 20, 2020, 10:57 PM IST
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