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सुप्रीम कोर्ट का क्लैट 2020 की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार - Common Law Admission Test

सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट 2020 परीक्षा की काउंसलिंग पर रोक लगाने या फिर से परीक्षा कराने से इनकार कर दिया है. क्लैट परीक्षा 2020 को फिर से कराने या काउंसलिंग रोक लगाने को लेकर कई छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 9, 2020, 4:02 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2020 की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने क्लैट परीक्षा में उपस्थित छात्रों से भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली शिकायत निवारण समिति को परीक्षा के संबंध में अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ क्लैट 2020 परीक्षा के खिलाफ दलीलों की सुनवाई कर रही थी, जिसमें परीक्षा फिर से कराए जाने की मांग की गई थी.

छात्रों ने कोर्ट में कहा कि कोविड महामारी के कारण परीक्षा आयोजित कराने का यह सबसे खराब वर्ष है. इस परीक्षा में बहुत सारे प्रश्नों में उत्तर दिए गए थे. सवालों पर 40 हजार आपत्तियां हैं और 19 हजार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

पढ़ें- राहुल गांधी के वीडियो ट्वीट पर भड़के पीयूष गोयल, दिया यह जवाब...

छात्रों ने बताया कि परीक्षा के लिए कट ऑफ-4 है और इसे स्कोर करने वाले छात्रों को काउंसलिंग के लिए भी बुलाया गया है. 50 हजार छात्रों में से केवल तीन ने 50% अंक प्राप्त किए हैं.

हालांकि, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) कंसोर्टियम ने इस दावे को खारिज कर दिया कि माइनस मार्किंग वाले छात्रों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है. कंसोर्टियम के लिए उपस्थित वकील ने यह भी कहा कि 2,600 सीटों में से 18,00 सीटें पहले से ही भरी हुई हैं.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2020 की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने क्लैट परीक्षा में उपस्थित छात्रों से भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली शिकायत निवारण समिति को परीक्षा के संबंध में अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ क्लैट 2020 परीक्षा के खिलाफ दलीलों की सुनवाई कर रही थी, जिसमें परीक्षा फिर से कराए जाने की मांग की गई थी.

छात्रों ने कोर्ट में कहा कि कोविड महामारी के कारण परीक्षा आयोजित कराने का यह सबसे खराब वर्ष है. इस परीक्षा में बहुत सारे प्रश्नों में उत्तर दिए गए थे. सवालों पर 40 हजार आपत्तियां हैं और 19 हजार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

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छात्रों ने बताया कि परीक्षा के लिए कट ऑफ-4 है और इसे स्कोर करने वाले छात्रों को काउंसलिंग के लिए भी बुलाया गया है. 50 हजार छात्रों में से केवल तीन ने 50% अंक प्राप्त किए हैं.

हालांकि, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) कंसोर्टियम ने इस दावे को खारिज कर दिया कि माइनस मार्किंग वाले छात्रों को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है. कंसोर्टियम के लिए उपस्थित वकील ने यह भी कहा कि 2,600 सीटों में से 18,00 सीटें पहले से ही भरी हुई हैं.

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