हैदराबाद : कोविड-19 महामारी से बचने के लिए दुनिया को वैक्सीन की सख्त जरूरत है. चीन के वुहान में उत्पन्न हुआ कोरोना वायरस आज पूरे विश्व में अपनी जड़ें बना चुका है और इसमें सबसे अहम बात यह है कि हमारे पास इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, जिससे कि हम कोविड-19 से लड़ सकें.
इसे लेकर कई देश अलग-अलग वैक्सीन बनाने का परीक्षण कर रहे हैं, जबकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसमें बहुत वक्त लग सकता है.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जानबूझकर वॉलिंटियर्स को संक्रमित कर, वैक्सीन का परीक्षण करने में एक लंबा अरसा लग सकता है. यहां तक की यह समय एक साल का भी हो सकता है.
इस बारे में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय (Pennsylvania University) के वैक्सीन क्षेत्र के एक नेता स्टेनली प्लोटकिन (Stanley Plotkin) का कहना है कि हमें बिजली की गति से सावधानीपूर्वक वैक्सीन निर्माण की तैयारियां करनी चाहिए.
वैज्ञानिकों ने कहा कि जो लोग इस तरह की भयानक समस्या का सामना कर रहे हैं, वह इसके इलाज की उम्मीद कर रहे है और हमें अपने पूर्वाग्रहों से परे होकर इन पर विचार करना चाहिए.
इसी तरह से आज कोरोना वायरस चुनौती अध्ययन के लिए एक अन्य प्रपोजल जर्नल ऑफ इन्फेक्शियन डिजीज (Journal of Infectious Diseases) में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया.
गौरतलब है कि मानव चुनौती अध्ययन पिछली दो शताब्दियों से चला आ रहा है और अन्य संक्रामक रोगों के लिए यह आज भी जारी है.
1796 में एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने आठ साल के लड़के को चेचक वायरस (स्मॉल पोक्स) से बचाने के लिए कॉउपोक्स (cowpox) का इस्तेमाल किया. हैरानी वाली बात यह थी कि इस प्रयोग ने काम भी कर दिखाया लेकिन बाद में कई लोगों के लिए यह चिंता का विषय बन गया. लेकिन आज के दौर में इस तरह के परीक्षणों को व्यापक तौर पर नकार दिया जाता है.
वहीं, कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज की इम्यूनोलॉजिस्ट मैथ्यू मेमोली (Matthew Memoli) का मानना है कि कोविड-19 इतना नया वायरस है कि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि यह वायरस लोगों को इतने गंभीर रूप से कैसे बीमार कर रहा है और इसका असर आने वाले कितने वक्त तक मरीजों के साथ होगा.
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उन्होंने कहा कि हमें इस बीमारी को समझना चाहिए, जिससे की हम इस वायरस को दूसरों में फैलाने से पहले यह जान सकें कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैक्सीन शोधकर्ता मैरीन लेविन (Myron Levine) ने भी कोरोना को लेकर चिंता जाहिर की. बता दें, मैरीन लेविन (Myron Levine) 40 से अधिक वर्ष से चैलेंज एक्सपेरिमेंट करते आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम बेहद तेज गति से चलने वाले हैं. उन्होंने कहा कि आज यह वायरस और तेजी से अलग-अलग जगहों पर फैलने लगा है और हमारे लिए मानव चुनौती बनता जा रहा है.
मैरीन लेविन (Myron Levine) ने कहा, 'मैं सोच भी नहीं सकता कि यह नैतिक होगा और वास्तव में हमें जो करना है, वह तेजी से आगे बढ़ेगा.'
कोरोना वायरस के अध्ययन की वकालत करने वाले स्टेनली प्लोटकिन (Stanley Plotkin) और अन्य लोगों का कहना है कि इस समस्या से युवाओं के ग्रसित होने की कम संभावना है क्योंकि उनमें गंभीर लक्षणों से पीड़ित होने की कम आशंका होती है.
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित है, उसके संपर्क में न आकर खुद को इससे बचाया जा सकता है. वहीं लेविन और मेमोली ने इस बात से सहमती जताई कि अगर कोरोना वायरस की कोई प्रभावी दवा हमारे पास मौजूद होती तो हम इसके जोखिम को कम कर सकते थे.
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की बायोएथिसिस्ट सीमा शाह ने भी कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर किए जा रहे प्रयोगों पर अपनी बात रखी. शाह चुनौती के परीक्षणों की नैतिकता को संबोधित करने के लिए एक स्थाई समिति के गठन की मांग की.
उन्होंने कहा कि इस समय की मांग को समझते हुए वैक्सीन बनाने वालों को भी संयम से काम लेना होगा.
गौरतलब है कि चीन के वुहान से जन्मा कोरोना वायरस आज वैश्विक महामारी बन गया है. यह आज देशव्यापी लॉकडाउन के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक मंदी का भी कारण बन चुका है.