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कॉलेज प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट की लताड़, कहा- छात्रा को दें 10 लाख रुपये मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद के कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को एक मेडिकल छात्रा को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. दरअसल, मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के गलत रवैये के कारण छात्रा को एमएस सर्जरी में अपनी सीट गंवानी पड़ी थी.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 8, 2020, 1:41 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद के कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को निर्देश दिया है कि कॉलेज प्रबंधन के गलत रवैये के कारण एमएस सर्जरी में अपनी सीट गंवाने वाली मेडिकल छात्रा को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को यह भी निर्देश दिया कि छात्रा मोथुरु श्रीया कौमुंदी को आगामी शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में प्रबंधन कोटे के तहत एमएस सर्जरी में प्रवेश दिया जाए.

दरअसल, कौमुंदी ने एमएस सर्जरी सीट के लिए कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में आवेदन किया था. कॉलेज प्रबंधन ने 29 या 30 जुलाई को शाम 4 बजे तक रिपोर्ट करने की सलाह दी थी. जिसके अनुसार छात्रा कॉलेज पहुंची, परंतु प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और उसे प्रवेश नहीं मिला.

जिसके बाद छात्रा कौमुंदी ने तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्रवेश के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की. पीड़िता की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायलय ने आदेश दिया कि अतिरिक्त सीट की व्यवस्था होने पर उसे प्रवेश दिया जाए, लेकिन अतिरिक्त सीट की व्यवस्था नहीं की जा सकती थी.

इसके बाद छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, शीर्ष अदालत ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा बताई गई अतिरिक्त सीट की व्यवस्था करना संभव नहीं है.

पढ़ें- केंद्र ने SC से कहा, 'पराली प्रदूषण से निपटने के लिए जल्द बनाएंगे कानून'

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले शैक्षणिक वर्ष में छात्र के लिए उसी पाठ्यक्रम में प्रबंधन कोटा से एक सीट आवंटित करने का आदेश दिया. साथ ही मेडिकल कॉलेज को पीड़ित छात्रा को चार सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा अनुचित नीति के कारण छात्रा को एक साल का बहुमूल्य समय खोना पड़ा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद के कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर को निर्देश दिया है कि कॉलेज प्रबंधन के गलत रवैये के कारण एमएस सर्जरी में अपनी सीट गंवाने वाली मेडिकल छात्रा को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को यह भी निर्देश दिया कि छात्रा मोथुरु श्रीया कौमुंदी को आगामी शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में प्रबंधन कोटे के तहत एमएस सर्जरी में प्रवेश दिया जाए.

दरअसल, कौमुंदी ने एमएस सर्जरी सीट के लिए कामिनेनी एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में आवेदन किया था. कॉलेज प्रबंधन ने 29 या 30 जुलाई को शाम 4 बजे तक रिपोर्ट करने की सलाह दी थी. जिसके अनुसार छात्रा कॉलेज पहुंची, परंतु प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और उसे प्रवेश नहीं मिला.

जिसके बाद छात्रा कौमुंदी ने तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्रवेश के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की. पीड़िता की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायलय ने आदेश दिया कि अतिरिक्त सीट की व्यवस्था होने पर उसे प्रवेश दिया जाए, लेकिन अतिरिक्त सीट की व्यवस्था नहीं की जा सकती थी.

इसके बाद छात्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, शीर्ष अदालत ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा बताई गई अतिरिक्त सीट की व्यवस्था करना संभव नहीं है.

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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगले शैक्षणिक वर्ष में छात्र के लिए उसी पाठ्यक्रम में प्रबंधन कोटा से एक सीट आवंटित करने का आदेश दिया. साथ ही मेडिकल कॉलेज को पीड़ित छात्रा को चार सप्ताह के भीतर 10 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा अनुचित नीति के कारण छात्रा को एक साल का बहुमूल्य समय खोना पड़ा.

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