नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी में अब लेटर बम फूटा है. करीब 23 से अधिक नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर परिवर्तन की मांग की है. लेटर बम के बाद सोनिया गांधी ने अपनों के विरोध के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई है.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि आंतरिक चुनावों की जगह कांग्रेस को एक बार सर्वसम्मति को मौका देना चाहिए. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं का पूर्ण समर्थन प्राप्त है. उन्होंने कहा कि फर्क नहीं पड़ता है कि राहुल गांदी पर अध्यक्ष का ठप्पा है या नहीं.
अश्वनी लोहानी ने कहा,' मुझे लगता है कि सोनिया गांधी को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर पार्टी की जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों को नए पार्टी प्रमुख का सुझाव देने के लिए कहा है. नेतृत्व के मुद्दे पर कल यानी सोमवार की बैठक में एक अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
सूत्रों ने कहा है कि यदि कांग्रेस के नेता नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सहमत होंगे, तो सोनिया कल इस्तीफा दे सकती हैं.
इससे पहले सलमान खुर्शीद कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के चुनाव कराने की मांग पर यह टिप्प्णी की है.
उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के पास है. कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता, यहां तक कि विपक्ष भी इससे इनकार नहीं कर सकता. मैं एक नेता के होने से बहुत खुश हूं, मैं इस बात की चिंता नहीं करता कि हमारे पास अध्यक्ष है या नहीं, हमारे पास एक नेता (राहुल गांधी के रूप में) हैं और यह बात मुझे सुकून देती है.'
खुर्शीद ने कहा कि मैं बहुत हैरान हूं. मैंने कम्युनिस्ट पार्टी या क्षेत्रीय दलों अथवा भाजपा में ऐसी एक मांग के बारे में नहीं सुना. मैंने इनमें से किसी दल में भी चुनावों की मांग के बारे में नहीं सुना.
उन्होंने कहा कि चुनाव महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जिन ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, परिस्थितियों में चुनाव होने हैं उन्हें भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. सर्वसम्मति कांग्रेस में राजनीतिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
उन्होंने कहा, सर्वसम्मति को छोड़कर चुनावों के विकल्प को अपनाना वो भी बिना उसके निहितार्थ और परिणामों के प्रतिबिंबित हुए अनदेखे, अनजाने क्षेत्र में जाने जैसा हो सकता है.
खुर्शीद ने यह भी कहा कि इन मुद्दों पर पार्टी के अंदर चर्चा होनी चाहिए और बाहर नहीं.
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनावों से पार्टी के अंदर बंटवारा हो सकता है, खुर्शीद ने कहा कि चुनावों से बंटवारा होता है.
उन्होंने कहा कि सही भावना में चुनावों को विभाजित नहीं करना चाहिए लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि चुनाव बांटते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष के तौर पर वापस आना चाहिए, खुर्शीद ने कहा कि यह फैसला उनको लेना है और नेताओं को उन्हें फैसला लेने की अनुमति देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब आप नेता के तौर पर किसी के लिये सहमति देते हैं तब आपको नेता की बात सुननी चाहिए और वह जो करना चाहता है करने दें. बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि उन्हें पार्टी की अध्यक्षता से दूर नहीं रहना चाहिए.
इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व को चुनौती देने के कुछ पार्टी नेताओं के प्रयास का विरोध किया है.
अमरिंदर ने कहा सोनिया गांधी जब तक चाहें उन्हें अध्यक्ष बने रहना चाहिए, उनके बाद राहुल गांधी को कमान संभालनी चाहिए, जो पूरी तरह सक्षम हैं.
भूपेश बघेल ने राहुल को लिखा पत्र
वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह एक एक बार फिर से पार्टी की कमान संभालें.
उन्होंने पत्र में कहा कि गांधी-नेहरू परिवार का भारत को गरीब राष्ट्र की श्रेणी से निकालकर आधुनिक राष्ट्र बनाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है. इस परिवार ने देश के लिए जो कुर्बानियां दी हैं वह अविस्मरणीय हैं.
बघेल ने कहा कि 135 साल के इतिहास में कांग्रेस ने अनेक संकटों का सामना किया, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं की गांधी-नेहरू परिवार में आस्था हमेशा अडिग रही. देश की जनता ने लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुरूप ही इस परिवार के प्रति अपना समर्थन जताया है.
उन्होंने पत्र में लिखा कि हर चुनौती में हमारे लिए उम्मीद की किरण सोनिया जी और राहुल जी हैं. हम सभी आपके साथ हैं. छत्तीसगढ़ और देश के करोड़ों कार्यकर्ता और देशवासी आपके साथ हैं. देश जिस संकटपूर्ण दौर से गुज़र रहा है उससे आपके नेतृत्व में ही छुटकारा मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपसे अनुरोध है कि असहमति के स्वरों के बीच अविचलित रहते हुए देश को नयी दिशा दिखाएं और कांग्रेस का नेतृत्व पुन: संभालें. हमें आशा है कि आपके नेतृत्व में कांग्रेस नई ऊंचाइयां हासिल करेगी और देश के सामने खड़े संकटों पर विजय हासिल की जा सकेगी.