भुवनेश्वर : विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के मौके पर पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के सामने की भव्य सड़क पर भक्तों का हुजूम उमड़ जाता है. हर वर्ष भक्तों को इस रथ यात्रा में भगवान के दर्शन का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस रथयात्रा के दौरान भगवान और भक्त एक हो जाते हैं. हालांकि इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते लगे प्रतिबंधों के कारण इस रथ यात्रा को लेकर भक्तों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि क्या इस साल भी विशाल रथ यात्रा का आयोजन और भक्तों को दर्शन का मौका मिलेगा या नहीं.
रथ यात्रा पर संशय के बीच दैत सेवक भगवान जगन्नाथ के रथयात्रा महोत्सव की परंपरा को तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं. यहां तक कि राज्य में 18वीं शताब्दी में आए अकाल के दौरान भी रथ यात्रा का आयोजन बंद नहीं हुआ था.
दैत सेवकों की राय है कि कोरोना वायरस के प्रसार और सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए भक्तों के बिना ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जानी चाहिए, जैसा कि भगवान के पुण्य स्नान का आयोजन किया गया था.
यदि भक्तों के बिना यात्रा निकाली जाती है तो सवाल उठता है कि रथ को कौन खीचेगा. हालांकि दैतापति सेवकों ने सुझाव दिया है कि रथ को खींचने का काम जगन्नाथ मंदिर के 36 नियोग सेवादार और उनके परिवार के सदस्य करेंगे.
सारे कर्मचारियों ने कराई कोरोना जांच
दूसरी ओर पूरे जोर-शोर से तीनों रथों को बनाने का काम जारी है. हालांकि रथयात्रा उत्सव के आयोजन को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं है. मुख्य रथ निर्माणकर्ता और अन्य सेवक कोरोना प्रतिबंधों के बाद भी रथों के निर्माण में लगे हुए हैं. सुरक्षा को देखते हुए रथों के निर्माण में लगे 200 बढ़ई, 754 सेवक और जगन्नाथ मंदिर के कर्मचारियों ने कोरोना की जांच करवाई है और सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है. इसके अलावा सेवकों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें होम्योपैथिक दवाएं दी गई हैं.
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राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट है कि कोरोना महामारी के बीच आयोजित होने वाले रथ यात्रा उत्सव के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. हालांकि, मंदिर प्रमुख का कहना है कि प्रतिबंधों के साथ रथ यात्रा कराने या यात्रा रद्ध करने को लेकर अंतिम निर्णय राज्य सरकार लेगी.