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लॉकडाउन : उत्तर भारत का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने की कगार पर

उत्तर भारत का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने की कगार पर है. लॉकडाउन की वजह से 80 से 90 रुपये किलो बिकने वाला मशरूम अब कौड़ियों के भाव बिक रहा है. केंद्र का राहत पैकेज इसपर बेअसर साबित होना नजर आ रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

mushroom in yamunanagar
हरियाणा के यमुनानगर में मशरूम की खेती
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Published : May 21, 2020, 6:49 PM IST

यमुनानगर : लॉकडाउन के चलते नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने की कगार पर है. लॉकडाउन की वजह से मशरूम की सप्लाई नहीं हो रही है, जिसकी वजह से यह संकट खड़ा हुआ है.

यमुनानगर में उत्तर भारत का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट स्थित है. यहां से देश के लगभग हर राज्य में मशरूम की आपूर्ति होती है. अब लॉकडाउन की वजह से 80 से 90 रुपये किलो बिकने वाला मशरूम अब कौड़ियों के भाव बिक रहा है. लाखों रुपये का मशरूम तो प्लांट में रखे-रखे खराब हो रहा है. खराब मशरूम को जेसीबी की मदद से गड्डे में दबाया जा रहा है. ऐसे में मशरूम प्लांट संचालक सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.

लॉकडाउन से लाखों का नुकसान
उत्तर भारत के सबसे बड़े स्नो फार्म फ्रेश मशरूम प्लांट के संचालक संजय शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोविड-19 के संकट में वह पूरी तरह से सरकार के साथ हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. संजय ने कहा कि प्लांट में रोजाना 5 टन मशरूम का उत्पादन होता है. इसके अलावा मशरूम का बीज भी तैयार करने के लिए कंपोस्ट खाद भी यहीं पर तैयार की जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

रोजी-रोटी पर भी संकट
मशरूम प्लांट दर्जनों परिवारों की रोजी का जरिया भी है, लेकिन कोरोना वायरस ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है. उन्होंने बताया कि उनका माल उड़ीसा, यूपी, पश्चिम बंगाल, गोरखपुर से नेपाल उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के अलावा कई और प्रदेशों में जाता है. अब सप्लाई बंद होने की वजह से उनको करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. मशरूम को रोककर भी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि ज्यादा दिन रखने पर यह खराब होने लगता है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

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मशरूम की खेती के दौरान किसान

संजय शर्मा ने कहा कि उन्हें रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. मजबूरन कई टन मशरूम जमीन में दबाना पड़ रहा है. उन्होंने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से मांग की है कि उन्हें थोड़ी राहत दी जाए. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उद्यान विभाग को पत्र भी लिखा है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन के चलते साफ हुआ घग्गर नदी का पानी, किसानों को बंपर पैदावार की उम्मीद

मशरूम का कारोबार करने वाले शिवम ने कहा, 'सब सरकार के ऊपर है कि वह हमारी कितनी मदद करती है और हालात ये हैं कि हमें मशरूम को गड्ढा खोदकर उसमें दफनाना पड़ रहा है. अगर हम बाहर फ्री में बांटते हैं तो सोशल डिस्टेंस मेंटेन नहीं रहता. जो मशरूम 80 से 90 रुपये किलो बिकते थे, अब उसका मंडी में ₹1 बिल मंडी से बन कर आ रहा है. उसके बाद भी मंडी में ये कहा जाता है कि मशरूम भेज दो अगर बिक जाए तो आपको पेमेंट भी जाएगी, वरना नहीं मिलेगी.'

यमुनानगर : लॉकडाउन के चलते नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने की कगार पर है. लॉकडाउन की वजह से मशरूम की सप्लाई नहीं हो रही है, जिसकी वजह से यह संकट खड़ा हुआ है.

यमुनानगर में उत्तर भारत का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट स्थित है. यहां से देश के लगभग हर राज्य में मशरूम की आपूर्ति होती है. अब लॉकडाउन की वजह से 80 से 90 रुपये किलो बिकने वाला मशरूम अब कौड़ियों के भाव बिक रहा है. लाखों रुपये का मशरूम तो प्लांट में रखे-रखे खराब हो रहा है. खराब मशरूम को जेसीबी की मदद से गड्डे में दबाया जा रहा है. ऐसे में मशरूम प्लांट संचालक सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.

लॉकडाउन से लाखों का नुकसान
उत्तर भारत के सबसे बड़े स्नो फार्म फ्रेश मशरूम प्लांट के संचालक संजय शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोविड-19 के संकट में वह पूरी तरह से सरकार के साथ हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. संजय ने कहा कि प्लांट में रोजाना 5 टन मशरूम का उत्पादन होता है. इसके अलावा मशरूम का बीज भी तैयार करने के लिए कंपोस्ट खाद भी यहीं पर तैयार की जाती है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

रोजी-रोटी पर भी संकट
मशरूम प्लांट दर्जनों परिवारों की रोजी का जरिया भी है, लेकिन कोरोना वायरस ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है. उन्होंने बताया कि उनका माल उड़ीसा, यूपी, पश्चिम बंगाल, गोरखपुर से नेपाल उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के अलावा कई और प्रदेशों में जाता है. अब सप्लाई बंद होने की वजह से उनको करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. मशरूम को रोककर भी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि ज्यादा दिन रखने पर यह खराब होने लगता है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

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मशरूम की खेती के दौरान किसान

संजय शर्मा ने कहा कि उन्हें रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. मजबूरन कई टन मशरूम जमीन में दबाना पड़ रहा है. उन्होंने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से मांग की है कि उन्हें थोड़ी राहत दी जाए. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उद्यान विभाग को पत्र भी लिखा है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन के चलते साफ हुआ घग्गर नदी का पानी, किसानों को बंपर पैदावार की उम्मीद

मशरूम का कारोबार करने वाले शिवम ने कहा, 'सब सरकार के ऊपर है कि वह हमारी कितनी मदद करती है और हालात ये हैं कि हमें मशरूम को गड्ढा खोदकर उसमें दफनाना पड़ रहा है. अगर हम बाहर फ्री में बांटते हैं तो सोशल डिस्टेंस मेंटेन नहीं रहता. जो मशरूम 80 से 90 रुपये किलो बिकते थे, अब उसका मंडी में ₹1 बिल मंडी से बन कर आ रहा है. उसके बाद भी मंडी में ये कहा जाता है कि मशरूम भेज दो अगर बिक जाए तो आपको पेमेंट भी जाएगी, वरना नहीं मिलेगी.'

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