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ममता की मांग- CAA और NRC पर यूएन की निगरानी में हो जनमत संग्रह - ममता जनमत संग्रह

नागरिकता संशोधन कानून पर विरोध जारी रखते हुए प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अजीबो-गरीब बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह होना चाहिए. और जो हारेगा, उसे पद छोड़ना होगा. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Dec 19, 2019, 5:51 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 7:07 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को यूनाइटेड नेशन जैसे निष्पक्ष संगठन द्वारा एक जनमत संग्रह की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पक्ष में कितने लोग हैं कितने लोग इसके विरोध में हैं.

ममता ने एक पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसा एक निष्पक्ष संगठन होना चाहिए, जो एक जनमत संग्रह आयोजित करें और देखे कि कितने लोग नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पक्ष में हैं और कितने उसके के खिलाफ हैं.

इसके अलावा सीएम ने भाजपा पर देश को विभाजित करने का भी आरोप लगाया और कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध तब तक नहीं रुकेगा, जब तक कि सरकार कानून वापस नहीं ले लेती.

कोलकाता की रैली में ममता बनर्जी

उन्होंने कहा कि आजादी के 73 साल बाद, हमें यह साबित करना होगा कि हम भारतीय नागरिक हैं. बीजेपी देश को विभाजित कर रही है.

ममता ने लोगों से कहा कि वह अपना विरोध बंद न करें क्योंकि हमें सीएए को रद्द करना होगा. उन्होंने कहा कि तीन दिन बीतने के साथ परर्शन और मजबूत हुआ है,

सीएम ने CAA के 'गंदी राजनीति' भी कहा और कहा, आपने ऐसा करने के बाद 38 फीसदी वोट हासिल किए हैं और उनमें से कई आपके खिलाफ हैं.

पढ़ें- ममता का तंज, 'जो बीजेपी में नहीं है, सब एंटी नेशनल हैं'

यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि हमें अपने पिता और माताओं को पहचान देनी पड़ रही है. सभी नागरिक हैं और अचानक जिसने यह विचार दिया कि हमें इसका प्रमाण देना होगा ... वे गंदी राजनीति कर रहे हैं.

बता दें कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इस के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागकर भारत आए

शरणार्थियों को जिनमें हिंदू, सिख, जैन, पारसी बौद्ध और ईसाइ शामिल हैं उनको नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम समुदाय को इससे दूर रखा गया है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को यूनाइटेड नेशन जैसे निष्पक्ष संगठन द्वारा एक जनमत संग्रह की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पक्ष में कितने लोग हैं कितने लोग इसके विरोध में हैं.

ममता ने एक पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसा एक निष्पक्ष संगठन होना चाहिए, जो एक जनमत संग्रह आयोजित करें और देखे कि कितने लोग नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पक्ष में हैं और कितने उसके के खिलाफ हैं.

इसके अलावा सीएम ने भाजपा पर देश को विभाजित करने का भी आरोप लगाया और कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध तब तक नहीं रुकेगा, जब तक कि सरकार कानून वापस नहीं ले लेती.

कोलकाता की रैली में ममता बनर्जी

उन्होंने कहा कि आजादी के 73 साल बाद, हमें यह साबित करना होगा कि हम भारतीय नागरिक हैं. बीजेपी देश को विभाजित कर रही है.

ममता ने लोगों से कहा कि वह अपना विरोध बंद न करें क्योंकि हमें सीएए को रद्द करना होगा. उन्होंने कहा कि तीन दिन बीतने के साथ परर्शन और मजबूत हुआ है,

सीएम ने CAA के 'गंदी राजनीति' भी कहा और कहा, आपने ऐसा करने के बाद 38 फीसदी वोट हासिल किए हैं और उनमें से कई आपके खिलाफ हैं.

पढ़ें- ममता का तंज, 'जो बीजेपी में नहीं है, सब एंटी नेशनल हैं'

यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि हमें अपने पिता और माताओं को पहचान देनी पड़ रही है. सभी नागरिक हैं और अचानक जिसने यह विचार दिया कि हमें इसका प्रमाण देना होगा ... वे गंदी राजनीति कर रहे हैं.

बता दें कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इस के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागकर भारत आए

शरणार्थियों को जिनमें हिंदू, सिख, जैन, पारसी बौद्ध और ईसाइ शामिल हैं उनको नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम समुदाय को इससे दूर रखा गया है.

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Last Updated : Dec 19, 2019, 7:07 PM IST
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