बेंगलुरु : कर्नाटक के चामराजनगर जिले में स्थित एक जगह से एक अंधविश्वास (jinx) जुड़ा है. अंधविश्वास जिसके चलते वहां सालों तक राज्य के किसी मुख्यमंत्री ने जिले का दौरा नहीं किया. माना जाता है कि जो भी चामराजनगर के जिला मुख्यालय का दौरा करता है, उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है. यह अंधविश्वास देवराज उर्स के समय से शुरू हुआ और आज जारी है.
देवराज उर्स, आर गुंडू राव, रामकृष्ण हेगड़े, एसआर बोम्मई और वीरेंद्र पाटिल का नाम उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने चमराजनगर का दौरा करने के बाद सत्ता खो दी थी. लेकिन क्या यह एक सच्चाई है ?
सत्ता खोने का पहला उदाहरण
देवराज उर्स पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद छठी विधान सभा के लिए दोबारा चुने गए थे. वह 31 दिसंबर, 1977 को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्होंने 7 जनवरी, 1980 को दूसरा कार्यकाल पूरा किए बिना सत्ता खो दी. चामराजनगर का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री को सत्ता गंवाने का यह पहला उदाहरण था.
नहीं मिला दूसरा कार्यकाल
देवराज उर्स के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के आर गुंडुराव मुख्यमंत्री बने, उन्होंने 12 जनवरी, 1980 से 6 जनवरी, 1983 तक राज्य पर शासन किया, लेकिन वह दूसरे कार्यकाल के लिए पुन: चुनाव नहीं जीत सके. उल्लेखनीय है कि राव मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान चामराजनगर का दौरा किया गया था.
तीन बार सीएम, लेकिन अधूरा कार्यकाल
रामकृष्ण हेगड़े राज्य के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. 10 जनवरी, 1983 से 29 दिसंबर, 1984 तक , 8 मार्च, 1985 से 16 फरवरी, 1986 तक और 16 फरवरी, 1986 से 10 अगस्त, 1988 तक मुख्यमंत्री बने. वे तीन कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक बार भी उनका कार्यकाल पूरा नहीं हो सका.
टेलीफोन टैपिंग मामले में अपने खिलाफ लगे आरोपों के चलते हेगड़े ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने चामराजनगर जिले का दौरा करने के बाद ही इस्तीफा दिया था.
सत्ता गंवाने वाले चौथे मुख्यमंत्री
रामकृष्ण हेगड़े के इस्तीफे के बाद एस आर बोम्मई 13 अगस्त, 1988 को मुख्मंत्री बने और 21 अप्रैल, 1989 तक इस पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने ने भी चामराजनगर जिले का दौरा कर अपनी सत्ता गंवाई.
कांग्रेस को मिली सत्ता, लेकिन कार्यकाल अधूरा
इसके बाद विधानसभा के लिए आम चुनाव हुए कांग्रेस सत्ता में आई और वीरेंद्र पाटिल 30 नवंबर, 1989 को मुख्यमंत्री बने, लेकिन 10 अक्टूबर, 1990 को उन्होंने सत्ता गंवा दी. पाटिल को सीएम की कुर्सी से हटाकर कांग्रेस आलाकमान ने एस बंगारप्पा को मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया. बताया जाता है कि पाटिल भी चामराजनगर के झिंक्स का दौरा कर के आए थे और उसके बाद सत्ता खो दी थी और इस तरह यह राज्य में अंधविश्वास का प्रतीक बन गया.
कई लोग सीएम बने, लेकिन नहीं गए जिला मुख्यालय
पाटिल के बाद समाजवादी पृष्ठभूमि वाले कांग्रेस के मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा, जनता दल के मुख्यमंत्री एचडी देवेगौड़ा, जे एच पटेल, कांग्रेस के सीएम, एसएम कृष्णा, धर्म सिंह ने इस अंधविश्वास पर विश्वास दिखाया और चामराजनगर का दौरा करने का जोखिम नहीं लिया है और उन्होंने जिला सीमा पर ही विकासात्मक कार्यों का उद्घाटन किया और इसके बाद कई मुख्यमंत्रियों ने इसी परंपरा को जारी रखा.
16 साल बाद, जद (एस)- भाजपा गठबंधन सरकार सत्ता में आई और एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन गए. विडंबना यह है कि कुमारस्वामी ने चामराजनगर का दौरा किया, हालांकि, वे जिला मुख्यालय नहीं गए. इसके बाद 20-20 महीनों की सत्ता शेयर करने की बात पर सहमति न बनने के कारण गठबंधन की बनी यह सरकार जल्द ही गिर गई. गठबंधन सरकार के पतन के बाद चामराजनगर से जुड़ा यह अंधविश्वास और मजबूत हो गया.
चामराजनगर से दूर, लेकिन कार्यकाल अधूरा
गठबंधन सरकार के पतन के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया. बाद में 2008 में विधानसभा के लिए चुनाव हुए और भाजपा बहुमत के साथ सत्ता में आई. बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने और उन्होंने तीन साल तक राज्य पर शासन किया. हालांकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान चामराजनगर का दौरा नहीं किया. येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद 2011 में सदानंद गौड़ा मुख्यमंत्री बने. गौड़ा ने भी सत्ता खोने के डर से चामराजनगर जिले का दौरा नहीं किया.
इसके बाद जगदीश शेट्टार राज्य के मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल के अंत में उन्होंने जिले का दौरा किया. हालांकि, उनकी यात्रा चर्चा में नहीं आई, क्योंकि उनकी यात्रा से पहले ही आम चुनावों की घोषणा हो चुकी थी.
10 से अधिक दौरे, सत्ता बरकरार
कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने इस अंधविश्वास पर पूर्ण विराम लगा दिया और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान दस बार से अधिक चामराजनगर का दौरा किया. उन्होंने जिले में जाकर न केवल चामराजनगर से जुड़े अंधविश्वास को तोड़ा. बल्कि जिले में कई विकासात्मक कार्यों का शुभारंभ किया.
इसके बाद 2018 में कांग्रेस- जेडी (एस) गठबंधन सरकार सत्ता में आई और मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने अपने एक साल के कार्यकाल में चामराजनगर का दौरा नहीं किया.
येदियुरप्पा का चामराजनगर से परहेज
गठबंधन सरकार के पतन के बाद एक बार फिर भाजपा सत्ता में आई और बी एस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने. येदियुरप्पा ने अंधविश्वास को कायम रखा और अब तक जिले का दौरा नहीं किया.
चामराजनगर का दौरा न करने से बच सकती है सत्ता?
एक ओर यह धारणा है कि अगर कोई चामराजनगर का दौरा करता है, तो वे सत्ता खो देगा, लेकिन यह भी सच है कि जिन्होंने चामराजनगर का दौरा नहीं किया उन्होंने भी सत्ता को खोया.
देवराज उर्स के बाद सिद्धारमैया दूसरे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. उन्होंने अपने कार्यकाल में चामराजनगर की दस से अधिक यात्राओं के बावजूद पांच साल के कार्यकाल पूरा किया.
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इतना ही नहीं कांग्रेस और गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों दोनों ने अलग-अलग कारणों से सत्ता खोई है. सत्ता खोने में चामराजनगर को कोई लिंक नहीं है.
एस बंगारप्पा से लेकर कुमारस्वामी तक पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अशुभ मान लिए गए चामराजनगर जिले का दौरा नहीं किया, लेकिन उन्होंने अलग-अलग कारणों से सत्ता खो दी. बंगारप्पा को पार्टी आलाकमान हटा दिया था.
2008 में पहली बार भाजपा सरकार सत्ता में आई है, हालांकि येदियुरप्पा ने चामराजनगर का दौरा नहीं किया है, लेकिन लोकायुक्त द्वारा भूमि संबंधी भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद उन्होंने सीएम पद गंवा दिया. इसके अलावा बीजेपी द्वारा ऑपरेशन लोटस का सहारा लेने के बाद कुमारस्वामी ने 2019 में सत्ता खो दी.