भोपाल : आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कथित जमीन घोटाले मामले में फिर से जांच शुरू कर दी है. गौरतलब है कि मामला 10 हजार करोड़ के जमीन घोटाले का है, जिसमें एक ही जमीन को कई बार बेचने का आरोप है. इसमें सरकारी जमीन भी शामिल है.
आपको बता दें 2014 में मामले की जांच हो चुकी है. मध्यप्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ की गई एक शिकायत के तथ्यों का फिर से सत्यापन करने का निर्णय किया है.
ग्वालियर में एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि सिंधिया ने एक संपत्ति के दस्तावेजों में हेरफेर कर 6,000 फीट जमीन का हिस्सा शिकायतकर्ता को बेचा था.
सिंधिया इसी सप्ताह भाजपा में शामिल हुए हैं. इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है. सिंधिया खेमे के अधिकांश विधायकों ने कांग्रेस से बागी हो कथित तौर पर अपने त्यागपत्र राजभवन को भेज दिए हैं. सभी 19 विधायक फिलहाल बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं.
ईओडब्लयू के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी को बताया, 'हां, सुरेंद्र श्रीवास्तव की शिकायत के तथ्यों को फिर से सत्यापित करने के आदेश दिए गए हैं.'
ईओडब्लयू की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुरेंद्र श्रीवास्तव ने सिंधिया और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि उन्होंने एक रजिस्ट्री दस्तावेज में हेरफेर कर वर्ष 2009 में ग्वालियर के महलगांव में 6,000 फीट जमीन उसे बेची.
उन्होंने बताया कि पहली दफा यह शिकायत 26 मार्च 2014 में की गई थी, जिसकी जांच के बाद हमने इसे 2018 में बंद कर दिया.
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उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने आज, 12 मार्च, 2020 को फिर से हमें आवेदन दिया है. उस आधार पर हम शिकायत के तथ्यों को फिर से सत्यापित करेंगे.
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और सिंधिया समर्थक पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि सिंधिया जी के खिलाफ बदले की भावना से जो ईओडब्ल्यू की प्रक्रिया की जा रही है. उससे कुछ होने वाला नहीं है. इस प्रकरण में एक बार सबूतों के अभाव में खात्मा लग चुका है फिर भी बदले की भावना से यह सब किया जा रहा है. हमें कानून एवं संविधान पर पूरा भरोसा है, जहां से हमें न्याय मिलेगा और बदले लेने वाली कमलनाथ सरकार को मिलेगा करारा जवाब.