नई दिल्ली : वाम दलों द्वारा समर्थित देशभर की सेंट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा बुधवार को आहूत भारत बंद का पूरे देश में मिलाजुला असर देखने को मिला. वैसे पश्चिम बंगाल से आ रही छिटपुट घटनाओं की जानकारी के अलावा पूरे देश में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहा.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी सेंट्रल ट्रेड यूनियन, किसान संगठन, और वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने एक प्रदर्शन मार्च निकाला. इस प्रदर्शन में लेफ्ट विंग छात्र संगठन से जुड़े छात्रों ने भी हिस्सा लिया.
दिल्ली के आईटीओ स्थित शहीद पार्क से चलकर यह जुलूस आईटीओ चौराहे तक पहुंचा, जहां पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी और इस प्रदर्शन को यहां से आगे नहीं बढ़ने दिया गया.
ईटीवी भारत ने इस देशव्यापी हड़ताल को लेकर सीपीआईएम के किसान संगठन अखिल भारतीय किसान महासभा के अध्यक्ष और पूर्व सांसद हन्नान मोल्लाह से बातचीत की.
हन्नान मोल्लाह ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह देश में अब तक की सर्वाधिक किसान विरोधी, मजदूर विरोधी, शिक्षा विरोधी और लोकतंत्र विरोधी सरकार है.
उन्होंने बताया कि देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति किसानों की हालत और शिक्षा के मुद्दों के साथ-साथ यह हड़ताल नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में भी की गई थी.
ये भी पढ़ें- ट्रेड यूनियनों का भारत बंद, बंगाल में दो गुट आपस में भिड़े
हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने इस भारत बंद को पूरी तरह से असफल करार दिया, लेकिन वाम दल के नेताओं की मानें तो देशभर में 200 से ज्यादा किसान संगठन और लगभग 80 सेंट्रल ट्रेड यूनियन उनकी इस हड़ताल में साथ खड़े हुए.
इसके अलावा कई राजनीतिक पार्टियों का भी इस एक दिवसीय हड़ताल को समर्थन मिला. प्रदर्शनकारियों का दावा था कि देशभर में ज्यादातर शिक्षण संस्थान बंद रहे. साथ ही फैक्ट्रियां और ट्रांसपोर्ट भी बंद रहे.