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बुलेट ट्रेन: भूमि अधिग्रहण के खिलाफ 120 से अधिक याचिकाएं खारिज

पीएम मोदी और शिंजो आबे ने सितंबर 2017 में बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत की थी. इसी संबंध में किसानों ने गुजरात हाई कोर्ट में जमीनी अधिग्रहण के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं, जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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Published : Sep 20, 2019, 8:27 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 7:11 AM IST

अहमदाबादः गुजरात उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली किसानों की 120 से अधिक याचिकाओं को गुरुवार को खारिज कर दिया.

हालांकि न्यायमूर्ति ए एस दवे और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को आंशिक राहत दी है. उन्होंने कहा है कि अधिक मुआवजे का विषय अब भी खुला हुआ है और किसान अपनी जमीन के ऐवज में और अधिक धन की मांग के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.

अदालत ने क्या कहा
अदालत ने कहा कि अधिक पैसे की मांग करते हुए किसान पिछले उदाहरणों का जिक्र कर सकते हैं, जहां भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या अन्य किसी संस्थान ने जमीन अधिग्रहण के लिए अधिक मुआवजे की पेशकश की थी.

भूमि अधिग्रहण की वैधता कायम
पीठ ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की वैधता को कायम रखा जिसे गुजरात सरकार ने 2016 में संशोधित किया था और इसके बाद राष्ट्रपति ने मुहर लगाई थी.

किसानों के दावे खारिज
अदालत ने किसानों के इस दावे को खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है क्योंकि परियोजना गुजरात और महाराष्ट्र, दो राज्यों के बीच बंटी हुई है. अदालत ने कहा कि सामाजिक प्रभाव का आकलन किये बिना भूमि अधिग्रहण शुरू करने की घोषणा के लिए अधिसूचना जारी करना भी वैध है.

पीठ ने यह भी कहा कि मुआवजे का हिसाब लगाने की पूरी प्रक्रिया भी बिल्कुल सही है.

पढ़ेंः सामान्य हुई दिल्ली-पलवल रूट पर ट्रेनों की आवाजाही, यात्रियों को बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद याग्निक ने कहा कि अधिकतर किसान दक्षिण गुजरात से हैं और वे आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाएंगे. इन किसानों ने अपनी याचिकाओं के माध्यम से दावा किया कि भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के तहत किसानों की भूमि की कीमत में संशोधन से पहले भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती. उन्होंने दावा किया कि उन्हें बाजार दरों पर मुआवजे की पेशकश की जा रही है जो 2011 में तय हुई थीं.

जमीन की दरें हों संशोधित
भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 26 का हवाला देते हुए उन्होंने मांग की कि मुआवजे का आकलन करने से पहले राज्य सरकार को पहले जमीन की बाजार दरें संशोधित करनी चाहिए और उन दरों पर मुआवजा देना चाहिए, ना कि 2011 की दरों पर. आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने गुजरात संशोधन अधिनियम, 2016 को भी चुनौती दी.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सितंबर 2017 में बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरूआत की थी.

12 स्टेशन होंगे
अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा होगा जिसमें 12 स्टेशन होंगे. इस पर बुलेट ट्रेन 320 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी.

अहमदाबादः गुजरात उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली किसानों की 120 से अधिक याचिकाओं को गुरुवार को खारिज कर दिया.

हालांकि न्यायमूर्ति ए एस दवे और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को आंशिक राहत दी है. उन्होंने कहा है कि अधिक मुआवजे का विषय अब भी खुला हुआ है और किसान अपनी जमीन के ऐवज में और अधिक धन की मांग के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.

अदालत ने क्या कहा
अदालत ने कहा कि अधिक पैसे की मांग करते हुए किसान पिछले उदाहरणों का जिक्र कर सकते हैं, जहां भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण या अन्य किसी संस्थान ने जमीन अधिग्रहण के लिए अधिक मुआवजे की पेशकश की थी.

भूमि अधिग्रहण की वैधता कायम
पीठ ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम की वैधता को कायम रखा जिसे गुजरात सरकार ने 2016 में संशोधित किया था और इसके बाद राष्ट्रपति ने मुहर लगाई थी.

किसानों के दावे खारिज
अदालत ने किसानों के इस दावे को खारिज कर दिया कि गुजरात सरकार के पास भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं है क्योंकि परियोजना गुजरात और महाराष्ट्र, दो राज्यों के बीच बंटी हुई है. अदालत ने कहा कि सामाजिक प्रभाव का आकलन किये बिना भूमि अधिग्रहण शुरू करने की घोषणा के लिए अधिसूचना जारी करना भी वैध है.

पीठ ने यह भी कहा कि मुआवजे का हिसाब लगाने की पूरी प्रक्रिया भी बिल्कुल सही है.

पढ़ेंः सामान्य हुई दिल्ली-पलवल रूट पर ट्रेनों की आवाजाही, यात्रियों को बड़ी राहत

सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद याग्निक ने कहा कि अधिकतर किसान दक्षिण गुजरात से हैं और वे आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाएंगे. इन किसानों ने अपनी याचिकाओं के माध्यम से दावा किया कि भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के तहत किसानों की भूमि की कीमत में संशोधन से पहले भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती. उन्होंने दावा किया कि उन्हें बाजार दरों पर मुआवजे की पेशकश की जा रही है जो 2011 में तय हुई थीं.

जमीन की दरें हों संशोधित
भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 26 का हवाला देते हुए उन्होंने मांग की कि मुआवजे का आकलन करने से पहले राज्य सरकार को पहले जमीन की बाजार दरें संशोधित करनी चाहिए और उन दरों पर मुआवजा देना चाहिए, ना कि 2011 की दरों पर. आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने गुजरात संशोधन अधिनियम, 2016 को भी चुनौती दी.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सितंबर 2017 में बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरूआत की थी.

12 स्टेशन होंगे
अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन कॉरिडोर 508 किलोमीटर लंबा होगा जिसमें 12 स्टेशन होंगे. इस पर बुलेट ट्रेन 320 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी.

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GJ-HC-LD BULLET TRAIN
Bullet train: Gujarat HC junks over 120 pleas against land acquisition
(Eds: Adding details)
         Ahmedabad, Sep 19 (PTI) The Gujarat High Court on Thursday dismissed over 120 petitions filed by farmers challenging the process of their land acquisition for the ambitious Ahmedabad-Mumbai Bullet train project.
          However, in a partial relief to the petitioners, a division bench of justices A S Dave and Biren Vaishnav said the issue of higher compensation is still "open" and farmers can approach the authorities concerned to seek more money against their land.
          The court said while seeking more money, the farmers could cite past examples where higher compensation was offered by the National Highway Authority of India or any other such entity for acquiring land.
          In its order on Thursday, the bench upheld the validity of the Land Acquisition Act amended by the Gujarat government in 2016 and subsequently approved by the president.
          The petitioners had challenged the state amendment which tweaked the central law of 2013.
          The court turned down the farmers' claim that the Gujarat government did not have powers to issue a notification for land acquisition, since the project was divided between two states -- Gujarat and Maharashtra.
          The court was also of the opinion that powers conferred to the bureaucracy under the state Act to give a 'go-by' to social impact assessment as well as rehabilitation and resettlement, if needed, do not fall into the category of 'excessive delegation', as contended by the agitating farmers.
          Further, the court held that issuance of a notification declaring the commencement of land acquisition without undertaking social impact assessment is also valid.
          The bench also stated that the entire process of calculating compensation was fair.
          The court was satisfied with the social and environment impact assessment carried out by a private agency engaged by the National High Speed Rail Corporation Limited, as per guidelines of the Japan International Cooperation Agency (JICA), which is funding the mega project.
          After the setback, the petitioners' counsel, Anand Yagnik, said the farmers who mostly belong to south Gujarat would approach the Supreme Court against the order.
          These farmers, through their petitions, claimed that the process of land acquisition could not be started before revising the prices of their land, as mandated under the Land Acquisition Act, 2013.
          They claimed that compensation was being offered to them on the market rates decided way back in 2011.
          Citing Section 26 of the Land Acquisition Act, they demanded that before calculating the compensation, the state government must first revise the market rates of their land and give compensation on those rates, and not of 2011.
          The petitioners also challenged the Gujarat Amendment Act, 2016 which tweaked the 2013 law.
          The ambitious bullet train project was launched by Prime Minister Narendra Modi and his Japanese counterpart Shinzo Abe in September 2017.
          The bullet train will run at a speed of 320-350 kmph, and have 12 stations across its 508-km stretch. PTI PJT PD GK
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09191711
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Last Updated : Oct 1, 2019, 7:11 AM IST
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