नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)के पूर्व कुलपति असीस दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि प्रोफेसर एमेरिट्स से शैक्षणिक और कार्य अनुभव मांगना वैसा है जैसे एक या दो दशक बाद उचित काम नहीं करने पर नोबेल पुरस्कार वापस लेना.
दत्ता उन 12 प्रोफेसर एमिरेट्स में हैं जिनसे विश्व विद्यालय प्रशासन ने मूल्यांकन के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव जमा कराने को कहा है. इस कदम का विश्वविद्यालय शिक्षक संघ सहित कई धड़े विरोध कर रहे हैं.
दत्ता ने बयान जारी कर कहा, 'उन्होंने रेक्टर से लेकर उपकुलपति तक के पदों पर दशकों अपनी सेवाएं दीं और प्रोफेसर एमिरेटस के पद पर रहते विश्वविद्यालय से कुछ नहीं चाहते. दत्ता ने कहा कि जेएनयू में उनका कोई कार्यालय नहीं है और वह कोई भत्ता नहीं लेते.'
पढ़ेंः JNUSU लाइव डिबेटः बीच बहस हुई झड़प
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)के पूर्व कुलपति असीस दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि प्रोफेसर एमेरिट्स से शैक्षणिक और कार्य अनुभव मांगना वैसा है जैसे एक या दो दशक बाद उचित काम नहीं करने पर नोबेल पुरस्कार वापस लेना.
दत्ता उन 12 प्रोफेसर एमिरेट्स में हैं जिनसे विश्व विद्यालय प्रशासन ने मूल्यांकन के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव जमा कराने को कहा है. इस कदम का विश्वविद्यालय शिक्षक संघ सहित कई धड़े विरोध कर रहे हैं.
दत्ता ने बयान जारी कर कहा, 'उन्होंने रेक्टर से लेकर उपकुलपति तक के पदों पर दशकों अपनी सेवाएं दीं और प्रोफेसर एमिरेटस के पद पर रहते विश्वविद्यालय से कुछ नहीं चाहते. दत्ता ने कहा कि जेएनयू में उनका कोई कार्यालय नहीं है और वह कोई भत्ता नहीं लेते.'
पढ़ेंः जेएनयू छात्रसंघ चुनाव: 50 मिनट की देरी से शुरू हुआ मतदान
उल्लेखनीय है कि जेएनयू प्रशासन ने इतिहासकार रोमिला थापर से उन्हें प्रोफेसर एमिरेटस पद पर बनाए रखने के लिए मूल्यांकन के वास्ते शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव की जानकारी मांगी थी, जिसकी जेएनयू शिक्षक संघ ने तीखी आलोचना करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
इसके बाद गत सोमवार को विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार ने बयान में कहा कि दत्ता सहित 11 अन्य से शैक्षणिक और कार्य अनुभव बताने को कहा गया है. किसी प्रोफेसर एमिरेट को निशाना नहीं बनाया गया है और इस संबंध में सभी आरोप बेबुनियाद हैं. विश्वविद्यालय केवल नियमों का अनुपालन कर रहा है.
पढ़ेंः जेएनयूएसयू प्रेजीडेंशियल डिबेट में अनुच्छेद 370 और लिंचिंग के मुद्दे उठे
शिक्षकों के संघ ने कहा कि उन्होंने 1970 के दशक में जेएनयू में नौकरी करने के लिए हमने अमेरिका की एक नौकरी को छोड़ दिया था.
दत्ता जल्दी ही नोट के वैज्ञानिक बन गए और एक के बाद एक प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते.
दत्ता को 1980 के दशक में सीएसआईआर द्वारा जीव में शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार, 1996 में जीव विज्ञान के थर्ड वर्ड अकादमी पुरस्कार (TWAS) , 1999 में शिक्षा में योगदान के लिये पद्म श्री पुरस्कार, 2008 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला.
दत्ता ने 2004 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष बने. जेएनयू में अपने शिक्षण कार्यकाल से सेवानिवृत्त होने के बाद वे एनआईपीजीआर के संस्थापक बने और वर्तमान समय में वे एक प्रतिष्ठित संस्थान के वैज्ञानिक हैं.
पढ़ेंः जेएनयू छात्रसंघ चुनाव: प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान हुई झड़प, छात्र घायल
गौरतलब है कि जेएनयू प्रशासन ने इतिहासकार रोमिला थापर से उन्हें प्रोफेसर एमिरेटस पद पर बनाए रखने के लिए मूल्यांकन के वास्ते शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव की जानकारी मांगी थी, जिसकी जेएनयू शिक्षक संघ ने तीखी आलोचना करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
इसके बाद गत सोमवार को विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार ने बयान में कहा कि दत्ता सहित 11 अन्य से शैक्षणिक और कार्य अनुभव बताने को कहा गया है. किसी प्रोफेसर एमिरेट को निशाना नहीं बनाया गया है और इस संबंध में सभी आरोप बेबुनियाद हैं. विश्वविद्यालय केवल नियमों का अनुपालन कर रहा है.