नई दिल्ली : नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NEEPCO) के अंतर्गत असम-मेघालय बॉर्डर पर उमरंगशू के कपिली हाइड्रो पावर प्लांट में एक पाइप लाइन फटने के बाद ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने सभी बांधों के निर्माण के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन फिर शुरू करने का फैसला किया है.
एएएसयू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने शनिवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए अरुणाचल प्रदेश में 168 बांधों पर संचयी डाउन स्ट्रीम प्रभाव अध्ययन के लिए भारत सरकार और असम सरकार से मांग की है.
बता दें, केंद्र ने बिजली पैदा करने के लिए अरुणाचल प्रदेश में 168 बांध बनाने का प्रस्ताव रखा है.
भट्टाचार्य ने कहा, 'हम विकास चाहते हैं और इसके लिए बिजली होनी चाहिए, लेकिन इसके लिए हम अपने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते.'
हाल ही में NEEPCO की उमरंगशू वॉटर पाइप लाइन फटने का जिक्र करते हुए, भट्टाचार्य ने भारत सरकार और NEEPCO के अधिकारी पर आरोप लगाए हैं.
भट्टाचार्य ने कहा, 'कपिली में अधिकारियों का आब तक पता नहीं चला है. यदि 2000 MW लोअर सुबनसिरी हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट में कोई घटना घटती है तो क्या होगा.'
एएएसयू व कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने लगातार अन्य लोगों के साथ 2000 मेगावाट लोअर सुबनसिरी हाइड्रो पावर परियोजना के निर्माण का विरोध किया है. निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन को खतरा ही विरोध का मुख्य कारण है.
एनएचपीसी की 2000 मेगावाट की सुबनसिरी परियोजना में काम केएमएसएस, एएएसयू द्वारा आंदोलन की वजह से 2012 के बाद से रुका हुआ था.
इस बीच, NEEPCO के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि बचाव दल द्वारा आज चार मंजिला उमरंगशू पावर स्टेशन के तहखाने को साफ करने की संभावना है.
NEEPCO के समन्वयक एच भराली ने कहा, 'बचाव दल ने तीन मंजिलों की सफाई कर ली है. आज मंजिल के तहखाने तक पहुंचने की संभावना है और हम अपने लापता अधिकारियों का पता लगाने में लगे हुए हैं.
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गौरतलब है कि कपिली हाइड्रो पावर स्टेशन पर गत सात अक्टूबर को एक उच्च गति वाली पानी की पाइप लाइन फटने से पावर स्टेशन में बाढ़ आ गई है, जबकि एक अन्य कर्मचारी के साथ सभी 3 NEEPCO कर्मचारी भी लापता हैं.
बाढ़ में लापता NEEPCO के तीन कर्मचारियों की पहचान प्रेम लाल बाल्मीकि, रॉबेट बाइट और जॉय टायम तुंग के रूप में की गई है. हालांकी, कैजुअल वर्कर की पहचान का अब पता नहीं चल पाया है.
बचाव कार्य राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (DDRF) की संयुक्त टीमों द्वारा किया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि चार मंजिला पावर स्टेशन के तहखाने में भरे कीचड़ से बचाव कार्य में बाधा आ रही है.
कपिली जल विद्युत संयंत्र 1976 में असम में स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई द्वारा पहला पावर प्लांट है. इसे 1984 में चालू किया गया था.
यह पावर प्लांट 275 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है, जिसमें से 150 मेगावाट असम को दिया जाता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, एनईईपीसीओ के सीएमडी वीके सिंह ने पहले कहा था कि आसपास के क्षेत्रों में कोयला खनन ही घटना का प्रमुख कारण है.
सिंह ने कहा, 'कपिली नदी के आस-पास के इलाकों में अवैध खनन ने पानी को अम्लीय बना दिया है और इससे पाइप लाइन फट गई है.'