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इन युवा कोडर्स ने कोडिंग पावर से विकसित कीं ये अभिनव मॉडल

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Published : Jun 8, 2022, 6:13 PM IST

कर्नाटक में सातवीं और चौथी कक्षा में पढ़ने वाले दो छात्रों हर्षवर्धन तथा निरंत ने अपने कोडिंग पावर का इस्तेमाल कर अभिनव मॉडल तैयार किया है. जहां हर्षवर्धन ने चिकित्सा में मदद करने वाला रोबोट तैयार किया है. वहीं, निरंत ने मेडिकल कार्ट विकसित किया है.

युवा कोडर्स
युवा कोडर्स

बेंगलुरु : कर्नाटक के दो छात्रों ने अपने कोडिंग पावर का इस्तेमाल कर अस्पतालों की आवश्यकतानुसार अभिनव मॉडल तैयार किया है. ये मॉडल खासतौर पर कोविड-19 के दौरान असुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इन्हें तैयार करने वाले दोनों बच्चे बेंगलुरु के गीतांजलि विद्यालय की सातवीं कक्षा का छात्र हर्षवर्धन और फ्रीडम इंटरनेशनल स्कूल की चौथी कक्षा का छात्र निरंत बी हैं.

जानकारी के मुताबिक, ये दोनों बच्चे एसपी रोबोटिक वर्क्स का हिस्सा हैं. दोनों ने मेडिकल कार्ट को एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाने के लिए एक मेडिकल सपोर्टिव ट्रांसपोर्टर के साथ आपातकालीन उपयोग के लिए एक अभिनव परिवहन प्रणाली विकसित की है. हर्षवर्धन ने चिकित्सा समर्थित परिवहन रोबोट बनाया है जिसमें उन्होंने आवश्यक कार्यों को करने के लिए रोबोट में कोडिंग की है. इस तरह रोबोट नर्स के साथ रहेगा और उन्हें अन्य एक कर्मचारी की जरूरत नहीं पड़ेगी.

कोडिंग पावर से विकसित कीं ये अभिनव मॉडल
कोडिंग पावर से विकसित कीं ये अभिनव मॉडल

हर्षवर्धन ने बताया, 'मैंने इस प्रोजेक्ट को इसलिए चुना क्योंकि पिछले दो वर्षों के दौरान मैंने लगभग हर अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारियों की कमी के परिणाम देखे हैं. इस वजह से मैं एक ऐसा रोबोट बनाना चाहता था, जो डॉक्टरों और नर्सों की मदद करें. मैं नहीं चाहता कि वे रोगियों की देखभाल के लिए आवश्यक चिकित्सा वस्तुओं की गाड़ियां खींचने और धक्का देने में समय बर्बाद करें. नतीजतन, मैंने एक सहायक ट्रांसपोर्टर बनाया है जो स्वचालित रूप से अस्पताल के कर्मचारियों की मदद करेगा.

निरंत ने अपने आविष्कार के बारे में बताया, 'मैंने एक अस्पताल परिवहन प्रणाली को विकसित किया है जो आपात स्थिति के दौरान मरीज को अस्पताल तक समय पर पहुंचाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण कोई जान न जाए.' उन्होंने कहा, 'मुझे यह करना बहुत पसंद है. मैंने बहुत सारी प्रोग्रामिंग सीखी है. अब, मैं आसानी से अपने कोड में गलतियां ढूंढ सकता हूं और इसे ठीक कर सकता हूं. मुझे शुरुआत में लगता था कि रोबोटिक्स यांत्रिक सामानों से बनता है, लेकिन इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रोग्रामिंग और प्रोजेक्ट प्लानिंग भी शामिल है. यह मुझे रचनात्मक रूप से सोचने और साधारण समस्याओं को हल करने में मदद करता है. मैंने इस तरह के कई प्रोजेक्ट पूरे किए हैं. सीखना मेरे लिए बहुत ही रोचक और मजेदार है. यह ऐसा है जैसे कोई असली वीडियो गेम हो.

बता दें कि दोनों छात्रों ने राष्ट्रीय कोडिंग और रोबोटिक्स चुनौती (NCRC) में भाग लिया, जो 7-16 आयु वर्ग के बच्चों को एक मंच देता है. यहां वे कोडिंग करना सीख सकते हैं. NCRC एक राष्ट्रीय कोडिंग और रोबोटिक चुनौती है, जहां युवाओं को एक सवाल दिया जाता और उसे हल करने के लिए वे अपना कोडिंग पावर का इस्तेमाल करते हैं. इस दौरान निरंत और हर्षवर्धन के इस इनोवेशन को लाखों प्रोजेक्ट में से चुना गया था.

बेंगलुरु : कर्नाटक के दो छात्रों ने अपने कोडिंग पावर का इस्तेमाल कर अस्पतालों की आवश्यकतानुसार अभिनव मॉडल तैयार किया है. ये मॉडल खासतौर पर कोविड-19 के दौरान असुविधाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इन्हें तैयार करने वाले दोनों बच्चे बेंगलुरु के गीतांजलि विद्यालय की सातवीं कक्षा का छात्र हर्षवर्धन और फ्रीडम इंटरनेशनल स्कूल की चौथी कक्षा का छात्र निरंत बी हैं.

जानकारी के मुताबिक, ये दोनों बच्चे एसपी रोबोटिक वर्क्स का हिस्सा हैं. दोनों ने मेडिकल कार्ट को एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाने के लिए एक मेडिकल सपोर्टिव ट्रांसपोर्टर के साथ आपातकालीन उपयोग के लिए एक अभिनव परिवहन प्रणाली विकसित की है. हर्षवर्धन ने चिकित्सा समर्थित परिवहन रोबोट बनाया है जिसमें उन्होंने आवश्यक कार्यों को करने के लिए रोबोट में कोडिंग की है. इस तरह रोबोट नर्स के साथ रहेगा और उन्हें अन्य एक कर्मचारी की जरूरत नहीं पड़ेगी.

कोडिंग पावर से विकसित कीं ये अभिनव मॉडल
कोडिंग पावर से विकसित कीं ये अभिनव मॉडल

हर्षवर्धन ने बताया, 'मैंने इस प्रोजेक्ट को इसलिए चुना क्योंकि पिछले दो वर्षों के दौरान मैंने लगभग हर अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारियों की कमी के परिणाम देखे हैं. इस वजह से मैं एक ऐसा रोबोट बनाना चाहता था, जो डॉक्टरों और नर्सों की मदद करें. मैं नहीं चाहता कि वे रोगियों की देखभाल के लिए आवश्यक चिकित्सा वस्तुओं की गाड़ियां खींचने और धक्का देने में समय बर्बाद करें. नतीजतन, मैंने एक सहायक ट्रांसपोर्टर बनाया है जो स्वचालित रूप से अस्पताल के कर्मचारियों की मदद करेगा.

निरंत ने अपने आविष्कार के बारे में बताया, 'मैंने एक अस्पताल परिवहन प्रणाली को विकसित किया है जो आपात स्थिति के दौरान मरीज को अस्पताल तक समय पर पहुंचाएगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण कोई जान न जाए.' उन्होंने कहा, 'मुझे यह करना बहुत पसंद है. मैंने बहुत सारी प्रोग्रामिंग सीखी है. अब, मैं आसानी से अपने कोड में गलतियां ढूंढ सकता हूं और इसे ठीक कर सकता हूं. मुझे शुरुआत में लगता था कि रोबोटिक्स यांत्रिक सामानों से बनता है, लेकिन इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रोग्रामिंग और प्रोजेक्ट प्लानिंग भी शामिल है. यह मुझे रचनात्मक रूप से सोचने और साधारण समस्याओं को हल करने में मदद करता है. मैंने इस तरह के कई प्रोजेक्ट पूरे किए हैं. सीखना मेरे लिए बहुत ही रोचक और मजेदार है. यह ऐसा है जैसे कोई असली वीडियो गेम हो.

बता दें कि दोनों छात्रों ने राष्ट्रीय कोडिंग और रोबोटिक्स चुनौती (NCRC) में भाग लिया, जो 7-16 आयु वर्ग के बच्चों को एक मंच देता है. यहां वे कोडिंग करना सीख सकते हैं. NCRC एक राष्ट्रीय कोडिंग और रोबोटिक चुनौती है, जहां युवाओं को एक सवाल दिया जाता और उसे हल करने के लिए वे अपना कोडिंग पावर का इस्तेमाल करते हैं. इस दौरान निरंत और हर्षवर्धन के इस इनोवेशन को लाखों प्रोजेक्ट में से चुना गया था.

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