जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए सुप्रीम कोर्ट से जमानत का प्रयास करने के मामले में दर्ज मुकदमे में आसाराम की जमानत को स्वीकार कर लिया है. जस्टिस कुलदीप माथुर की बैंच में आसाराम की ओर से इस मामले में जमानत याचिका पेश की गई थी. जिस पर सुनवाई के बाद याचिका को स्वीकार लिया गया, लेकिन आसाराम जेल से बाहर नहीं आ सकेगा, क्योकि वह यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
आसाराम की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा और गोकुलेश बोहरा ने बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम के खिलाफ जब ट्रायल चल रहा था, तभी नियमित जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एसएलपी पेश की थी. वहीं, एसएलपी पर सुनवाई के दौरान जोधपुर की सेंट्रल जेल से मुख्य आरोपी रवि मारवाह, अजय शर्मा ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किए थे. हालांकि, आसाराम को जमानत नहीं मिली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज पेश करने के मामले में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. जिस पर जोधपुर के रातानाड़ा थाने में मुख्य आरोपी रवि मारवाह, अजय शर्मा और आसाराम के खिलाफ साल 2017 में मुकदमा दर्ज किया गया था.
इस मामले में आसाराम पहले से ही जेल में था और अन्य दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन मामले में दोनों आरोपियों की जमानत हो चुकी थी. अब हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका को भी मंजूर कर लिया है, लेकिन यौन उत्पीड़न के मुख्य मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा हुई है. ऐसे में जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा.