हमीरपुर : नेताओं की जुबान विकास के दावे और वादे करते-करते नहीं थकती लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर की एक तस्वीर हर सियासतदान को आइना दिखा देगी. देश के लिए तीन युद्ध लड़ चुके एक पूर्व सैनिक के गांव में आज भी सड़क नहीं पहुंच पाई है. आलम ये है कि जब पूर्व सैनिक विधि सिंह (vidhi singh) की तबीयत बिगड़ी तो बेटा करीब एक किलोमीटर तक पिता को पीठ पर उठाकर ले गया. ताकि उस सड़क के सहारे पिता को अस्पताल (son carried his father on his back) पहुंचाया जा सके, जो गांव से एक किलोमीटर दूर है.
क्या है मामला- हमीरपुर जिले के गलोड़ इलाके का खरोड़ गांव (Khorad village of hamirpur), जिसकी पहचान हैं 85 साल के पूर्व सैनिक विधि सिंह (ex serviceman vidhi singh), जिन्होंने 1962 में चीन और 1965, 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में देश के लिए अपनी जान की बाजी (war veteran vidhi singh) लगा दी. लेकिन जब जिंदगी के आखिरी सालों में दर्द के इलाज की जरूरत हुई तो वो सड़क आड़े आ गई जो गांव तक कभी पहुंची ही नहीं. देश के लिए 3 युद्ध लड़ चुके विधि सिंह फिलहाल बुढ़ापे और बीमारी से जंग लड़ रहे हैं. बीती रात पेशाब रुकने और पेट में दर्द जैसी समस्या हुई तो बेटे दीपक ने ही अपने पिता को पीठ पर नजदीकी सड़क तक पहुंचाया. जहां से वो गाड़ी से अस्पताल पहुंच पाए.
क्यों नहीं बनी सड़क- विधि सिंह और उनकी पत्नी रोशनी देवी के मुताबिक गांव के लिए पंचायत के जरिये एंबुलेंस रोड बनाने को मंजूरी मिल गई थी. बजट आने से लेकर निशानदेही तक भी हो गई. हमीरपुर के सांसद और मौजूदा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से लेकर जिला प्रशासन तक की बैठक भी हो गई. लेकिन गांव के एक परिवार इस एंबुलेंस रोड को लेकर कोर्ट और राजस्व विभाग के सेटलमेंट विंग पहुंच गया. जिसके कारण सब कुछ धरा का धरा रह गया. इससे पहले 2008 और 2012 में भी इस परिवार ने सड़क नहीं निकलने दी थी.
कागजों में ही रह गई सड़क- सड़क के लिए इस बार भी मनरेगा में साढ़े चार लाख रुपये की राशि एंबुलेंस रोड के लिए स्वीकृत की गई थी लेकिन मामला कोर्ट और सेटलमेंट विभाग में होने के कारण वित्तीय वर्ष की समाप्ति के साथ 31 मार्च को बजट लैप्स हो गया. जिसके बाद एक अदद एंबुलेंस रोड फिर से सिर्फ कागजों में ही सिमटकर रह गई.
आजादी का अमृत महोत्सव और एंबुलेंस रोड की गुहार- गांव के पूर्व सैनिकों ने एक बार फिर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सड़क बनवाने की गुहार लगाई है. इस मामले के सामने आने के बाद बीडीओ आकांक्षा शर्मा ने कहा है कि वो मौके पर जाकर निरीक्षण करेंगी और इस काम को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा. वैसे ये भी विडंबना ही है कि इस साल देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है और देश के लिए 3 जंग लड़ चुके पूर्व सैनिक को अस्पताल पहुंचने के लिए अपने बेटे की पीठ का सहारा है. गांव में एक अदद एंबुलेंस रोड (vidhi singh village has no road connectivity) नहीं है. पिछले करीब 14 साल से एंबुलेंस रोड फाइलों और राजस्व विभाग के सेटलमेंट विंग में ही घूम रही है. जिसके नतीजा है कि देश के लिए तीन जंग लड़ चुके पूर्व सैनिक पिता को बेटा पीठ पर अस्पताल पहुंचाता है.
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